फसल में रोगों की पहचान करने के लिए भारतीय वैज्ञानिकों ने बनाया ऐप

मोबाइल फोन ऐप से किसानों को रोगग्रस्त पत्ती का एक स्नैपशॉट लेना होगा और ऐप छवि का विश्लेषण कर फसल में लगी बीमारी की पहचान करेगा

By Dayanidhi

On: Friday 26 March 2021
 

वर्तमान में किसानों को बहुत सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है और उनमें से एक मुख्य समस्या पौधों की बीमारियों के कारण है। रोग कवक ऊर्जा के रूप में उन पौधों से खाना लेते हैं, जिन पर वे रहते हैं। फसलों पर लगने वाली बीमारियां भारी नुकसान के लिए जिम्मेदार होती हैं, अधिकांश किसान बड़े नुकसान से प्रभावित हो रहे हैं क्योंकि उन्हें उनकी फसल के लिए एक निश्चित बीमारी का सही समाधान नहीं मिल रहा है।

इस शोध का पहला लक्ष्य पौधों में आम बीमारियों का पता लगाना, अधिकतम समाधान और सुझाव देना है जो फसलों में लगने वाली बीमारी की गलत जानकारी की दर को कम करने में मदद करता है और बदले में, यह फसल की उपज को बढ़ाता है।

नए शोध से पता चलता है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) फसल के पौधों में रोगों की पहचान करने और उन्हें अलग-अलग करने में सक्षम है। इसकी मदद से विशिष्ट फंगल संक्रमण और अन्य समस्याओं का उपचार समय पर किया जा सकता है। इस विषय पर भारत के वैज्ञानिकों की एक टीम ने चर्चा की है।

कोयम्बटूर में अमृता स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग के नितिन वामसी दांटू और के. विमलकुमार और त्रिची में के. रामकृष्णन कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी के श्रीराम वासुदेवन बताते हैं कि फसल वाले पौधों में फंगल संक्रमण आमतौर पर पौधों का मुरझाना, जंग, धब्बा, स्कैब, फफूंदीदार आवरण का कारण बनता है।

इस तरह की समस्याओं से फसल खराब होती है या उपज कम होती है जिसकी वजह से किसानों के फसल उगाने में लगी लागत का बड़े पैमाने पर नुकसान होता है। आम पौधे की बीमारी को जल्दी पहचानने और उसका उपचार करने के लिए एक स्वचालित तरीका फसलों को बचा सकता है, पैदावार बढ़ा सकता है और लागत में कटौती कर सकता है।

कैसे काम करेगा ऐप

टीम एक प्रणाली को विकसित करने के लिए गहन-शिक्षण तकनीकों का उपयोग कर रही है जिसे मोबाइल फोन ऐप में शामिल किया जा सकता है। एप्लिकेशन किसानों को रोगग्रस्त पत्ती का एक स्नैपशॉट लेना होगा और ऐप छवि का विश्लेषण करेगा, वास्तविक समय में फसल में लगी बीमारी की पहचान करेगा।

एप्लिकेशन स्वस्थ आलू के पौधों के पत्तों और रोग वाले पौधों के बीच अंतर कर सकता है। यह विभिन्न टमाटर के पौधों में लगने वाले रोगों के बीच भी अंतर कर सकता है, जिसमें बैक्टीरिया स्पॉट, प्रारंभिक ब्लाइट, लीफ मोल्ड, टारगेट स्पॉट, मोज़ेक वायरस और अन्य शामिल हैं।

टीम ने कहा कि परीक्षण ने तकनीक को लेकर बेहतर प्रदर्शन किया हैं। उन्होंने यह भी बताया कि प्रणाली सटीक और कार्यात्मक रूप से बहुत स्थिर है। यह शोध इंटरनेशनल जर्नल ऑफ सस्टेनेबल एग्रीकल्चर मैनेजमेंट एंड इंफॉर्मेटिक्स में प्रकाशित हुआ है।

इस तरह की नई खोज भारत के कुछ हिस्सों में एक बीमार कृषि उद्योग को बचाने में मदद कर सकती है, साथ ही संघर्षरत किसानों पर मनोवैज्ञानिक बोझ को कम कर सकती हैं जो हर साल कृषि में हो रहे घाटे, कृषि के लिए, लिए गए कर्ज न चुका पाने के कारण आत्महत्या करने को मजबूर हो जाते हैं।

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