94 फीसदी तक वायरसों का सफाया करते है समुद्री जीव : अध्ययन

एक अध्ययन में पता चला है कि विभिन्न प्रकार के समुद्री जानवर ऑक्सीजन और भोजन के लिए समुद्री जल को छानते हुए वायरस के अणुओं का सफाया कर सकते हैं

By Dayanidhi

On: Sunday 29 March 2020
 

एक अध्ययन में पता चला है कि समुद्री जीव वायरसों को आसानी से निपटा देते हैं। विभिन्न प्रकार के समुद्री जानवर ऑक्सीजन और भोजन के लिए समुद्री जल को छानते हुए वायरस के अणुओं का सफाया कर सकते हैं।

अध्ययन की अगुवाई कर रही रॉयल नीदरलैंड्स इंस्टीट्यूट फॉर सी रिसर्च (एनआईओजेड) के जेनिफर वेल्श कहती हैं कि जब एक वायरस किसी कोशिका को संक्रमित करता है, तब यह नए वायरस को बनाने के लिए होस्ट का उपयोग करता है। इसके बाद वे कई और नई कोशिकाओं को संक्रमित कर सकते हैं। लेकिन वेल्श ने पाया कि समुद्र के एक गिलास पानी में 15 करोड़ से अधिक वायरस के अणु पाए जाते हैं। समुद्री जानवर इन वायरस के अणुओं को भोजन के रूप में खाकर समाप्त कर सकते हैं। यह अध्ययन नेचर साइंटिफिक रिपोर्ट में प्रकाशित हुआ है।

उदाहरण के लिए, जापानी सीप समुद्री पानी को छानकर ऑक्सीजन या भोजन जैसे कि शैवाल और बैक्टीरिया को अलग कर देता है। ऐसा करते समय, यह वायरस के अणुओं को निगल जाता है। वेल्श ने कहा कि हमारे प्रयोगों के दौरान हमने सीपों को कोई भोजन नहीं दिया और इसलिए उन्होंने केवल ऑक्सीजन के लिए पानी को फिल्टर किया। जापानी सीपों ने पानी से 12 प्रतिशत वायरस के अणुओं को हटा दिया।

सीपों की यह संख्या उन सभी प्रजातियों के चौथे स्थान पर आती है, जो वेल्श द्वारा टेक्सल पर एनआईओजेड वायरस इकोलॉजी लैब में देखी गई थी। प्रयोगों के दौरान देखा गया कि स्पंज ने तीन घंटों के भीतर वहां मौजूद वायरसों को 94 प्रतिशत तक कम कर दिया था।

एक अन्य प्रयोग से पता चला कि वायरस का सफाया वास्तव में बहुत जल्दी और प्रभावी रूप से होता है, भले ही हर 20 मिनट में पानी में नए वायरसही क्यों न छोड़ दिए हों, लेकिन स्पंज ने वायरस को हटा दिया। 

अब तक इस बारे में जानकारी नहीं थी कि समुद्री जानवरों की कई प्रजातियां वायरस की आबादी पर कितना महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती हैं।

वेल्श का कहना है कि प्रयोगों के दौरान उपयोग किए गए जीवों के परिणाम में और प्राकृतिक तौर पर निवास करने वाले जानवरों में अंतर हो सकता है। समुद्र की स्थिति बहुत अधिक जटिल होती है, क्योंकि वहां कई अन्य पशु प्रजातियां मौजूद होती हैं और एक दूसरे को प्रभावित करती हैं। 

उदाहरण के लिए, यदि एक सीप समुद्र में फिल्टर कर रहा है और एक केकड़ा सामने से आता है, तो सीप अपने वाल्व को बंद कर देता है और फिल्टर करना बंद कर देता है।

एक्वाकल्चर के लिए बहुत उपयोगी

यह नई जानकारी समय के साथ मत्स्यपालन में उपयोगी हो सकती है। इस क्षेत्र में मछली या शेलफिश जो खाने के तौर पर उपयोग की जाती है। उन्हें बाड़ों में रखा जाता है, जैसे कि समुद्री पिंजरे या बेसिन में, जिससे समुद्र का सीधा संबंध होता है। मत्स्यपालन (एक्वाकल्चर) समुद्र में मछली पकड़ने के एक स्थायी विकल्प के रूप में काफी मशहूर होता जा रहा है, लेकिन ज्यादातर प्रकृति संरक्षणवादी इसकी आलोचना करते हैं।

 

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