बजट 2022-23 : उर्वरकों की सब्सिडी में भारी कटौती, बढ़ेगी किसानों की परेशानी!
पिछले बजट के संशोधित अनुमान के मुकाबले यूरिया की सब्सिडी में 12,708 करोड़ और पोषक तत्व आधारित सब्सिडी में 22,192 करोड़ रुपए की कमी
जरुरत से कहीं ज्यादा तेजी से प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर रहे हैं देश
पिछले 30 वर्षों में कोई भी देश ऐसा नहीं है जिसने पर्यावरण को संकट में डाले बिना अपने नागरिकों की बुनियादी जरूरतों को पूरा ...
जैविक खेती का सच-3: खामियों से भरे हैं सरकारी कार्यक्रम
जैविक व प्राकृतिक खेती के लिए केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों में कई खामियां पकड़ में आई हैं
जैविक खेती का सच-1: खेती बचाने का एकमात्र रास्ता, लेकिन...
पर्यावरण और स्वास्थ्य पर रासायनिक खेती के गंभीर दुष्प्रभाव को देखते हुए जैविक व प्राकृतिक खेती की तरफ लोगों का झुकाव बढ़ रहा है
खेतों में नाइट्रोजन के इस्तेमाल से बढ़ा जलवायु पर खतरा
नाइट्रोजन उर्वरकों के बढ़ते उपयोग के चलते वातावरण में नाइट्रस ऑक्साइड का स्तर पूर्व-औद्योगिक काल की तुलना में 20 फीसदी बढ़ चुका है
यह है जमीन का वो टुकड़ा, जहां 178 साल से वैज्ञानिक कर रहे हैं खेती!
दुनिया के सबसे लंबे समय से जारी कृषि शोध का जैविक-अकार्बनिक खेती पर चल रही बहस में क्या योगदान है?
संसद में आज (29 मार्च 2022): देश में 11,92,217 किसान भागीदारी गारंटी प्रणाली के तहत जैविक खेती कर रहे हैं
सरकार के द्वारा रासायनिक उर्वरकों के उपयोग से उत्पादित फसलों की खपत के कोई आंकड़े नहीं रखे जाते हैं
इन छह तरीकों से नाइट्रोजन प्रदूषण हो सकता है खत्म, सुधरेगी पानी की गुणवत्ता
यह अध्ययन वैज्ञानिकों, नीति निर्माताओं और जनता को पानी की गुणवत्ता में तेजी से सुधार के लिए पुराने नाइट्रोजन से जुड़ी चुनौतियों से निपटने ...
जलीय जीवों के साथ धान उगाने से 12 प्रतिशत तक बढ़ जाता है उत्पादन
जलीय जीवों के साथ धान उगाने से रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों की आवश्यकता कम होती है। साथ ही साथ फसल की पैदावार में लगभग ...
कृषि में कितनी मात्रा में हो नाइट्रोजन का उपयोग, वैज्ञानिकों ने दिखाई राह
जब नाइट्रोजन का एक बड़ा हिस्सा फसलों द्वारा उपयोग नहीं किया जाता है, तो यह नाइट्रेट के रूप में भूजल, नदियों, झीलों आदि में ...
मृदा प्रदूषण की वजह से खतरे में हैं स्वास्थ्य, खाद्यान्न उत्पादन और पर्यावरण: रिपोर्ट
मिट्टी पर बढ़ते दबाव के लिए लिए अनियंत्रित तरीके से बढ़ रही औद्योगिक गतिविधियां, कृषि, खनन और शहरी प्रदूषण मुख्य रूप से जिम्मेवार हैं
2009 से अब तक खत्म हो चुके हैं दुनिया के 14 फीसदी मूंगे
2009 से 2018 के बीच करीब 11,700 वर्ग किलोमीटर में फैली यह प्रवाल भित्तियां (कोरल अथवा मूंगे) अब पूरी तरह खत्म हो चुकी हैं, जिसके लिए हम इंसान ही जिम्मेवार हैं
अब होगी कम खाद के साथ गेहूं की अधिक पैदावार, ग्रीनहाउस गैस पर भी लगेगी लगाम
गेहूं की खेती नाइट्रोजन प्रदूषण का एक प्रमुख स्रोत है, कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में, नाइट्रस ऑक्साइड 300 गुना अधिक शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस है।