जानें, उम्र से कैसे प्रभावित होती हैं मानव वसा कोशिकाएं
नए अध्ययन से पता चलता है कि मानव वसा चयापचय में उम्र के आधार पर परिवर्तन अलग तरीके से होते हैं
On: Monday 29 June 2020
मानव वसा (फैट) ऊतक उम्र से कैसे प्रभावित होता है, इसकी जानकारी का पता लंबे समय से कई चूहों पर किए गए अध्ययनों के आधार पर लगा है। स्वीडन में कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने अब पहली बार मनुष्यों पर एक अध्ययन कर इसके बारे में पता लगाया है। हमारे वसा कोशिकाओं को उम्र के साथ लिपिड चयापचय (मेटाबोलिज्म) को कम करने के बारे में एक नई जानकारी प्रदान करता है।
यह भी पढ़ें: पसीने से विटामिन सी के लेवल का पता लगाएगा यह सेंसर
जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, हमारे अंगों में भी कई परिवर्तन होते हैं जो शारीरिक कार्य को प्रभावित करते हैं। चूहों पर किए गए पहले के अध्ययनों से पता चला है कि वसा ऊतक में मैक्रोफेज नॉरएड्रेनालाईन को कम करना शुरू कर देता है। मैक्रोफेज नॉरएड्रेनालाईन एक हार्मोन है जो लिपोलिसिस (लिपिड के टूटने) को उत्तेजित करता है।
यह भी पढ़ें: नई तकनीक से 20 मिनट में लग जाएगा एंटी-वायरस एंटीबॉडी का पता
लंबे समय से माना जा रहा है कि चूहों की तरह मनुष्यों के पास भी एक समान तंत्र है, लेकिन नए अध्ययन से पता चलता है कि मानव वसा चयापचय में उम्र के आधार पर परिवर्तन अलग तरीके से होते हैं। चयापचय के काम में बदलाव भी इसके आधार पर होता है। मैक्रोफेज के बजाय, जो एक प्रकार की प्रतिरक्षा कोशिका हैं, यह वसा कोशिकाएं हैं जो उम्र के साथ नोरड्रेनलाइन को कम कर देती हैं।
यह भी पढ़ें: जानिए, क्यों मिट्टी लगाने से रुक जाता है खून का बहना
करोलिंस्का इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर और अध्ययनकर्ता मिकेल रिडेन ने कहा हम जानवरों और मनुष्यों के बीच इस अंतर को देखकर आश्चर्यचकित थे। पहले चूहों पर किए गए अध्ययन सही हैं, लेकिन मनुष्यों पर इसी तरह के अध्ययन करना कठिन है। अध्ययन सेल मेटाबॉलिज्म पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
आयु का वसा से स्पष्ट संबद्ध
परियोजना की नींव कई साल पहले रखी गई थी जब 30 और 35 वर्ष की आयु के बीच की महिलाओं पर एक आहार सम्बंधित अध्ययन किया गया था, जिसमें उनके आहार के दौरान और बाद में वसा के नमूने लिए गए थे। नमूने लेने के 13 साल बाद, अध्ययन के फॉलो-अप के लिए उन्हीं महिलाओं से संपर्क किया गया।
यह भी पढ़ें: इंजीनियरिंग के छात्रों ने बनाया कम लागत वाला वेंटिलेटर
राइडेन बताते हैं कि हमारे निष्कर्ष मनुष्यों में जैविक उम्र द्वारा नियंत्रित होने वाले वसा ऊतक में होने वाले परिवर्तन पर पहली जानकारी प्रदान करते हैं। हम पाते हैं कि वसा ऊतक में लिपोलिसिस समय के साथ कम हो जाता है। ये परिवर्तन भी रजोनिवृत्ति या गर्भावस्था से अलग लगते हैं। ये बस उम्र बढ़ने का परिणाम होता है।
वसा का टूटना शरीर के कार्य को प्रभावित करता है
लिपोलिसिस के कम होने से वजन बढ़ने और अन्य ऊतक में वसा जमा हो सकता है। उदाहरण के लिए, एथेरोस्क्लेरोसिस इस प्रक्रिया का एक परिणाम हो सकता है, साथ ही साथ ठंड और भूख से निपटने के लिए शरीर की क्षमता में परिवर्तन भी हो सकता है। एथेरोस्क्लेरोसिस धमनी की दीवारों पर वसा, कोलेस्ट्रॉल और अन्य पदार्थों का निर्माण करता है। अध्ययन के परिणाम भी मोटापे के संबंध में दिलचस्प हैं। मोटापा एक बढ़ती हुई समस्या है जिससे लोगों को कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं।
दर्द से राहत देगी मकड़ी के जहर से बनी दवा, साइड-इफेक्ट्स भी नहीं होंगे
करोलिंस्का इंस्टीट्यूट निकल्स मेजर्ट कहते हैं कि पहले यह भी माना गया था कि वसा कोशिका काफी निष्क्रिय होती है, लेकिन हमें संदेह है कि बहुत अधिक सक्रिय है। यदि हम अधिक नियंत्रित तरीके से वसा के जमा होने को नियंत्रित कर सकते हैं, तो इससे बहुत बड़ा लाभ हो सकता है।
अध्ययन के परिणाम बताते हैं कि वसा ऊतक कम प्रभावी क्यों हो जाते हैं और उम्र के साथ लिपोलिसिस कैसे कम हो जाता है। भविष्य में उपचारों को खोजने के लिए किए जा रहे प्रयासों में अहम भूमिका निभा सकते हैं। वसा ऊतक के कार्य को बेहतर बनाने में सक्षम हैं।