संसद में आज: नमामि गंगे परियोजना के तहत संचार और प्रचार में खर्च कर दिए 126 करोड़ रुपये

5वीं लघु सिंचाई गणना (वर्ष 2013-14) के मुताबिक सिंचाई के लिए उपयोग किए जाने वाले जल निकायों की संख्या 5,16,303 थी

By Madhumita Paul, Dayanidhi

On: Monday 07 February 2022
 

जल शक्ति राज्य मंत्री विश्वेश्वर टुडू ने 7 फरवरी 2022 को राज्यसभा में बताया कि नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत संचार और सार्वजनिक आउटरीच, जिसमें मीडिया और प्रचार शामिल है में 126 करोड़ रुपये खर्च किए गए।

टुडू ने कहा कि नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) संबंधित राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों (एसपीसीबी) के माध्यम से 5 मुख्य राज्यों में 97 स्थानों पर गंगा नदी के पानी की गुणवत्ता का आकलन कर रहा है।

देश में पानी की कमी वाले भाग

देश के भूजल संसाधनों का समय-समय पर केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) और राज्य सरकारों द्वारा संयुक्त रूप से मूल्यांकन किया जाता है। 2020 के आकलन के मुताबिक, देश में कुल 6965 मूल्यांकन इकाइयों (ब्लॉक/तालुका/मंडल/वाटरशेड/फिरका) में से 15 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 1114 इकाइयों (16 फीसदी) के 'पानी का बहुत अधिक उपयोग किया गया' (ओई) के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इसका अर्थ यह है कि जहां सालभर में जितना भूजल था, उससे अधिक निकाला गया। सबसे अधिक क्षेत्र तमिलनाडु (435) में हैं। इसके बाद राजस्थान (203), हरियाणा (85) और उत्तर प्रदेश (66) के क्षेत्र आते हैं। यह जानकारी जल शक्ति राज्य मंत्री विश्वेश्वर टुडू ने आज राज्यसभा में दी।

देश के जल निकायों के आंकड़े

विश्वेश्वर टुडू ने कहा कि जल शक्ति मंत्रालय के अधीन काम कर रहा जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग द्वारा लघु सिंचाई संरचनाओं की गणना करता है, लेकिन यह विभाग देश में सीधे जल निकायों की संख्या की गणना नहीं करता है। 5वीं लघु सिंचाई गणना (संदर्भ वर्ष 2013-14) से प्राप्त सिंचाई के लिए उपयोग किए जाने वाले जल निकायों की संख्या 5,16,303 थी, लेकिन छठी लघु सिंचाई गणना अभी पूरी नहीं हुई है।

भूजल प्रबंधन के लिए हेली-बोर्न सर्वेक्षण

एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) ने राजस्थान (69,875 वर्ग किमी), गुजरात (31,436 वर्ग किमी) और हरियाणा (2,644 वर्ग किमी) के लगभग 1.04 लाख वर्ग किमी शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में जलभृत (एक्वीफर) से संबंधित जानकारी और उसके प्रबंधन के लिए हेली-बोर्न सर्वेक्षण कार्य शुरू किया है। 

टुडू ने कहा जल संकट की स्थिति, भूजल के आंकड़ों की उपलब्धता, क्षेत्र के जल-भूविज्ञान के आधार पर कुछ क्षेत्रों में पायलट आधार पर  हेली-बोर्न सर्वेक्षण कार्य शुरू किया गया है। हालांकि, तकनीक के परिणाम/प्रभावकारिता के आधार पर तकनीक को अन्य पानी की कमी वाले क्षेत्रों में दोहराया जा सकता है।

स्मार्ट सिटी मिशन के लिए झुग्गीवासियों को निकालना

आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने राज्यसभा में बताया कि स्मार्ट सिटी मिशन के तहत ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि झुग्गीवासियों के लिए आवास की व्यवस्था की जाए। पुनर्वासित या बेदखल किए गए झुग्गीवासियों की संख्या के आंकड़े स्मार्ट सिटी मिशन निदेशालय द्वारा नहीं रखा जाता है।

लोकसभा (4 फरवरी, 2022)

वैश्विक भूख सूचकांक का माप सही नहीं 

लोकसभा में पूछे गए एक सवाल में सरकार ने कहा कि 'वेल्थंगरहिल्फ़' और 'कंसर्न वर्ल्डवाइड' द्वारा तैयार ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत का स्कोर 27.5 है और 116 देशों में यह 101 वें स्थान पर है। ग्लोबल हंगर इंडेक्स चार संकेतकों - अल्पपोषण, बाल विकास, बाल बर्बादी और बाल मृत्यु दर - पर आधारित है।

महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी ने कहा कि ग्लोबल हंगर इंडेक्स (जीएचआई) भारत की वास्तविक तस्वीर को नहीं दर्शाता है क्योंकि यह ''भूख'' का एक त्रुटिपूर्ण माप है। इसे अंकित मूल्य पर नहीं लिया जाना चाहिए क्योंकि यह न तो उचित है और न ही किसी देश में प्रचलित भूख का प्रतिनिधि है। ईरानी ने कहा कि इसके चार संकेतकों में से केवल एक संकेतक यानी अल्पपोषण का सीधा संबंध भूख से है।

ईरानी ने कहा कि जीएचआई रिपोर्ट में इस्तेमाल किए गए आंकड़े अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से लिए गए हैं, जिन्हें देश में उपलब्ध नवीनतम आंकड़ों के अनुसार अपडेट नहीं किया गया है।

जंक फूड

भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने बताया है कि उनके द्वारा कोई कानून या नियम अधिसूचित नहीं किया गया है। हालांकि, एफएसएसएआई ने उपभोक्ताओं को वसा, चीनी और नमक की खपत को धीरे-धीरे कम करके आहार में संशोधन करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए ''आज से थोड़ा कम'' शीर्षक से एक राष्ट्रव्यापी मीडिया अभियान शुरू किया है। इसके लिए लघु वीडियो (12 भाषाओं में उपशीर्षक के साथ) की एक श्रृंखला बनाई गई है। यह  अभियान को फ़्लायर, बैनर, ऑडियो क्लिप और 'ईट राइट इंडिया' वेबसाइट के साथ वसा, नमक और चीनी की खपत में क्रमिक कमी पर उपयोगी जानकारी के साथ समर्थित है। यह स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने लोकसभा में 4 फरवरी, 2022 को बताया।

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