वैज्ञानिकों की खोज, रसायन मुक्त चाय उत्पादन में मददगार हो सकते हैं सूक्ष्मजीव

भारतीय वैज्ञानिकों ने अब चाय के पौधों की कोशिकाओं में पाए जाने वाले ऐसे सूक्ष्मजीवों की पहचान की है जो रासायनिक उर्वरकों के उपयोग के बिना चाय उत्पादन में मददगार हो सकते हैं

By Umashankar Mishra

On: Friday 19 July 2019
 

भारत में उत्पादित चाय का एक बड़ा हिस्सा निर्यात किया जाता है और यह अर्थव्यवस्था में अहम स्थान रखती है। लेकिन, रसायनों से मुक्त चाय की मांग बढ़ने से इसके निर्यात में गिरावट हो रही है। भारतीय वैज्ञानिकों ने अब चाय के पौधों की कोशिकाओं में पाए जाने वाले ऐसे सूक्ष्मजीवों की पहचान की है जो रासायनिक उर्वरकों के उपयोग के बिना चाय उत्पादन में मददगार हो सकते हैं।

इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने चाय के पौधों से प्राप्तकैमेलिया प्रजाति के 129 एंडोफाइटिक सूक्ष्मजीवों के उपभेदों के गुणों का अध्ययन किया है। एंडोफाइटिक पौधों में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले सूक्ष्मजीव होते हैं, जो पौधों के विकास को प्रभावित करते हैं। वैज्ञानिकों ने चाय के पौधों में पाए जाने वाले ऐसे सूक्ष्मजीवों की पहचान की है, जिन्हें प्रयोगशाला में संवर्द्धित करके बड़े पैमाने पर उनका उपयोग चाय के पौधों की वृद्धि को सकारात्मक रूप सेप्रभावित करने वालेघटक के तौर पर किया जा सकता है।

शोधकर्ताओं ने पौधों की वृद्धि को प्रभावित करने वाले दो एंडोफाइटिक बैक्टिरिया की क्षमता का परीक्षण नर्सरी में किया है। नर्सरी में चाय के पौधों को एंडोफाइट सूक्ष्मजीवों से उपचारित किया गया, जिससे पौधों की वृद्धि से जुड़े मापदंडों में बढ़ोत्तरी देखी गई है। इन मापदंडों में जड़ों का विस्तार, शाखाओं का वजन और पत्तियों की संख्या आदि शामिल हैं।वैज्ञानिकों ने पाया कि चाय के पौधों से प्राप्त इन एंडोफाइटिक बैक्टीरिया रूपों में फाइटोहोर्मोन उत्पादन, फॉस्फेट घुलनशीलता, नाइट्रोजन स्थिरीकरण जैसे पौधों के विकास को बढ़ावा देने वाले गुण होते हैं।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के गुवाहाटी स्थित स्वायत्त संस्थान इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी इन साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी से जुड़े प्रमुख शोधकर्ता डॉ देबाशीष ठाकुर ने इंडिया साइंस वायर को बताया कि “चाय के पौधों में पाए जाने वाले एंडोफाइटिक सूक्ष्मजीवों में पौधों के विकास लिए जरूरी फाइटोहोर्मोन उत्पादन, फॉस्फेट घुलनशीलता औरनाइट्रोजन स्थिरीकरण इत्यादि को बढ़ावा देने की क्षमता होती है। हमें अधिकांश एंडोफाइटिक सूक्ष्मजीव उपभेदों में कम से कम एक ऐसी विशेषता का पता चला है, जो चाय के पौधों की वृद्धि में मददगार हो सकती है।”

एंडोफाइट ऐसे सूक्ष्मजीवों को कहते हैंजो किसी जीव की कोशिकाओं के भीतर रहते हैं। स्वस्थ पौधों की कोशिकाओं में भी कई गैर-रोगजनक सूक्ष्मजीव पाए जाते हैं, जो चयापचय और अन्य जैविक प्रक्रियाओं को प्रभावित करते हैं। विभिन्न पर्यावरणीय परिस्थितियों और अलग-अलग वनस्पतियों के अनुसार एंडोफाइट सूक्ष्मजीवों के स्वरूप में भी विविधता पायी जाती है।

डॉ ठाकुर ने बताया कि “बदलती जलवायु के कारण चाय उत्पादन को प्रभावित होने से बचाने में एंडोफाइट सूक्ष्मजीवों की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है। एंडोफाइट सूक्ष्मजीव चाय की गुणवत्ता निर्धारित करने वाले पॉलिफेनॉल  तत्व को भी प्रभावित कर सकते हैं। इनके उपयोग से चाय को रसायनों से मुक्त रखकर उसकी गुणवत्ता बनाए रखने में मदद मिल सकती है।इनका उपयोग खाद्य फसलों के प्रबंधन और उनकी स्थिरता बनाए रखने में किया जा सकता है।”

शोधकर्ताओं का कहना है कि सामान्य वातावरण और दूसरी प्रचलित फसलों में पाए जाने वाले एंडोफाइट सूक्ष्मजीवों की तुलना में चाय के पौधों में पाए जाने वाले सूक्ष्मजीवों की विविधता और उपयोगिता का अध्ययन बहुत कम किया गया है। हालांकि, इन सूक्ष्मजीवों का उपयोग बड़े पैमाने पर करके पौधों की जैविक एवं अजैविक दुष्प्रभावों को सहन करने की क्षमता में बढ़ोत्तरी की जा सकती है।

इस अध्ययन से जुड़े शोधकर्ताओं में डॉ देबाशीष ठाकुर के अलावा ए. बोरा, आर. दास और आर. मजूमदार शामिल थे। यह अध्ययन शोध पत्रिका जर्नल ऑफ एप्लाइड माइक्रोबायलॉजी में प्रकाशित किया गया है। (इंडिया साइंस वायर)

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