चंद्रयान-2 : प्रज्ञान जुटाएगा चंद्रमा पर जीवन के सबूत

कुछ ही घंटे बचे हैं जब चंद्रमा की एकदम अनजानी सतह पर भारतीय चंद्रयान-2 की सॉफ्ट लैंडिंग हो जाएगी। सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला भारत दुनिया का चौथा मुल्क होगा।

By Vivek Mishra

On: Friday 06 September 2019
 
Photo: ISRO

जैसे-जैसे चंद्रयान-2 चांद की रहस्यमयी दुनिया के करीब पहुंच रहा है वैसे-वैसे स्पेश मिशन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) के वैज्ञानिकों की सांसे चढ़-उतर रही हैं। आज की रात भारी गुजरने वाली है। इसरो का दावा है कि मध्य रात्रि में 1:30 बजे से 2:30 बजे के बीच 7 सितंबर की तारीख को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अंतरिक्ष यान उतर जाएगा। चंद्रमा के इस जगह पर इससे पहले कोई नहीं गया है। वहीं, इसके अलावा भारत पहली बार और सॉफ्ट लैंडिग करने वाला दुनिया का चौथा मुल्क बन सकता है। इससे पहले सॉफ्ट लैंडिग का कारनामा करने वाले देश रूस, अमेरिका और चीन रहे हैं।

इसरो के चेयरमैन के. सिवन के मुताबिक लैंडिंग के वक्त 15 मिनट बेहद अहम होंगे। हम सॉफ्ट लैंडिंग को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हैं। रात का इंतजार है। सॉफ्ट लैंडिगं का मतलब है कि स्पेस के बिना किसी क्षति के लैंडिंग संपन्न हो जाए।

इसरो के मुताबिक चंद्रयान-2 का मकसद चंद्रयान -1 के अधूरे काम को पूरा करना है। चंद्रयान-1 अक्तूबर, 2008 में लांच किया गया था, जिसने चांद के उत्तरी ध्रुव की यात्रा की थी लेकिन चंद्रयान-2 चांज के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचेगा। यहां परछाई बड़ी और ज्यादा है। यानी उत्तरी ध्रुव के मुकाबले यहां अंधेरा ज्यादा है। वैज्ञानिकों का यह कयास भी है कि जहां ऐसी परिस्थिति है वहां पानी मिलने की उम्मीद भी सबसे ज्यादा है।

इसरो का दावा है कि चंद्रयान-2 चंद्रमा की उत्पत्ति, विस्तार और वहां के खनिज व सबसे प्रमुख पानी यानी जीवन की तलाश करेगा। इस अंतरिक्ष यान को चांद की अपरिचित जगह पर ले जाने वाले लैंडर को विक्रम नाम दिया गया है वहीं चांद पर पहुंचने के बाद जिस व्हीकल से चांद की जानकारी जुटाई जाएगी उसे प्रज्ञान नाम दिया गया है।

1,471 किलोग्राम के लैंडर का नाम विक्रम इसरो के संस्थापक और वैज्ञानिक डॉ विक्रम ए साराभाई के नाम पर रखा गया है जबकि चांद पर पहुंच जाने के बाद जानकारी जुटाने वाले रोवर का वजन 27 किलो है जिसे “प्रज्ञान” नाम दिया गया है। प्रज्ञान का अर्थ है अभ्यास, निरीक्षण या अध्ययन से हासिल होने वाली विशेष बुद्धि। भारत ने 1960 में अंतरिक्ष कार्यक्रमों की शुरुआत की थी।

लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान की जीवनसीमा एक चंद्र दिन यानी पृथ्वी के 14 दिन है। लैंडर विक्रम बंग्लुरू स्थितर भारतीय डीप स्पेस नेटवर्क और आर्बिटर और रोवर से भी संवाद करेगा। 

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