कैसे रोकी जाएंगी भलस्वा डंप यार्ड में आग लगने की घटनाएं, दिल्ली सरकार ने कोर्ट की दी जानकारी

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Monday 10 October 2022
 

भविष्य में भलस्वा डंप यार्ड में लगने वाली संभावित आग की घटनाओं को कैसे नियंत्रित किया जाएगा, इस बारे में क्या कदम उठाए गए हैं इनकी जानकारी दिल्ली सरकार द्वारा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में सबमिट अपनी रिपोर्ट में दी है।

जानकारी मिली है कि दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने भलस्वा डंपसाइट पर पुराने कचरे की बायोमाइनिंग और बायोरेमेडिएशन की शुरुआत पहले ही कर दी है, जो इंदौर नगर निगम द्वारा लागू मॉडल के जैसी ही है।

इसके अलावा डंप साइट में अनाधिकृत प्रवेश को रोकने के लिए लैंडफिल के चारों ओर सीसीटीवी कैमरे लगाने की योजना है। उस क्षेत्र को चिन्हित किया जा रहा है जहां ताजा कचरा डंप किया जाता है, क्योंकि आग लगने की घटनाएं आमतौर पर वहां होती है जहां ताजा कचरा डाला जाता है।

जानकारी दी गई है कि वर्तमान में 18 ट्रोमेल मशीनें भलस्वा लैंडफिल साइट पर पुराने कचरे को प्रोसेस कर रही हैं। 29 सितंबर, 2022 तक करीब 26.22 लाख मीट्रिक टन पुराने कचरे को प्रोसेस किया जा चुका है। इसके साथ ही भलस्वा डंपसाइट से 30 लाख मीट्रिक टन पुराने कचरे की बायोमाइनिंग और निपटान के लिए एकीकृत निविदा आमंत्रित की गई है। इसकी बोली 23 सितंबर, 2022 को खोली गई थी और तकनीकी बिड का मूल्यांकन जारी है।

साथ ही जैसे ही नरेला-बवाना में प्रस्तावित अपशिष्ट-से-ऊर्जा संयंत्र कार्य करना शुरू करेगा, ताजा नगरपालिका ठोस अपशिष्ट को भलस्वा डंपसाइट पर डंप करने से रोक दिया जाएगा, रिपोर्ट में 10 अक्टूबर, 2022 को कहा गया है।

चंदपुरा झील के कायाकल्प के लिए क्या कुछ उठाए जाएंगे कदम, इस बारे में कोर्ट को सौंपी गई रिपोर्ट

चंदपुरा झील जलग्रहण क्षेत्र में मौजूद सभी उद्योगों का पर्यावरण ऑडिट करने के लिए कर्नाटक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (केएसपीसीबी) ने आरवी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, बैंगलोर को नियुक्त किया है। साथ ही केएसपीसीबी ने कैप्टिव एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट वाले किसी भी उद्योग को अपने अपशिष्ट को कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) में डालने की अनुमति नहीं दी है।

इसके साथ ही केएसपीसीबी ने अधिकारियों को फोरेंसिक विश्लेषण और प्रदूषक अध्ययनों का पता लगाने के लिए चंदापुरा झील की ओर जाने वाले नालों से नमूने एकत्र करने का भी निर्देश दिया है। ये वो कुछ बिंदु हैं जिनका उल्लेख केएसपीसीबी ने चंद्रपुरा झील कायाकल्प के लिए तैयार अपनी कार्य योजना के माध्यम से किया है।

साथ ही झील को प्रदूषण मुक्त करने के स्थाई समाधान के रूप में हेब्बागोड़ी नगर पालिका परिषद की यूजीडी प्रणाली को लागू करने की करीब 153 करोड़ रुपए की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट और बोम्मासांद्रा नगर पालिका परिषद के लिए लगभग 109 करोड़ रुपए की योजना सरकार को विचार के सौंपी गई है।

यह रिपोर्ट 29 मार्च, 2022 को दिए एनजीटी के आदेश पर कर्नाटक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कोर्ट में सबमिट की है।

जेएसपीसीबी ने शाह स्पंज आयरन एंड पावर लिमिटेड को 25 लाख रुपये की बैंक गारंटी जमा करने का दिया आदेश

झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (जेएसपीसीबी) ने शाह स्पंज आयरन एंड पावर लिमिटेड को 25 लाख रुपये की बैंक गारंटी एसपीसीबी के पास जमा करने का निर्देश दिया है।  मामला झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले का है। यह राशि जेएसपीसीबी द्वारा यूनिट के संचालन में पाए गए नियमों की अवहेलना के सम्बन्ध में है।

गौरतलब है कि इस मामले में याचिकाकर्ता जयराम हांसदा ने कहा था कि शाह स्पंज आयरन एंड पावर लिमिटेड क्षेत्र में जल और वायु प्रदूषण का कारण बन रहा है। साथ ही वो क्षेत्र की जैव विविधता और आसपास के निवासियों के स्वास्थ्य पर भी गंभीर असर डाल रहा है। इस बारे में एनजीटी ने एक संयुक्त समिति के गठन का निर्देश दिया था। इस समिति ने 18 अप्रैल, 2022 को शाह स्पंज एंड पावर लिमिटेड का निरीक्षण किया था।

इस निरीक्षण के दौरान निम्नलिखित खामियां पाई गई थी।

  • सल्फर ऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड जरुरत से ज्यादा पाया गया था, जबकि पीएम उत्सर्जन निर्धारित सीमा के भीतर था।
  • भट्ठे के फीडिंग से रिसाव और कूलर में डिस्चार्ज हो रहा था।
  • भट्ठा की आपातकालीन टोपी से भी रिसाव पाया गया था।
  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मानदंडों के अनुसार पर्याप्त हरित पट्टी विकसित नहीं की गई थी।

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