सौर पैनल में सूक्ष्म दरारों का पता लगाएगी यह नई तकनीक

भारतीय शोधकर्ताओं ने इंटरनेट से जुड़ी रिमोट मॉनिटरिंग और फजी लॉजिक सॉफ्टवेयर प्रणाली आधारित एक प्रभावी तकनीक विकसित की है जो सोलर पैनल की दरारों का पता लगाने में मदद कर सकती है।

By Sunderarajan Padmanabhan

On: Monday 24 June 2019
 

सौर ऊर्जा का उपयोग लगातार बढ़ रहा है और देशभर में सोलर पैनल लगाए जा रहे हैं। लेकिन, दूरदराज के इलाकों में लगाए जाने वाले सोलर पैनल में दरार पड़ जाए तो उनकी कार्यप्रणाली बाधित हो जाती है और विद्युत उत्पादन प्रभावित होता है। भारतीय शोधकर्ताओं ने इस समस्या से निपटने के लिए इंटरनेट से जुड़ी रिमोट मॉनिटरिंग और फजी लॉजिक सॉफ्टवेयर प्रणाली आधारित एक प्रभावी तकनीक विकसित की है जो सोलर पैनल की दरारों का पता लगाने में मदद कर सकती है।

सौर सेल में बारीक दरारें पड़ती हैं और पावर आउटपुट में उतार-चढ़ाव होने लगता है तो सबसे अधिक समस्या उत्पन्न होती है। सोलर पैनल निर्माण से लेकर उनकी स्थापना और संचालन के विभिन्न चरणों के बीच अक्सर उनमें दरारें पड़ जाती हैं। सोलर पैनल स्थापित किए जाने के बाद जब वे संचालित हो रहे होते हैं तो दरारों का पता लगाना अधिक मुश्किल हो जाता है। कई बार तेज हवा या फिर अन्य जलवायु परिस्थितियों के कारण भी सोलर पैनल क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। बड़े पैमाने पर लगाए जा रहे सोलर पैनलों में पड़ने वाली सूक्ष्म दरारों का पता लगाना भूसे के ढेर में सुई ढूंढ़ने जैसा कठिन कार्य है।

इन सोलर पैनलों का रखरखाव करने वाली एजेंसियां सूक्ष्म दरारों का पता लगाने के लिए कई उपकरणों और तकनीकों का उपयोग करती हैं। लेकिन, इसके लिए कोई आसान और प्रभावी तरीका अभी तक उपलब्ध नहीं है। फरीदाबाद के जे.सी. बोस यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी में इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग विभाग के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित यह नई तकनीक इस कार्य को अधिक कुशल तरीके से निपटाने में उपयोगी हो सकती है।

इस तकनीक में इंटरनेट आधारित नेटवर्क से जुड़े सेंसर और अन्य उपकरणों की मदद से सोलर पैनल की कार्यप्रणाली की निगरानी एक नियंत्रण कक्ष सेकी जाती है। सोलर पैनल में दरारों के कारण विद्युत उत्पादन में गिरावट हो सकती है। इस स्थिति में सिलिकॉन-कूल्ड सीसीडी कैमरों द्वारा सोलर पैनलों की तस्वीरें ली जाती हैं और दरारों की पहचान के लिए इन तस्वीरों कोफजी लॉजिक की मदद सेविस्तारित करके देखा जाता है।

सूक्ष्म दरारों के कारण सौर सेलों का परस्पर संपर्क टूट जाता है, जिससे सोलर पैनल की विद्युत उत्पादन क्षमता प्रभावित होती है। सिर्फ सोलर पैनलों के उत्पादन के समय पड़ने वाली दरारों से ही 5-10 प्रतिशत नुकसान होता है और इस कारण उत्पादन लागत भी बढ़ जाती है।

इस अध्ययन से जुड़ी शोधकर्ता रश्मि चावला ने इंडिया साइंस वायर को बताया कि “इस तकनीक में प्रमुख घटक फजी लॉजिक का उपयोग है। अभी तक इस तकनीक का उपयोग फोटोवोल्टिक मॉड्यूल्स की वास्तविक समय में निगरानी के लिए नहीं किया गया है। सोलर पैनल की दरारों का पता लगाने में इस रणनीति को अधिक प्रभावी पाया गया है।”

डॉ रश्मि चावला के अलावा शोधकर्ताओं की टीम में पूनम सिंघल और अमित कुमार गर्ग शामिल थे। यह अध्ययन शोध पत्रिका 3डी रिसर्च में प्रकाशित किया गया है। (इंडिया साइंस वायर)

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