मध्यप्रदेश: पानी के बीच अनशन पर बैठी हैं पिछोड़ी गांव की महिलाएं

सरदार सरोवर बांध परियोजना के कारण डूब प्रभावित क्षेत्रों के 65 गांवों का अब तक पुनर्वास नहीं किया गया है

By Anil Ashwani Sharma

On: Wednesday 16 September 2020
 
पानी के बीच अनशन करती महिलाएं। फोटो: एनबीए

गांव पिछोड़ी, मध्यप्रदेश के बड़वानी जिले के उन 65 गावों में से एक है, जहां पिछले दो दशक से पुनर्वास नहीं हुआ है। हालात ये हैं कि जैसे ही सरदार सरोवर बांध का पानी छोड़ा जाता है, ये गांव पानी में डूब जाते हैं। इसके खिलाफ 18 दिन पहले गांव पिछोड़ी की महिलाओं ने अनशन शुरू किया। अनशन स्थल तक पानी पहुंच गया, लेकिन महिलाएं अभी भी अनशन खत्म करने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में ग्रामीणों की मदद से धरना स्थल पर ही मचान बना दिया गया है, ताकि उस पर बैठकर महिलाएं अपना अनशन जारी रख सकें।

सरदार सरोवर परियोजना से मध्यप्रदेश के बड़वानी जिले के 65 गांव के मकान और कृषि भूमि डूब गई हैं। इन गांवों के अधिकांश लोगों का अब तक पुनर्वास अब तक नहीं हुआ है। इनके घर और खेती की जमीन हर साल सरदार सरोवर में डूबती है और यह क्रम लगातारी जारी है।  

पिछोड़ी गांव के विस्थापितों में से एक भारत मछुआरा ने बताया कि राज्य सरकार का कहना है कि हमको बसाने के लिए उसके पास पर्याप्त भूखंड नहीं है, इसलिए हमको जिले की सात अलग-अलग जगहों पर भूखंड आबंटित किए गए हैं, लेकिन ऐसे हम कैसे अपना जीवन जी सकते हैं। धरना दे रही महिलाओं की मांग है कि शासन तत्काल पुनर्वास  स्थलों के लिए जमीन अधिग्रहण करे और हम वहां बसाया जाए।

बड़वानी जिले में हर गांव के विस्थापितों को इसी प्रकार से कई स्थानों पर भूखंड दिया गया है और इनकी जमीनें तो अब टापू बनी हुई हैं। इनमें प्रमुख गांव जैसे एकलरा, राजघाट, भीलखेड़ा, कसरावद, कुंडीया जांगरवा, खेडी, पिपलुद, आंवली, सेंगाव आदि गांवों की कृषि भूमि पूरी तरह से टापू बन चुकी है और इसके चलते इन गांवों की फसल भी नष्ट हो गई है।

गांव के ही एक अन्य निवासी गेंदादाल भिलाला बताते हैं, बड़वानी जिले में 29 स्थानों पर छोटी पुलिया का निर्माण कर किसानों को रास्ता बनाकर दिया जाना चाहिए। इनके निर्माण के बाद ही हम अपने गांव से इधर-उधर आजा सकते हैं। इस संबंध में सीताराम और रामेश्वरी ने बताया कि जब 2019 में डूब आई थी तो राज्य सरकार ने वायदा किया था कि इस पर शीघ्र विचार किया जाएगा, लेकिन साल बीत गया और अब तक कहीं भी संपर्क रास्तों का निर्माण नहीं हुआ। 2019 में राज्य के राजस्व विभाग द्वारा 19 हैक्टेयर जमीन का सर्वे कर अधिग्रहण किया गया था, वह भी इस साल डूब गई। इससे अंदाजा लगाया जा सकता कि किस प्रकार से सरकार पुनर्वास कार्यों को अंजाम दे रही है।

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