रिपोर्ट : गंगा थक चुकी मैला ढोते-ढोते, 60 फीसदी सीवेज सीधा गंगा में गिराया जा रहा

गंगा की सफाई के दावे को लेकर कई वर्ष बीत गए लेकिन अब भी कई जगहों पर गंगाजल आचमन के लायक नहीं।  

By Vivek Mishra

On: Tuesday 26 July 2022
 

गंगा की सफाई को लेकर किए जा रहे सारे दावे कागजी साबित हो रहे हैं। भले ही 2016 में जोर-शोर के साथ गंगा के पुनरुद्धार, संरक्षण और प्रबंधन को लेकर आदेश जारी किया गया था लेकिन राष्ट्रीय नदी अब भी 60 फीसदी मैला ढो रही है। 

प्रमुख पांच गंगा राज्यों : बिहार, झारखंड, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल  में 10139.3 मिलियन लीटर प्रतिदिन (एमएलडी) सीवेज पैदा होता है और महज 3959.16 एमएलडी (40 फीसदी) सीवेज का ही सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के जरिए उपचार हो रहा है बाकी 6180.2 एमएलडी (60 फीसदी) को सीधे गंगा में गिराया जा रहा है। 

गंगा के प्रमुख पांच राज्यों में अब तक लगाए गए कुल 226 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) भी अपनी क्षमता से कम काम कर रहे हैं और गंगा में सीधे गिरने वाले सीवेज की मात्रा में लगातार बढोत्तरी कर रहे हैं।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 22 जुलाई, 2022 को सुनवाई के दौरान एनएमसीजी की रिपोर्ट पर गौर करने के बाद कहा कि यह चिंताजनक है कि गंगा में प्रदूषण का ग्राफ गिरने के बजाए बढता जा रहा है।

एनजीटी ने गौर किया कि गंगा के प्रमुख पांच राज्यों में कुल 10139.3 मिलियन लीटर प्रतिदिन (एमएलडी) सीवेज के उपचार के लिए 5822.38 एमएलडी क्षमता वाले कुल 245 एसटीपी मौजूद हैं। हालांकि यह सभी एसटीपी अपनी क्षमता का महज 68 फीसदी ही काम कर रहे हैं। 

एनजीटी ने गौर किया कि 245 में  कुल 226 एसटीपी ही काम कर रहे हैं। वहीं, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) सिर्फ 136 एसटीपी की निगरानी करती है, जिसमें से 105 ऑपरेशनल एसटीपी में 96 एसटीपी नियम और मानकों का पालन नहीं कर रहे हैं। नियम और मानक से मुराद यह है कि इन एसटीपी से निकलने वाले पानी में बीओडी, फीकल कॉलिफोर्म, टीएसएस जैसे मानक संतुलित नहीं पाए जाते हैं। सीपीसीबी के मुताबिक इस पैमाने पर महज 9 एसटीपी ऐसे हैं जो नियमों और मानकों का पालन कर रहे हैं। 

सीपीसीबी की रिपोर्ट के मुताबिक गंगा डाउनस्ट्रीम में नारोरा के बाद 97 स्थानों पर पानी की गुणवत्ता ठीक नहीं है। कुछ स्थानों पर फीकल कोलीफॉर्म 500 एमपीएन ( मोस्ट प्रोबेबल नंबर) प्रति 100 मिलीलीटर है, जिसकी वजह से गंगा का पानी आचमन लायक नहीं है। एनजीटी ने कहा कि सीपीसीबी और एनएमसीजी को संयुक्त रूप से इसके लिए एडवाइजरी जारी करनी चाहिए। वहीं गंगा तटों के पास भू-जल निकासी के कारण गंगा के कम होते पर्यावरणीय प्रवाह (ई-फ्लो) को लेकर भी एनजीटी ने चिंता जाहिर की है। 

एसटीपी ही नहीं, औद्योगिक प्रवाह के अपशिष्ट का उपचार करने वाला संयंत्र जिसे कॉमन इफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) कहा जाता है वह भी ठीक ढंग से काम नहीं कर रहे हैं। एनजीटी ने 22 जुलाई, 2022 को एनएमसीजी की रिपोर्ट पर गौर करने पर पाया कि 8 में से सिर्फ 2 सीईटीपी ही मानकों पर काम कर रहे हैं। सबसे ज्यादा चिंता का विषय उत्तर प्रदेश के कानपुर में जाजमऊ, उन्नाव, बंथर स्थित टैनरीज के सीईटीपी का है। 

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में राष्ट्रीय गंगा स्वच्छ मिशन (एनएमसीजी) की ओर से एसटीपी और सीईटीपी के प्रदर्शन वाली यह पांचवी तिमाही रिपोर्ट 15 जुलाई, 2022 को एमसी मेहता बनाम भारत सरकार मामले में दी गई थी। एनजीटी ने इस मामले में राज्यों से 14 अक्तूबर तक कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है। 

प्रमुख गंगा के 5 राज्यों में एसटीपी से सीवेज उपचार की स्थिति

सीवेज उपचार के मामले में सबसे खराब स्थिति बिहार की है। रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में 1100 एमएलडी सीवेज की निकासी होती है और सिर्फ 99 एमएलडी (एसटीपी क्षमता का 44 फीसदी) सीवेज का उपचार किया जा रहा है। यानी 1010 एमएलडी सीवेज सीधे गंगा में गिराया जा रहा है। बिहार में 224.50 एमएलडी क्षमता वाले सात एसटीपी हैं जो अपनी क्षमता से कम काम कर रहे हैं। 

झारखंड में 452 एमएलडी सीवेज की निकासी होती है जबकि  राज्य में 107.05 एमएलडी क्षमता वाले 16 एसटीपी काम कर रहे हैं और अपनी क्षमता से काफी कम केवल 68 फीसदी (72.794 एमएलडी) का ही उपचार कर रहे हैं। 

सीवेज उपचार के मामले में उत्तराखंड में  कुल 329.3 एमएलडी सीवेज की निकासी होती है और इन्हें प्रबंधित करने के लिए कुल 67 एसटीपी 397.20 एमएलडी क्षमता के मौजूद हैं, हालांकि सिर्फ 234.23 एमएलडी यानी 59 फीसदी सीवेज का ही उपचार होता है।

उत्तर प्रदेश में 5500 एमएलडी सीवेज निकासी होती है। इसके लिए राज्य में अभी कुल 118 एसटीपी हैं जिनकी क्षमता 3655.28 एमएलडी है। हालांकि यहां भी क्षमता से काफी कम  3033.65 एमएलडी यानी एसटीपी की कुल क्षमता का 83 फीसदी ही सीवेज का उपचार हो रहा है। 

पश्चिम बंगाल में 2758 एमएलडी सीवेज की निकासी हर रोज होती है जबकि 1236.981 एमएलडी सीधे गंगा में गिराया जा रहा है। राज्य में कुल 37 एसटीपी हैं जिनकी क्षमता 1438 एमएलडी सीवेज की है। 

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