अध्ययन: उल्टी दिशा में घूम सकता है पृथ्वी का केंद्र, क्या बढ़ेगी भूकंप आने की घटनाएं?

पृथ्वी के आंतरिक कोर ने पहले 1970 के दशक की शुरुआत में दिशा बदल दी थी और अनुमान लगाया गया था कि अगला बदलाव 2040 के मध्य में होगा

By Dayanidhi

On: Wednesday 25 January 2023
 
फोटो साभार : विकिमीडिया कॉमन्स नासा/जीएसएफसी/रेटो स्टॉक्ली, नाजमी एल सेलियस और मैरिट जेंटोफ़्ट-निल्सन

एक नए शोध में कहा गया कि पृथ्वी का अंदरूनी हिस्सा जो कि गर्म और ठोस लोहे से बना है, जिसका आकार प्लूटो के सामान है। इसी से धरती में गुरुत्वाकर्षण बल का निर्माण होता है। ऐसा पृथ्वी के केंद्र में एक ही दिशा में घूमने के कारण होता है। यदि पृथ्वी का घुमाव कुछ पलों के लिए रुक जाए या विपरीत दिशा में घूमने लगे तो क्या असर पड़ेगा, क्या इसका गुरुत्वाकर्षण बल समाप्त हो जाएगा या भूकंप या अन्य तरह के प्रभाव पड़ेंगे। 

हम जिस सतह पर रहते हैं, उससे लगभग 5,000 किलोमीटर नीचे, यह ग्रह के भीतर का ग्रह स्वतंत्र रूप से घूम सकता है क्योंकि यह तरल धातु के बाहरी कोर में तैरता रहता है। वास्तव में आंतरिक कोर कैसे घूमता है यह वैज्ञानिकों के बीच बहस का विषय रहा है, इस नए शोध से इस विवाद के और बढ़ने के आसार हैं।

भूकंपीय तरंगों में छोटे अंतर को मापने से आंतरिक कोर की जानकारी मिलती है, यह भूकंप या कभी-कभी परमाणु विस्फोटों द्वारा निर्मित होते हैं जब वे पृथ्वी के मध्य से गुजरते हैं।

आंतरिक कोर की गतिविधि पर नजर रखने के लिए किए गए शोध में, पिछले छह दशकों में भूकंपों को दोहराते हुए भूकंपीय तरंगों का विश्लेषण किया गया।

चीन के पेकिंग विश्वविद्यालय के शोधकर्ता शियाओडोंग सोंग और यी यांग ने कहा कि उन्होंने पाया कि आंतरिक कोर का घुमाव 2009 के आसपास रुक गया और फिर विपरीत दिशा में मुड़ गया। उन्होंने कहा हम मानते हैं कि आंतरिक कोर पृथ्वी की सतह के सापेक्ष, आगे और पीछे, एक झूले की तरह घूमता है।

उन्होंने बताया झूले का एक चक्र लगभग सात दशकों का होता है, जिसका अर्थ है कि यह लगभग हर 35 साल में दिशा बदलता है। इसने पहले 1970 के दशक की शुरुआत में दिशा बदल दी थी और अनुमान लगाया गया था कि अगला बदलाव 2040 के मध्य में होगा।

शोधकर्ताओं ने कहा कि यह घुमाव मोटे तौर पर दिन की लंबाई कहे जाने वाले बदलावों के अनुरूप होता है, जो कि पृथ्वी को अपनी धुरी पर घूमने में लगने वाले समय में होने वाले छोटे बदलाव हैं।

अभी तक इस बात की बहुत कम जानकारी मिली है कि आंतरिक कोर जो करता है उसका सतह के निवासियों पर अधिक प्रभाव पड़ता है। लेकिन शोधकर्ताओं ने कहा कि उनका मानना है कि आंतरिक कोर से सतह तक पृथ्वी की सभी परतों के बीच भौतिक संबंध थे।

उन्होंने कहा हमें उम्मीद है कि हमारा अध्ययन कुछ शोधकर्ताओं को ऐसे मॉडल बनाने और परीक्षण करने के लिए प्रेरित कर सकता है जो पूरी पृथ्वी को एक  गतिशील प्रणाली के रूप में मानते हैं।

कुछ विशेषज्ञ जो अध्ययन में शामिल नहीं थे उन्होंने कई अन्य सिद्धांतों की ओर इशारा करते हुए इसके निष्कर्षों के बारे में सावधानी बरती और चेतावनी दी कि पृथ्वी के केंद्र के बारे में कई रहस्य बने हुए हैं।

दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के भूकंप विज्ञानी जॉन विडाले ने कहा, यह वैज्ञानिकों द्वारा बहुत अधिक आंकड़े डालने वाला एक बहुत ही सावधानीपूर्वक किया गया अध्ययन है। उन्होंने कहा मेरी राय में कोई भी मॉडल सभी आंकड़ों को बहुत अच्छी तरह से समझाता नहीं है।

विडाले ने पिछले साल एक शोध प्रकाशित किया था जिसमें कहा गया था कि आंतरिक कोर हर छह साल में दिशा बदलते हुए कहीं अधिक तेजी से दोलन करता है। उनका काम 1960 के दशक के अंत और 1970 के दशक की शुरुआत में दो परमाणु विस्फोटों से उत्पन्न भूकंपीय तरंगों पर आधारित था।

वह समय सीमा उस बिंदु के आसपास है जब शोध में कहा गया है कि आंतरिक कोर ने अंतिम दिशा बदल दी है, जिसे विडाले ने एक प्रकार का संयोग कहा है।

एक अन्य सिद्धांत जिसके बारे में विडाले ने कहा कि इसके समर्थन में कुछ पक्के सबूत हैं, यह है कि आंतरिक कोर केवल 2001 से 2013 के बीच महत्वपूर्ण रूप से स्थानांतरित हुआ और तब से बना हुआ है।

ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के एक भूभौतिकीविद् ह्रोजे तलकसिक ने शोध प्रकाशित किया है जिसमें सुझाव दिया गया है कि नवीनतम अध्ययन में प्रस्तावित 70 के बजाय आंतरिक कोर का चक्र हर 20 से 30 साल का है।

टाल्सिक ने कहा इन गणितीय मॉडलों में सबसे अधिक गलती होने के आसार हैं, क्योंकि वे देखे गए आंकड़ों का अवलोकन करते हैं। इसलिए, भू-भौतिकीय से जुड़े विशेषज्ञ इस खोज को लेकर आपस में बटे हुए है और आगे भी यह विषय विवादास्पद रहेगा।

उन्होंने सीस्मोलॉजिस्ट की तुलना डॉक्टरों से की जो अपूर्ण या सीमित उपकरणों का उपयोग करके रोगियों के शरीर के आंतरिक अंगों का अध्ययन करते हैं। यह उसी तरह है जैसे सीटी स्कैन जैसी किसी चीज की कमी, जिसके कारण पृथ्वी के अंदर की चीजों को लेकर हमारी छवि अभी भी धुंधली है।

विडले ने कहा इसमें एक सिद्धांत को शामिल किया जा सकता है जो आंतरिक कोर में इसके अंदर एक और लोहे की गेंद हो सकती है। कुछ हो रहा है और मुझे लगता है कि हम इसका पता लगाने जा रहे हैं। लेकिन इस काम में एक दशक लग सकता है। यह शोध नेचर जियोसाइंस नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

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