दुनिया के हर तीसरे स्वास्थ्य केंद्र में नहीं है हाथ धोने की व्यवस्था: रिपोर्ट

दुनिया के हर तीन में से एक स्वास्थ्य केंद्र में कचरे को अलग करने की व्यवस्था नहीं है

By Lalit Maurya

On: Tuesday 15 December 2020
 

यूनिसेफ और डब्लूएचओ द्वारा जारी एक संयुक्त रिपोर्ट से पता चला है कि दुनिया की हर 3 में से एक स्वास्थ्य केंद्र में कचरे को अलग करने की व्यवस्था नहीं है। यही नहीं एक चौथाई अस्पतालों और चिकित्सा केंद्रों में साफ जल की व्यवस्था नहीं है। जो इन केंद्रों में आने और काम करने वाले 180 करोड़ लोगों के जीवन को खतरे में डाल रहा है। वहीं 80 करोड़ लोगों को सेवा प्रदान करने वाले स्वास्थ्य केंद्रों में शौचालय की सुविधा उपलब्ध नहीं है। अस्पताल जोकि स्वास्थ्य देखभाल का केंद्र बिंदु होते हैं। यदि उनमें ही साफ पानी, हाथ धोने और कचरे के प्रबंधन से जुड़ी सुविधाएं न हो तो इससे बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ जाता है।

इस से भी बदतर बात यह है कि दुनिया के हर तीन में से एक स्वास्थ्य केंद्र में हाथ धोने की सुविधा उपलब्ध नहीं है। साथ ही 10 फीसदी में पर्याप्त साफ-सफाई और स्वच्छता नहीं है। रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के 47 सबसे कम विकसित देशों (एलडीसी) में स्थिति और भी ज्यादा बदतर है। इन देशों के करीब आधे स्वास्थ्य केंद्रों में पानी की सुविधा उपलब्ध नहीं है जबकि 60 फीसदी में सैनिटेशन की व्यवस्था नहीं है। इन देशों के हर 10 में से 7 स्वास्थ्य केंद्रों में कचरा प्रबंधन की व्यवस्था नहीं है। ऊपर से आंकड़ों और जानकारी की कमी के चलते यह समस्या अब तक सामने नहीं आ पाई है।

दुनिया के केवल एक तिहाई देशों ने इससे निपटने के लिए तैयार किया है रोडमैप

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम घेब्येयियस के अनुसार इन स्वास्थ्य केंद्रों में काम करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों के लिए साफ पानी, स्वच्छता और जरुरी सुरक्षा उपकरणों की कमी एक बड़ी समस्या है। आज जब सारी दुनिया कोरोना जैसी महामारी से लड़ने का प्रयास कर रही है ऐसे समय में स्वास्थ्य से जुड़ी यह बुनियादी सुविधाएं बहुत ज्यादा मायने रखती हैं। इन सुविधाओं के आभाव में मरीजों और स्वास्थ्य कर्मियों के कोरोनावायरस और अन्य बीमारियों से संक्रमित होने का खतरा कहीं ज्यादा बढ़ जाता है।

हालांकि यह रिपोर्ट स्वास्थ्य क्षेत्र की एक भयावह तस्वीर प्रस्तुत करती है। पर इस स्थिति को स्वास्थ्य और स्वच्छता के क्षेत्र में निवेश के जरिए बदला जा सकता है। इसकी मदद से एंटीबायोटिक रेसिस्टेन्स बीमारियों को फैलने से रोका जा सकता है, जिनका इलाज बाद में महंगा साबित हो सकता है।

स्वास्थ्य क्षेत्र में स्वच्छ पानी और साफ सफाई के अनगिनत फायदों के बावजूद भी दुनिया के केवल एक तिहाई देशों ने इस विषय पर काम करने के लिए रोडमैप तैयार किए हैं, जबकि केवल 10 फीसदी देशों ने इस विषय को अहमियत देते हुए इन्हें अपनी राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली में निगरानी के लिए सम्मिलित किया है।

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