सूरज के प्रकाश, कार्बन डाइऑक्साइड और पानी से बनाया मिट्टी का तेल

जर्मन के वैज्ञानिकों की अनूठी खोज की है, जिसे ऊर्जा के क्षेत्र में क्रांति माना जा रहा है

By DTE Staff

On: Friday 14 June 2019
 

जर्मन एयरोस्पेस सेंटर (डीएलआर) के अनुसार, जर्मन शोधकर्ताओं ने सूरज के प्रकाश, कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ 2) और पानी का उपयोग करके मिट्टी का तेल तैयार किया है। जर्मन शोधकर्ताओ की यह खोज ऊर्जा क्षेत्र में क्रांति लाने की क्षमता रखती है।

ईटीएच ज्यूरिख के शोधकर्ताओं ने एक तकनीक विकसित की है, जो पानी और सीओ2 से तरल हाइड्रोकार्बन ईंधन को संश्लेषित करने के लिए सौर ऊर्जा का उपयोग करती है। इस उत्पाद के लिए, सीओ2 और पानी को सीधे हवा से लिया जाता है और सौर ऊर्जा का उपयोग करके विभाजित किया जाता है।

हाइड्रोजन और कार्बन मोनोऑक्साइड के मिश्रण से इस प्रक्रिया में संश्लेषण गैस या सिगैस निकलता है। इसे बाद में संसाधित किया जाता है और केरोसिन, मेथनॉल या अन्य हाइड्रोकार्बन में परिवर्तित किया जाता है।बृहस्पतिवार को जारी बयान में, परियोजना समन्वयक एंड्रियास सिज़मैन ने कहा, "इस तकनीक से परिवहन क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाले ईंधन की आपूर्ति आसानी हो जाएगी। खासकर विमानन और शिपिंग क्षेत्र में, जहां लंबी दूरी के लिए तरल ईंधन पर निर्भर रहता है।"

डीएलआर के मुताबिक, यह तकनीक यूरोपियन यूनियन के सन-टू-लिक्विड प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जो कि जनवरी 2016 में परिवहन क्षेत्र को डीकार्बोनाइज करने के उद्देश्य से शुरू हुआ था। यह पहली बार प्रयोगशाला में परीक्षण किया गया था और फिर स्पेन में सौर टॉवर का उपयोग करके वास्तविक परिस्थितियों में इसे तैयार किया गया।

जर्मनी से काम करने वाले जलवायु परिवर्तन पत्रकारों के नेटवर्क क्लीन एनर्जी वायर के अनुसार, अगर इसकी तुलना जीवाश्म ईंधन के साथ की जाए, तो सन-टू-लिक्विड 90 प्रतिशत से अधिक सीओ2 उत्सर्जन में कटौती करता है। इस परियोजना में वायुमंडल से सीओ2 निकालने का भी इरादा है।

डीएलआर ने कहा कि "भविष्य की वैश्विक केरोसिन की मांग नवीकरणीय सौर ईंधन के साथ कवर की जा सकती है जो एक अच्छी पहल है। शोधकर्ताओं के अनुसार, ज्यूरिख में स्थित सौर मिनी-रिफाइनरी ने यह साबित कर दिया है कि ज़्यूरिख की जलवायु स्थिति में भी यह टैक्नोलॉजी संभव है। वर्तमान में, मिनी-रिफाइनरी प्रति दिन लगभग एक लीटर ईंधन का उत्पादन करती है। इसके बाद टीम का उद्देश्य औद्योगिक इस्तेमाल के लिए प्रौद्योगिकी को पैमाना बनाना और इसे आर्थिक रूप से प्रतिस्पर्धी बनाना है।

Subscribe to our daily hindi newsletter