शोधकर्ताओं ने जीन में बदलाव कर धान की उपज को 40 फीसदी बढ़ाया

शोधकर्ताओं ने पाया कि उनके बदले हुए चावल के पौधे नाइट्रोजन को मिट्टी से अधिक कुशलता से खींचकर, फूल आने में तेजी लाकर अपनी पैदावार बढ़ाने में सक्षम थे।

By Dayanidhi

On: Wednesday 03 August 2022
 

जैसे-जैसे दुनिया की आबादी बढ़ती जा रही है, दुनिया भर के वैज्ञानिक बढ़ती फसलों में उपयोग के लिए उपलब्ध भूमि से अधिक उपज हासिल करने के तरीकों की तलाश कर रहे हैं।

इसी क्रम में शोधकर्ताओं की एक टीम ने धान के पौधों में परीक्षण कर एक निश्चित जीन में बदलाव कर चावल की उपज में 40 फीसदी की वृद्धि की है। शोध में लगातार बढ़ती जनसंख्या की बढ़ती खाद्य मांगों को पूरा करने के लिए चावल की पैदावार में सुधार करने का वर्णन किया है।

यह कारनामा जर्मनी के एक सहयोगी के साथ काम करते हुए चीन के शोधकर्ताओं ने किया है। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के स्टीवन केली ने चीन में टीम द्वारा किए गए कार्यों का उल्लेख किया है।

इस नए प्रयास में, शोधकर्ताओं ने चावल का अधिक उत्पादन करने के लिए अलग-अलग पौधों के आनुवंशिक रूप से डीएनए को बदलकर चावल की पैदावार में सुधार करने के तरीकों पर गौर किया।

मनुष्यों ने जिन पौधों को खेती करने के लिए चुना, वे कई वर्षों पहले हुई कई घटनाओं के कारण लोगों द्वारा खेती की जाने लगीं। हालांकि, ऐसे पौधों के अध्ययन से पता चला है कि वे सभी प्रकाश संश्लेषण में समान रूप से अच्छे नहीं हैं। मकई, उदाहरण के लिए, बहुत ही कुशल है, जबकि चावल बहुत कम है।

इस प्रकार, वैज्ञानिक चावल में प्रकाश संश्लेषण की दक्षता में सुधार करने की कोशिश कर रहे हैं और कुछ मामलों में सुधार भी किए गए हैं।

इस नए प्रयास में शोधकर्ताओं ने एक अलग तरीका अपनाया। उनका काम शुरू हुआ, जैसा कि केली ने गौर किया कि, यह पूछकर कि चावल कैसे कम पोषण जैसी चुनौतियों का जवाब देता है।

उन्होंने पाया कि जीन में सुधार किए गए पौधे नाइट्रोजन की कमी वाली मिट्टी में बढ़ रहे थे। फिर उन्होंने दूसरे पौधे के जीन की दूसरी प्रति को उसके डीएनए में जोड़कर इन पौधों की क्षमता को बढ़ाया।

उन्हें एक नियंत्रण समूह की तुलना में 12 फीसदी से 40 फीसदी अधिक चावल के उत्पादन की दूसरी प्रति वाले पौधे मिले। उन्होंने यह भी पाया कि गेहूं के पौधों के साथ ऐसा करने से उपज में 10 फीसदी तक की वृद्धि हुई।

शोधकर्ताओं ने पाया कि उनके बदले हुए चावल के पौधे नाइट्रोजन को मिट्टी से अधिक कुशलता से खींचकर और फूल आने में तेजी लाकर अपनी पैदावार बढ़ाने में सक्षम थे।

शोधकर्ताओं ने इस बात पर ध्यान दिया कि उनकी तकनीक को जीन में सुधार करने की तकनीकों का उपयोग करके अच्छी तरह से किया जा सकता है। जिसमें किसी अन्य पौधे से जीन का उपयोग शामिल नहीं होता है, जो व्यावसायिक उत्पादों में इसके उपयोग के प्रतिरोध को कम कर सकता है। यह शोध जर्नल साइंस में प्रकाशित हुआ है। 

Subscribe to our daily hindi newsletter