मृतप्राय साबरमती में जारी है सीवेज और औद्योगिक प्रदूषण, कोर्ट ने प्राधिकरणों से मांगी रिपोर्ट

पीठ ने कहा कि एएमसी स्टॉर्म वाटर ड्रेन में गैरकानूनी या अनाधिकृत तरीके से गिराए जा रहे दूषित पानी पर न सिर्फ रोक लगाए बल्कि उसकी सख्ती के साथ निगरानी करे। 

By Vivek Mishra

On: Thursday 28 April 2022
 

 

साबरमती नदी में औद्योगिक और सीवेज प्रदूषण को लेकर उचित कदम न उठाए जाने पर प्राधिकरणों के विरुद्ध गुजरात हाईकोर्ट की सख्ती कायम है। गुजरात हाईकोर्ट की दो सदस्यीय पीठ ने अहमदाबाद नगर निगम को आदेश दिया है कि वह साबरमती नदी में सीधा बिना उपचार वाला प्रदूषित पानी डिस्चार्ज करने वालों की पहचान करके उनके खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई करें। इसके अलावा उन नालों (आउटफॉल्स) की भी पहचान करें जहां से साबरमती में सीधा डिस्चार्ज हो रहा है।

इस मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए गुजरात हाईकोर्ट के जस्टिस बी पारडीवाला और जस्टिस वैभवी डी नानावटी की पीठ सुनवाई कर रही है। 27 अप्रैल, 2022 को मामले की सुनवाई की गई। 

इस मामले में गठित ज्वाइंट टास्क फोर्स के जरिए अहमदाबाद में  10 एसटीपी, 07 सीईटीपी और अब तक पहचाने गए आउटफॉल्स से अक्तूबर और नवंबर, 2021 में नमूने लिए थे, उनका विश्लेषण वर्ष 2019 के परिणामों से किया गया। पीठ ने गौर किया कि ज्यादातर जगह साबरमती में बिना उपचार ही सीवेज और औद्योगिक प्रदूषण जारी है। इसके अलावा साबरमती नदी में कई पर्यावरणीय मानक (बीओडी, सीओडी व अन्य) सामान्य से काफी अधिक बने हुए हैं।  

पीठ ने कहा कि स्टॉर्म वाटर ड्रेन यानी बरसाती नालों का काम वर्षा के समय में वर्षाजल को बहाकर नदी तक पहुंचाना है और अन्य सीजन में वह सूखी रहती हैं। ऐसे में अहमदाबाद नगर निगम पूरे शहर में मौजूद स्टॉर्म वाटर ड्रेन और उसके बहाव का खाका हमारे समक्ष पेश करें। एएमसी यह भी बताए कि क्या किसी बरसाती नाले से सीवेज कनेक्शन का जुड़ाव है या नहीं। यदि किसी भी जगह स्टॉर्म वाटर ड्रेन से सीवेज लाइन जुड़ी है तो निगम तत्काल उसे बंद करके, सीवेज की वैकल्पिक व्यवस्था करे।  

पीठ ने कहा कि एएमसी स्टॉर्म वाटर ड्रेन में गैरकानूनी या अनाधिकृत तरीके से गिराए जा रहे दूषित पानी पर न सिर्फ रोक लगाए बल्कि उसकी सख्ती के साथ निगरानी करे। 

साबरमती नदी का उद्गम राजस्थान के उदयपुर जिले में अरावली श्रृंखला के दक्षिण भाग में स्थित धेबार झील से है। यह राजस्थान के उदयपुर, और गुजरात के साबरकांठा, मेहसाना, गांधीनगर, अहमदाबाद और आनंद जिलों से होकर दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर बहती है। करीब 371 किलोमीटर का सफर तय करने के बाद यह अरब सागर की खंभात की खाड़ी में गिर जाती है।

 पीठ ने कहा कि साबरमती से जुड़ने वाले नालों का ड्रोन सर्वे करने के बाद जो भी परिणाम सामने आए हैं उसको गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और अहमदाबाद नगर निगम विश्लेषण करके रिपोर्ट तैयार करे। साथ ही यह बताए कि साबरमती से जुड़ने वाले किस नाले पर कितना पॉल्यूशन लोड किस जगह के नाले पर मौजूद है। पानी में कितना भारी धातु मौजूद है। 

एसटीपी में उपचार क्षमता को और अधिक बेहतर बनाने के लिए भी कोर्ट ने एएमसी को आदेश दिया है।  पीठ ने कहा कि गुजरात एनवॉयरमेंट मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट एक अध्ययन करके बताए कि साबरमती नदी के किनारे किनारे गांधीनगर से खंभात की खाड़ी तक ग्राउंड वाटर की क्या स्थिति है।

इस टास्क फोर्स के सदस्य व पर्यावरण मामलों के जानकार रोहित प्रजापति ने 23 सितंबर, 2021 को गुजरात हाई कोर्ट को बताया था "अहमदाबाद में रिवर फ्रंट के साथ-साथ अरब सागर में मिलने से पहले साबरमती नदी का करीब 120 किलोमीटर क्षेत्र मृतप्राय है, इसमें कोई पर्यावरणीय प्रवाह नहीं है और इस नदी में पहले ही अपूर्णीय क्षति वाला प्रदूषण किया जा चुका है। इसके बावजूद अभी औद्योगिक ईकाइयों का प्रवाह और सीवेज साबरमती नदी में छोड़ा जा रहा है। वहीं, औद्योगिक ईकाइयों को इसके लिए कानूनी अनुमति दी गई है।" 

Subscribe to our daily hindi newsletter