सर्कुलर इकॉनमी को बढ़ावा देने आगे आई इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियां

हर वर्ष 82.6 फीसदी ई-वेस्ट को ऐसे ही फेंक दिया जाता है, जिसको यदि रिसाइकल किया जाए तो इससे अर्थव्यवस्था को करीब 413,277 करोड़ रुपए का फायदा होगा 

By DTE Staff

On: Thursday 18 March 2021
 

सर्कुलर इकॉनमी को बढ़ावा देने के मकसद से दुनिया की शीर्ष इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियों और वैश्विक संगठनों ने हाथ मिलाया है। इन कंपनियों में दुनिया के कुछ सबसे बड़े उपभोक्ता ब्रांड शामिल हैं, जिनकी मार्केट में कुल हिस्सेदारी 435,02,880 करोड़ रुपए (600,000 करोड़ डॉलर) की है। इन सभी ने 2030 तक इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में सर्कुलर इकॉनमी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक विजन और रोडमैप तैयार किया है।

गौरतलब है कि पहली बार ग्लोबल सर्कुलर इलेक्ट्रॉनिक्स पार्टनरशिप (सीईपी) विशेषज्ञों, उद्योगपतियों और वैश्विक संगठनों को साथ लेकर इस विषय से जुड़ी समस्याओं का हल ढूंढेंगी। इसे ध्यान में रखते हुए यह पूर्व-प्रतिस्पर्धी उद्योग मंच समन्वित तरीके से उद्योग की कार्रवाई और महत्वाकांक्षा को बढ़ाने के लिए नेटवर्कों का एक नेटवर्क भी स्थापित करेगा।

संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी रिपोर्ट ग्लोबल ई-वेस्ट मॉनिटर 2020 के अनुसार, 2019 में करीब 5.36 करोड़ मीट्रिक टन इलेक्ट्रॉनिक कचरा उत्पन्न हुआ था जोकि 2030 में बढ़कर 7.4 करोड़ मीट्रिक टन पर पहुंच जाएगा। 2019 में अकेले एशिया में सबसे ज्यादा 2.49 करोड़ टन कचरा उत्पन्न हुआ था। इसके बाद अमेरिका में 1.31 करोड़ टन, यूरोप में 1.2 करोड़ टन, अफ्रीका में  29 लाख टन और ओशिनिया में 7 लाख टन इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट उत्पन्न हुआ था। अनुमान है कि केवल 16 वर्षों में यह ई-वेस्ट लगभग दोगुना हो जाएगा। दुनिया में तेजी से बढ़ती बिजली और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की खपत इसके लिए मुख्य रूप से जिम्मेवार है। साथ ही इन उपकरणों की कम आयु और मरम्मत के सीमित विकल्पों का होना भी इसकी मात्रा को बढ़ा रहा है।

इस कचरे से अर्थव्यवस्था को हो सकता है 413,277 करोड़ रुपए का फायदा

यदि 2019 से जुड़े आंकड़ों को देखें तो उस वर्ष केवल 17.4 फीसदी ई-वेस्ट को एकत्र और रिसाइकल किया गया था, जबकि 82.6 फीसदी हिस्से को ऐसे ही फेंक दिया गया था। जिसका मतलब है कि इस कचरे में मौजूद सोना, चांदी, तांबा, प्लेटिनम और अन्य कीमती सामग्री को ऐसे ही बर्बाद कर दिया गया। यदि इसकी कुल कीमत की बात करें तो वो करीब 413,277 करोड़ रुपए (5,700 करोड़ डॉलर) के बराबर थी, जोकि कई देशों के जीडीपी से भी ज्यादा है। आमतौर पर इस कचरे को फेंक दिया जाता है पर यदि इसका ठीक तरीके से नियंत्रण और प्रबंधन किया जाए तो यह आर्थिक विकास में मदद कर सकता है।

जरुरी है आपसी सहयोग

इस साझेदारी का भरपूर फायदा उठाने के लिए आपसी सहयोग बहुत जरुरी है। साथ ही यह सस्टेनेबल भी हो इसके लिए पूरे सिस्टम में बदलाव करने की जरुरत है। इस साझेदारी का उद्देश्य इन उत्पादों और सामग्रियों से अधिकतम लाभ प्राप्त करना है। जिसके लिए इनका पूर्णतः उपयोग और एक बार वेस्ट में बदल जाने पर उन्हें पुनः उपयोग में लाना भी महत्वपूर्ण है। इससे ने केवल आर्थिक लाभ पहुंचेगा साथ ही यह समाज और पर्यावरण के नजरिए से भी फायदेमंद होगा।

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