Science & Technology

वैज्ञानिकों ने किया ब्लैक होल की पहली तस्वीर का अनावरण

ब्लैक होल की भविष्यवाणी सबसे पहले अल्बर्ट आइंसटीन ने की थी, लेकिन अब तक किसी ने देखा नहीं था 

 
By Akshit Sangomla, Raju Sajwan
Published: Wednesday 10 April 2019

यूरोपियन कमीशन के मुख्यालय में इंवेंट हॉरीजन टेलीस्कोप प्रोजेक्ट (ईएचटी) के इंटरनेशनल कोलाबोरेशन के सदस्यों ने ब्रसेल्स टाइम 15 बजे ब्लैक होल की पहली तस्वीर का अनावरण किया। ईएचटी, टेलीस्कोप्स का ग्लोबल नेटवर्क है, जो लंबे समय से ब्लैक होल की पहली तस्वीर खींचने की कोशिश कर रहा था।

ब्लैक होल की भविष्यवाणी सबसे पहले अल्बर्ट आइंसटीन ने की थी। उन्होंने 1916 में पहली बार  गुरुत्वाकर्षण के अपने नए सिद्धांत, सापक्षेता के सामान्य सिद्धांत  के आधार पर  इसके अस्तित्व की भविष्यवाणी की थी। लेकिन इससे पहले भी भौतिकविदों ने कहा था कि यदि बड़ी मात्रा में पदार्थ एकत्र किए जाते हैं तो गुरुत्वाकर्षण का खिंचाव होता है। ऐसी वस्तुएं इतनी मजबूत होंगे कि प्रकाश भी उनसे बच नहीं पाएंगे। आइंस्टीन ने इससे आगे की तस्वीर साफ की थी, क्योंकि उन्होंने ब्रह्मांड को अंतरिक्ष की एक बनावट के रूप में एक सार्वभौमिक स्थिरांक प्रकाश की गति के रूप में परिकल्पित किया। उनके अनुसार, जब तारे जैसी विशाल वस्तुएं अपने चारों फैले इस बनावट को आकार देती है, जो गुरुत्वाकर्षण का वास्तविक रूप बन जाता है।

1967 में पहली बार खगोलविद जॉन व्हीलर ने “ब्लैक होल” शब्द का इस्तेमाल किया था और पहला वास्तविक ब्लैक होल 1971 में खगोलविदों द्वारा खोजा गया। तब से, कई अन्य ब्लैक होल खोजे गए हैं और उनके व्यवहार के बारे में बहुत सारी जानकारी एकत्र की गई है, लेकिन किसी ने भी सीधे ब्लैक होल का अवलोकन नहीं किया था।

सम्मेलन में जिस तस्वीर का अनावरण किया गया, वह ब्लैक होल मेसियर 87 के केंद्र में था, जो कन्या के नक्षत्र में एक विशाल आकाशगंगा है। यह ब्लैक होल पृथ्वी से 55 मिलियन प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है और इसका द्रव्यमान हमारे सूर्य से 6.5 बिलियन गुणा बड़ा है।

इस परियोजना को प्रमुख रूप से यूरोपीय संघ द्वारा वित्त पोषित किया गया था, जो 44 मिलियन यूरो है। वैज्ञानिकों ने समझाया कि यह खोज पिछले लगभग 40 सालों  से की जा रही है। जिस तस्वीर का अनावरण किया गया, उसे खींचने के लिए सबसे शक्तिशाली दूरबीनों को इकट्ठा किया गया और सुपर कम्प्यूटरों के साथ जोड़ा गया। इस परियोजना में 40 विभिन्न देशों के कम से कम 200 लोगों ने भाग लिया, जिससे यह वास्तव में वैश्विक भागीदारी बन गया।

दुनिया भर के वैज्ञानिकों द्वारा इसका विश्लेषण करने के बाद जल्द ही आंकड़ों को सार्वजनिक किया जाएगा।

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