रेफ्रिजेरेटेड या फ्रोजन मीट में एक महीने तक जीवित रह सकता है सार्स-कोव-2 वायरस, शोध में हुआ खुलासा

वैज्ञानिकों के मुताबिक सार्स-कोव-2 वायरस, रेफ्रिजेरेटेड या फ्रोजन मीट और फिश में करीब 30 दिनों तक जीवित रह सकता है और संक्रमण की वजह बन सकता है

By Lalit Maurya

On: Thursday 14 July 2022
 

अमेरिकन सोसाइटी फॉर माइक्रोबायोलॉजी के जर्नल एप्लाइड एंड एनवायरनमेंटल माइक्रोबायोलॉजी में प्रकाशित एक नई स्टडी से पता चला है कि सार्स-कोव-2 वायरस, रेफ्रिजेरेटेड या फ्रोजन मीट और फिश में एक महीने तक जीवित रह सकता है।

वैज्ञानिकों ने अपना यह शोध चिकन, बीफ, पोर्क और सैलमन मछली पर किया था जिनमें सार्स-कोव-2 के सामान वायरस मौजूद था। उन्होंने इन उत्पादों को 4 डिग्री सेल्सियस पर रेफ्रिजरेशन करने के साथ ही -20 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर फ्रीजर में रखा था।

इस बारे में शोध से जुड़ी प्रमुख शोधकर्ता एमिली एस. बेली ने जानकारी दी है कि हालांकि आप 30 दिनों के लिए फ्रिज में मांस को स्टोर नहीं कर सकते, लेकिन फ्रीजर में इसे लम्बे समय तक स्टोर किया जा सकता है। उनके अनुसार यह भी सामने आया है कि इस वायरस को एक महीने तक जमी हुई अवस्था में रखने के बाद भी संक्रमित कर सकता है।

वैज्ञानिकों ने इस शोध की शुरुआत यह जानने के बाद की थी कि दक्षिण पूर्व एशिया में उन स्थानों पर कोविड-19 का प्रकोप फैल रहा है जहां यह वायरस पहले लोगों में मौजूद नहीं था। मतलब साफ है कि जब वायरस लोगों के जरिए नहीं फैला था तो उसके फैलने के पीछे कोई न कोई वजह जरूर थी।

गौरतलब है कि इस वायरस के कारण होने वाली बीमारी जिसे कोविड-19 के रूप में जानते हैं उसने पूरी दुनिया को अपनी गिरफ्त में ले लिया था। हालात इतने बदतर हो गए थे कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मार्च 2020 को इसे एक वैश्विक महामारी घोषित कर दिया था। तब से लेकर अब तक यह महामारी 56.4 करोड़ लोगों को संक्रमित कर चुकी है, जबकि करीब 63.8 लाख लोग अब तक इस महामारी की भेंट चढ़ चुके हैं।

इस बारे में बेली का कहना है कि उन स्थानों पर प्रकाशित रिपोर्टों में पता चला था कि उन स्थानों पर प्रयोग हो रहे पैकेज्ड मीट उत्पाद, उन क्षेत्रों में उत्पादित होते हैं जहां कोरोनावायरस (सार्स-कॉव-2) का संक्रमण फैला हुआ था। ऐसे में यह मीट उत्पाद इस वायरस के संक्रमण का संभावित स्रोत हो सकते हैं।

क्या कुछ निकलकर आया है अध्ययन में सामने

अब बस वैज्ञानिकों को यह जानना था कि क्या यह वायरस इस ठन्डे वातावरण में इतने लम्बे समय तक जीवित रह सकता है या नहीं। इस शोध के जो निष्कर्ष सामने आए हैं उनसे स्पष्ट हो गया है कि यह सार्स-कोव-2 वायरस रेफ्रिजेरेटेड या फ्रोजन मीट में एक महीने तक जीवित रह सकता है। हालांकि शोधकर्ताओं के मुताबिक इस वायरस को ठंडे स्थानों पर स्टोर करने से इनकी संख्या में कमी देखी गई थी, यह कमी जमने वाले तापमान की तुलना में रेफ्रिजरेशन में ज्यादा देखी गई थी।    

वैज्ञानिकों के अनुसार यह रिसर्च इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि सार्स-कॉव-2 वायरस हमारी आंत के साथ-साथ श्वसन पथ में भी अपनी प्रतिकृतियां बना सकता है। अपने इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने एक आरएनए वायरस और जानवरों में मिलने दो अन्य कोरोनावायरसों के साथ म्यूरीन हेपेटाइटिस वायरस (एमएचवी) और ट्रांसमिसिबल गैस्ट्रोएंटेरिटिस वायरस को सरोगेट के रुप में इस्तेमाल किया है। 

ऐसे में शोधकर्ताओं का कहना है कि खाद्य पदार्थों की पैकेजिंग और स्टोर करते समय इस बात का ख्याल रखें जरुरी है कि उस समय वो इन वायरसों के संपर्क में न आएं। साथ ही इनमें मौजूद वायरस और कीटाणुओं को पैकेजिंग से पहले ही कीटाणुरहित करना जरुरी है।

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