पिछड़े जिलों में पिछड़ गई प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना

स्टेट ऑफ इंडिया एनवायरनमेंट 2019 रिपोर्ट में खुलासा, 112 में से 108 जिलों में परिणाम निराशाजनक

By Kiran Pandey

On: Thursday 18 April 2019
 
Credit : Vikas Choudhary

ललित मौर्य 

देश के 112 में से 108 जिलों में प्रमुख 'फ्लैगशिप स्कीम्स' के परिणाम निराशाजनक हैं । जिनमें जुलाई 2018 से फरवरी 2019 के बीच नकारात्मक वृद्धि दर्ज की गयी है ।

मौजूदा सरकारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि भारत की 96 प्रतिशत 'एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट' के विकास कार्यों पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है । महत्वपूर्ण है कि इन जिलों में जुलाई 2018 से फरवरी 2019 के बीच आर्थिक एवं कौशल विकास के क्षेत्र में नकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई है। इस अवधि के दौरान निगरानी किये गए 112 में से 108 जिलों में आर्थिक विकास एवं कौशल निर्माण के क्षेत्र में चलायी जा रही विभिन्न योजनाओं के परिणाम हताशाजनक है ।

सेंटर फॉर साइंस एंड इंवायरमेंट (सीएसई) और डाउन टू अर्थ द्वारा 5 जून 2019 को आने वाली "स्टेट ऑफ इंडिया एनवायरनमेंट 2019" रिपोर्ट के अनुसार इन योजनाओं का लक्ष्य बड़ी संख्या में भारतीय युवाओं को उद्योगों की मांग के मुताबिक  कौशल प्रशिक्षण देकर उन्हें सक्षम बनाना था। जिससे कमजोर तबके के युवाओं का भी विकास हो सके। इसलिए इन योजनाओं में होने वाली नकारात्मक वृद्धि सीधे-सीधे प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) और दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण योजना की असफलता को दर्शाती है।

डिस्ट्रिक्ट एस्पिरेशनल प्रोग्राम के तहत, देश के 112 अल्पविकसित जिलों का पांच महत्वपूर्ण क्षेत्रों में विकास करना था| जिसमें - स्वास्थ्य एवं पोषण, शिक्षा, कृषि एवं जल संसाधन, आर्थिक एवं कौशल विकास, और बुनियादी ढांचे को मजबूत करना प्रमुख है| जिसका सीधा-सीधा असर नागरिकों के जीवन और आर्थिक उत्पादकता की गुणवत्ता पर पड़ेगा।

 नई संभावनाओं को तलाशने में विफल कौशल विकास योजना

समग्र रूप से जिलों के हालिया प्रदर्शन पर एक नज़र डालने से लगता है कि लगभग सभी जिले अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं|लेकिन जुलाई 2018 और फरवरी 2019 के बीच के प्रदर्शन का   तुलनात्मक विश्लेषण करने से तस्वीर कुछ और ही नजर आती है, यह सच्चाई कड़वी है, मगर सच भी है, और इसपर पुनः विचार करना जरुरी है ।

जहां केवल चार जिलों में मामूली सुधार हुआ है, जिनमें हरियाणा के मेवात जिले में पिछले 10 महीनों में मामूली सा सुधार हुआ है। जब इसका सूचकांक 21.9 से 31.7 अंक तक सुधरा है। वहीं, दूसरी ओर नकारात्मक वृद्धि दर्ज करने वाले 108 जिलों में छत्तीसगढ़ का महासमुंद और बस्तर सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले जिले हैं। महासमुंद का स्कोर जहां 73.5 से घटकर 40.8 रह गया है, वहीं इसी अवधि में बस्तर का स्कोर 65.3 से घटकर 35.6 दर्ज किया गया। इन दोनों जिलों के स्कोर में गिरावट दर्शाती है कि इन जिलों के लिए "युवा" प्राथमिकता नहीं हैं। वास्तविकता में, छत्तीसगढ़ में रमन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर औसत से नीचे प्रदर्शन किया था, यही कारण है कि कांग्रेस को छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में बड़े भारी अंतर से जीत हासिल हुई थी।

 

क्या बढ़ती बेरोजगारी के लिए, युवाओं में कौशल की कमी है जिम्मेदार

2018 के दौरान बेरोजगारों की संख्या में लगभग 1.1 करोड़ की वृद्धि हुई है, जो कि पिछले 27 महीनों में भारत का सबसे खराब प्रदर्शन है। उच्च बेरोजगारी दर के लिए युवाओं में उपलब्ध नौकरियों के अनुरूप आवश्यक कौशल की कमी को जिम्मेदार माना जा रहा है।

कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय ने भी स्वीकार किया है कि भारत के कुल कामगारों में से पांच प्रतिशत से भी कम ने किसी प्रकार का व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त किया है। जहां भारत के कुल कामगारों का केवल 4.69 प्रतिशत ही औपचारिक रूप से कुशल है, वहीं दूसरी ओर संयुक्त राज्य अमेरिका में 52 प्रतिशत, यूनाइटेड किंगडम में 68 प्रतिशत, जर्मनी में 75 प्रतिशत, जापान में 80 प्रतिशत और दक्षिण कोरिया में 96 प्रतिशत कामगार कुशल हैं।

2019 के लोकसभा चुनावों में बेरोजगार और अकुशल युवा निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं; यही कारण है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों के घोषणापत्रों में युवाओं के लिए रोजगार और कौशल विकास का पुलिंदा बांधा गया है । जहां कांग्रेस उन लाखों कम कुशल या अर्धकुशल पुरुषों और महिलाओं को रोजगार देने का वादा कर रही है, जिन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा भी पूरी नहीं की है| जबकि बीजेपी ने ‘नेशनल पॉलिसी फॉर रिस्किलिंग एंड अपस्किलिंग’ का वादा किया है, जिसके जरिये वह ऐसे कार्यबल को विकसित करने की योजना बना रही है जो उद्योग के अनुकूल हो और जिसके जरिये वे अपने लिए नयी संभावनाएं तलाश सकें।

अनुमान है कि 2020 तक भारत में जनसंख्या की औसत आयु 28 वर्ष हो जाएगी| जो दर्शाता है कि आने वाले वक्त में भारत की जनसंख्या का एक बड़ा वर्ग युवा होगा| यह देश के लिए स्वर्णिम अवसर के साथ-साथ एक बड़ी चुनौती भी है। हम आशा करते हैं की राजनैतिक दल आज चुनावों के समय, कुशल कार्यबल के निर्माण जो वादा कर रहें हैं, उसे वो चुनाव जीतने के बाद भी निभाएंगे। जो मेरे देश को सामाजिक और आर्थिक विकास के ढर्रे पर ले जायेगा।

 

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