वैज्ञानिक ने लार के नमूने के लिए बनाई किट, तपेदिक, स्तन कैंसर जैसी बीमारियों की जांच में अहम

लार के नमूने लेने वाली यह किट दूरस्थ और ग्रामीण क्षेत्रों में तपेदिक, स्तन कैंसर जैसी बीमारियों की जांच के लिए लाभदायक है

By Dayanidhi

On: Friday 11 November 2022
 

दुनिया भर में कोविड-19 महामारी के कहर से कई जिंदगियां तबाह हो गई हैं और अभी भी लोग इस मुश्किल से जूझ रहे हैं। हालांकि, भारतीय शोधकर्ताओं, उद्योगपतियों और छोटे उद्यमियों के गहन प्रयासों के कारण, देश में आरटी-पीसीआर परीक्षण किट, कोविड के टीके, पीपीई किट और मास्क आदि जैसे महत्वपूर्ण चीजों का विकास हुआ। 

भारत में स्वास्थ्य सेवा को और मजबूत बनाने के लिए, प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड ने वैज्ञानिकों को लार नमूना संग्रह किट (सैलाइवा डायरेक्ट सैंपल कलेक्शन किट) के विकास और व्यवसायीकरण के लिए सहायता प्रदान की है।

यह किट संक्रामक रोगों और कैंसर का पता लगाने तथा इसके आणविक निदान को आगे बढ़ाएगी। एमटीएम उपयुक्त प्रयोगशाला को आरएनए को अलग करने (आइसोलेशन प्रोटोकॉल) को सक्षम बनाते हुए डीएनए को अलग करने की भी सुविधा प्रदान करता है। संक्रामक रोगजनकों के लिए उपयोग होने वाले मौजूदा पारंपरिक संग्रह विधि, वीटीएम, प्रयोगशाला में परीक्षणों के दौरान वायरस को जीवित रखती है।

जबकि यह नया तरीका नमूना संग्रह के समय विषाणु को निष्क्रिय कर देता है और इस प्रकार संक्रमण के फैलने से बचा जा सकता है। इसके अलावा इस नई तकनीक का उद्देश्य नमूना संग्रह प्रक्रिया के दौरान परीक्षण तक पहुंच और रोगी को आराम पहुंचाने दोनों में ही सुधार करना है।

इस नई तकनीक को यातायात के दौरान भयंकर गर्मी में नमूने को संरक्षित करने की आवश्यकता नहीं होती है। यह नई संग्रह किट दूरस्थ या ग्रामीण क्षेत्रों से नमूनों के बेहतर तरीके से एकत्र करने में मदद करती है और नासॉफिरिन्जियल स्वैब की तुलना में कम कष्टकारक होती है।

कोविड-19 महामारी की शुरुआत में, क्रिया (केआरआईवाईए) जो भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) से अनुमोदित नासॉफिरिन्जियल स्वैब-आधारित नमूना संग्रह किट के साथ सामने आई थी। क्रिया ने सफलतापूर्वक इस किट का निर्माण किया और अंतर्राष्ट्रीय संकट के दौरान सरकारी अस्पतालों और अग्रणी प्रयोगशाला में सहयोग प्रदान किया।

क्रिया (केआरआईवाईए) का नेतृत्व अनुराधा मोटुरी द्वारा किया गया है जिनका उद्देश्य भारत और अन्य उभरते बाजार वाले देशों में विश्व स्तरीय, अत्याधुनिक स्वास्थ्य संबंधी तकनीकों का विकास करना है। क्रिया का लक्ष्य चिकित्सा समाधानों का एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है जो बड़ी बीमारियों का इलाज करने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म के साथ नैदानिक उपकरणों को एक साथ लाए। इनका उद्देश्य पिछड़े इलाकों में बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं को आगे बढ़ाना है।

प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड के सचिव राजेश कुमार पाठक ने कहा कि भारत ने समय-समय पर जब सबसे अधिक आवश्यकता पड़ी, तब नए समाधान देने की क्षमता दिखाई है। स्टार्ट-अप्स के लिए सस्ती कीमतों पर ऐसी और अधिक नई तकनीकों के साथ आगे आने का इससे अधिक सही समय अब और नहीं हो सकता है।

इस दशक को 'टेकेड' कहा गया है जो निजी संस्थाओं के बीच आत्मनिर्भरता और जमीनी स्तर पर क्षमता का उपयोग करके भारत के स्वास्थ्य के क्षेत्र में नई तकनीकों को बढ़ावा देना है।

Subscribe to our daily hindi newsletter