अब आपको मच्छरों से बचाएंगे ग्रेफीन के बने कपड़े

अत्यंत पतली लेकिन मजबूत ग्रेफीन हमारे शरीर ओर मच्छर के बीच एक बाधा के रूप में कार्य करती है

By Lalit Maurya

On: Tuesday 27 August 2019
 
Photo: Creative commons

एक नए अध्ययन से पता चला है कि ग्रेफीन मच्छरों से बचाव का एक कारगर उपाय है। अत्यंत पतली लेकिन मजबूत ग्रेफीन जहां एक ओर हमारे शरीर और मच्छर के बीच एक बाधा के रूप में कार्य करती है, वहीं दूसरी ओर यह उन रासायनिक संकेतों को अवरुद्ध कर देती है, जिससे मच्छरों को रक्त के पास होने का पता चलता है।

ग्रेफीन एक अणु की मोटाई वाली सामान्य कार्बन की एक पतली परत है । मूलतः यह कार्बन का एक द्वि-आयामी अपरूप है जिसकी खोज सन् 2004 में हुई थी । अपने विशिष्ट गुणों के कारण सौर ऊर्जा से लेकर टेनिस रैकेट तक अनेकों चीजों में इसका प्रयोग किया जाता है। लेकिन ब्राउन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा  किए गए अध्ययन में इसका एक आश्चर्यजनक और नया उपयोग सामने आया है, वो यह कियह हमें मच्छरों के काटने से बचा सकती है ।

मच्छरों को काटने से कैसे रोकता है, ग्रेफीन

प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित पेपर के अनुसार ग्रेफीन मच्छरों के काटने के खिलाफ दो तरीके से सुरक्षा प्रदान करता है । जहां एक ओर यह हमारे शरीर और मच्छर के बीच एक बाधा के रूप में कार्य करता है, जिससे मच्छर काटने में असमर्थ हो जाते हैं । क्योंकि मधुमक्खी के छत्ते जैसी सरंचना वाला यह पदार्थ पतला होने के साथ-साथ अत्यंत मजबूत भी होता है । वहीं दूसरी ओर यह उन रासायनिक संकेतों को अवरुद्ध कर देता है, जिससे मच्छरों को रक्त के पास होने का पता चलता है । शोधकर्ताओं का कहना है कि निष्कर्ष बताते हैं कि ग्रैफीन से बने कपडे मच्छरों को रोकने में प्रभावी भूमिका निभा सकते हैं ।

ब्राउन स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग में प्रोफेसर और इस पेपर के वरिष्ठ लेखक रॉबर्ट हर्ट ने बताया कि, "मच्छर बीमारियों को फ़ैलाने का एक महत्वपूर्ण घटक हैं और दुनिया भर में इन्हे रोकने के केमिकल मुक्त उपायों पर बहुत जोर दिया जा रहा है। जब हम ऐसे कपडे़ पर काम कर रहे थे, जिसमें ग्रेफीन की सहायता से हानिकारक केमिकल को रोका जा सके। इसके अन्य पहलुओं पर गौर करने पर हमें यह विचार आया कि ग्रेफीन मच्छरों के खिलाफ भी सुरक्षा प्रदान कर सकता है।
 
यह पता लगाने के लिए कि क्या यह काम करेगा, शोधकर्ताओं ने कुछ ऐसे लोगों पर अध्ययन करना शुरू किया जो अपने आप को मच्छरों से कटवाने के लिए तैयार थे। उन लोगों के केवल हाथों को मच्छरों से भरे घेरे के अंदर किया गया, जिससे मच्छर केवल उनकी त्वचा के एक छोटे से हिस्से पर ही काट सके। इस बात को ध्यान में रखकर कि यह मच्छर रोगमुक्त हो इन्हें प्रयोगशाला में ही विकसित किया गया था।
 
शोधकर्ताओं ने मच्छरों से कटवाने के लिए तीन तरह के सैंपल तैयार किये पहला बिना किसी सुरक्षा के त्वचा पर, दूसरा चीज़क्लोथ में कवर की गई त्वचा पर और तीसरा चीज़क्लोथ में लिपटी एक ग्रेफीन ऑक्साइड (जीओ) फिल्म द्वारा कवर की गई त्वचा पर । शोधकर्ताओं ने पाया कि ग्रेफीन ऑक्साइड (जीओ) फिल्म द्वारा कवर की गई त्वचा पर मच्छरों के काटने का कोई निशान नहीं था, जबकि नग्न त्वचा पर और चीज़क्लोथ से कवर की गई त्वचा पर मच्छरों के काटने के अनेक निशान पाए गए थे । वैज्ञानिकों को यह जानकर हैरानी हुई कि ग्रेफीन से ढकी त्वचा पर मच्छरों का व्यवहार पूरी तरह से बदल गया था ।

आखिर क्यों जरुरी है मच्छरों से बचाव

हैरान कर देने वाला सच है कि मच्छर दुनिया के सबसे खतरनाक जीवों में से एक हैं । इनके द्वारा फैली बीमारियों से हर वर्ष लाखों लोगों को अपनी जान गवानी पड़ती है । दुनिया भर में पिछले 30 वर्षों में डेंगू की घटनाएं में 30 गुना बढ़ गयी हैं । जीका, डेंगू, चिकनगुनिया, पीला बुखार, यह सभी बीमारियां एडीज एजिप्टी मच्छर द्वारा मनुष्यों में फैलती हैं। एनोफिलीज मच्छर, मलेरिया फैलाने के लिए जिम्मेदार होते हैं और क्यूलेक्स मच्छरों के कारण जापानी इन्सेफेलाइटिस, लिम्फेटिक फाइलेरिया, वेस्ट नाइल फ़ीवर जैसी बीमारियां फैलती हैं । गौरतलब है कि दुनिया की आधी से अधिक आबादी उन क्षेत्रों में रहती है जहां मच्छरों की यह प्रजाति मौजूद है । विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2018 के अनुसार, जहां 2017 में मलेरिया के21.9 करोड़ मामले सामने आये थे । वहीं दुनिया भर में इसके द्वारा 435,000 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था | जिसकासबसे अधिक बोझ अफ्रीका उठा रहा है । गौरतलब है कि विश्व में मलेरिया से होने वाली 93 फीसदी मौतें अफ्रीका में ही होती हैं, वहींइसके 61 फीसदी शिकार 5 साल से कम उम्र के बच्चे होते हैं ।

स्पष्ट है कि मच्छर हमारे लिए एक बड़ा खतरा हैं और ग्रेफीन भविष्य में मच्छरों के काटने और उसकी रोकथाम के लिए एक केमिकल मुक्तविकल्प हो सकता है। क्योंकि दुनिया भर में मच्छरों से बचाव के लिए बड़े पैमाने पर हानिकारक केमिकल और इंसेक्टिसाइड में डुबाई हुई मच्छरदानियों का प्रयोग किया जाता है, जो स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के लिए एक बड़ा खतरा है।

Subscribe to our daily hindi newsletter