स्वामित्व योजना: क्या दो गज जमीन के लिए संघर्ष होगा खत्म?
ग्रामीण भारत में रहने वाली लगभग 56 फीसदी आबादी आवासहीन या भूमिहीन है
गरीबों के नाम रहेगा 2020
नए साल में देश में गहराई से जड़ें जमा चुकी असमानता फिर चर्चा में आएगी
बैठे ठाले: गरीबी अच्छी है!
“सरकार की कौशल-विकास नीति के तहत भिखारी बनने की ट्रेनिंग दी जा रही है जिससे आज हजारों-लाखों लोग स्व-रोजगार कर रहे हैं”
उत्तराखंड का फूलदेई पर्व: जो इशारा करता है कि, प्रकृति के बिना इंसान का अस्तित्व नहीं
यह त्योहार उत्तराखंड राज्य के फसल उत्सव के रूप में जाना जाता है, फूलदेई एक शुभ लोक त्यौहार है जो राज्य में वसंत ऋतु ...
अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस 2022: जातिवाद खत्म कर और शांति बनाएं
संयुक्त राष्ट्र का लक्ष्य एक ऐसे समाज का निर्माण करना है जहां हर व्यक्ति सुरक्षित महसूस करे और नस्ल की परवाह किए बिना फल-फूल ...
डाउन टू अर्थ खास: विकास की दौड़ में हिमालय से मिट रहे हैं अतीत के निशान
भारत विकास से जुड़ी गतिविधियों के लिए हिमालय में अपने भूगर्भीय रूप से महत्वपूर्ण स्थलों को तेजी से खोता जा रहा है। कानूनों के ...
62 फीसदी पुरुषों की तुलना में दुनिया की केवल 57 फीसदी महिलाएं कर रही हैं इंटरनेट का इस्तेमाल
इंटरनेट के क्षेत्र में आई क्रांति के बावजूद अभी भी दुनिया की करीब 37 फीसदी आबादी इंटरनेट से दूर है। यदि उनकी कुल संख्या की बात ...
लोकतंत्र के लिए कितनी सही हैं कॉरपोरेट पंचायत?
गैर सरकारी संगठन ट्वेंटी20 ने केरल के एक गांव में कॉरपोरेट पंचायत स्थापित की, लेकिन यह लोकतंत्र के लिए कितना सही और दीर्घकालिक होगा?
भूख का सामना कर रहे हर पांचवे अमेरिकी ने निभाई राष्ट्रपति चुनाव में भूमिका!
कोविड-19 महामारी से पहले अमेरिका में वर्ष 2019 में लगभग 10.5 प्रतिशत परिवार खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे थे
इंसान कितना कर चुके हैं समुद्रों पर निर्माण, वैज्ञानिकों ने पहली बार किया आंकलन
अब तक समुद्र के करीब 32,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर इंसानों ने निर्माण कार्य किया है। अनुमान है कि यह 2028 तक बढ़कर 39,400 वर्ग ...
गरीब कल्याण योजना: विकास के सवाल और योजनाओं का मानसून
गरीब कल्याण योजना तभी प्रासंगिक हो सकती है जब आजीविका के लिए उनके जल, जंगल और जमीन जैसे संसाधनों पर उनका अधिकार हो
कोविड-19 संकट के बाद मिलकर बनाना होगा एक बेहतर कल
कोविड -19 केवल एक भूल या दुर्घटना नहीं है, बल्कि यह उन कार्यों का एक परिणाम है जो हमने एक ऐसी दुनिया के निर्माण ...
ग्रामीण विकास का अर्धसत्य
गावों से उम्मीदों की गठरी बांधे जिन लाखों वंचितों ने शहरों को अपना अस्थायी आशियाना बनाया, एक महामारी की आशंका ने उसकी वास्तविकता को ...
कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए तैयार हैं देश की ग्राम पंचायतें: रेड्डी
कोरोनावायरस संक्रमण का प्रसार अब देश के गांवों की ओर हो रहा है। ग्राम पंचायत स्तर पर इससे निपटने की क्या तैयारी है। इस ...
जनसंख्या नियंत्रण कानून: महत्वपूर्ण सवालों पर नहीं हो रही बहस
वस्तुतः भारत जनसंख्या को स्थिर करने की राह पर है। इसीलिए जनसंख्या नियंत्रण को सुनिश्चित करने के लिए दंडात्मक उपायों की शुरुआत पर जोर ...
जनसंख्या नियंत्रण कानून: क्या सच में जरूरी है?
केंद्र सरकार देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करनी चाहती है। डाउन टू अर्थ ने इस मुद्दे का व्यापक विश्लेषण किया। प्रस्तुत है पहली ...
भारत क्यों है गरीब-10: पीढ़ी दर पीढ़ी गरीबी की मिसाल है यह जिला
देश की राजधानी से 70 किलोमीटर से दूर मेवात में गरीबी दूर करने की योजनाएं पहुंच ही नहीं पाई
क्या नीति आयोग की 'नीति' से रुक पाएगा उत्तराखंड का पलायन?
नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद्र ने पिछले दिनों उत्तराखंड सरकार से पलायन रोकने को कहा है, इसके लिए कुछ सलाहें भी दी हैं
क्या है जो भारत में तैयार कर रहा है गरीब
वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक 2022 से पता चलता है कि पोषण, ईंधन, आवास और स्वच्छता तक पहुंच की कमी देश में लाखों लोगों को ...
उज्जवल भविष्य की चाह में गुम होती जिंदगियां: 2023 प्रवासियों के लिए रहा सबसे घातक, 8,565 लोगों ने गंवाई जान
रिपोर्ट के अनुसार 2022 की तुलना में देखें तो 2023 में प्रवासन के दौरान मरने वालों के आंकड़ों में 20 फीसदी की वृद्धि आई ...
विश्व के ढाई करोड़ से अधिक शराणार्थियों के पास आसरा नहीं
शराणार्थियों की स्थिति दिन-ब-दिन भयावह होती जा रही है
उत्तराखंड के लिए कितना फायदेमंद साबित होगा जीईपी?
उत्तराखंड में जीडीपी की तरह जीईपी का आकलन करने का निर्णय लिया गया है
‘गुलाम मन’, घर और उसमें घुटता आदमी
घर बनाने में हमने बिना स्थानीय सरोकारों और जरूरतों को ध्यान में रखे नए ज्ञान और तकनीक को प्रयोग किया
अमेरिका में पैठ जमा रही है गरीबी, क्या हैं मायने
पूंजीवादी व्यवस्था में श्रमिकों से ज्यादा हासिल करने और मालिक जितना संभव हो उतना कम देने की कोशिश में हैं
बेलारूस मानवाधिकार कार्यकर्ता एलेस बियालियात्स्की के साथ दो मानवाधिकार संगठनों को मिला नोबेल शांति पुरस्कार
बेलारूस के मानवाधिकार कार्यकर्ता एलेस बियालियात्स्की के साथ रूस के मानवाधिकार संगठन ‘मेमोरियल’ और यूक्रेन के ‘सिविल लिबर्टीज’ को मिला नोबल शांति पुरस्कार