कीकर-आक के पार, काचरी-काकडी का स्वाद
राजस्थान के रेतीले इलाके में देसी फल-सब्जियों का स्वाद टटोलती एक दिलचस्प यात्रा
पथिक, बदल गईं पहाड़ की पलकें
यात्राओं के सम्मोहक संसार में यूं बदलता गया पथ और पथिक का रिश्ता
स्थानीयकरण की दस्तक
2017 में हमें निरंकुश उपभोक्तावाद पर टिके विकास के मॉडल पर विचार करना चाहिए। गरीबों की छोड़िए, ये अमीरों के भी काम का भी ...
दुधारी नदी का सुख-दुख
नदियों के साथ बरती गई नासमझी से रूबरू कराती कोसी के संग-संग हफ्ते भर की यात्रा
सन्नाटे की गूंज
यात्रा एक पर्यावरण आंदोलन की, जिसने विकास योजनाओं को देखने, परखने का नजरिया ही बदल डाला
चिपको की छांव में
उत्तराखंड में बहुत कुछ बदल चुका है, लेकिन चार दशक बाद भी कई इलाकों में चिपको आंदोलन का असर साफ नजर आता है।
सरकार ने मानी नोटबंदी की मार, जीडीपी ग्रोथ में कमी का अनुमान
चार साल के निचले स्तर पर आ सकती है अर्थव्यवस्था की विकास दर
जल्लीकट्टू: संस्कृति बनाम संरक्षण
बुनियादी सवाल अभी अनुत्तरित है–क्या जल्लीकट्टू पारिस्थितिकी के लिहाज से महत्वपूर्ण प्रथा है या सिर्फ एक खूनी खेल?
आर्थिक सर्वे में मिले आम बजट के 5 बड़े संकेत
साल 2016-17 के आर्थिक सर्वेक्षण ने देश में रोजगारहीन विकास को एक प्रमुख चुनौती करार दिया है
बजट 2017-18: कर, रोज़गार और कृषि के अंतर्संबंध
कोई भी बजट वैश्विक सन्दर्भों को नज़रंदाज़ करके समझा नहीं जा सकता है। कहने को ही सही, पर हम गाँव की तरफ लौटने के ...
तेल रिसाव: एनजीटी ने केंद्र व अन्यों से मांगा जवाब
मामले में दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए एनजीटी ने केंद्र सरकार, तमिलनाडु सरकार और अन्य पक्षों से मंगलवार तक जवाब देने को कहा ...
आहार संस्कृति: कांटों में छिपा स्वाद
वैसे तो औैषधि के रूप में नागफनी के पौधे के हर हिस्से का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन इसके तना, फूल और जड़ों का ...
बीमारियां हैं खुदकुशी का बड़ा कारण!
15 वर्षों के दौरान देश में 3.85 लाख लोग विभिन्न बीमािरयों के चलते खुदकुशी कर चुके हैं
क्यों मैं शाकाहार की वकालत नहीं करूंगी?
एक भारतीय पर्यावरणविद होने के नाते मैं शाकाहार की वकालत नहीं करूंगी। इसके कई कारण हैं।
जहर बुझी फुहारें!
एक अध्ययन के अनुसार आर्गेनोफास्फेट कीटनाशकों के लंबे समय तक संपर्क में रहने से किसानों में मधुमेह होने का जोखिम रहता है। ऐसे समय ...
अपने नीड़ में लौटते विस्थापित बैगा
कोयला खदानों के कारण सिंगरौली के सिधिखुर्ग, तिय्यरा, झांझी, सिधिकला और हर्रहवा गांव के 3088 लोग विस्थापित हुए थे। मुआवजा वितरण और पुनर्वास में ...
‘पोस्ट ट्रुथ’ का सच
सरकारों ने हमेशा से काल्पनिक तथ्यों के जरिए प्रोपेगंडा को बढ़ावा दिया है। जबकि सोशल मीडिया के तीव्र प्रसार ने झूठ बोलने की कला ...
“90 वोटों के लिए धन्यवाद”
मानवाधिकार कार्यकर्ता की अपमानजनक हार ने कहीं और जीत का संकेत दिया
अलबर्ट प्रिंटो को गुस्सा क्यों आता है?
चश्मा पहनते ही उनके आसपास धक्का-मुक्की करती भीड़ सलीके से चलने लगी थी। सड़कों पर बेतरतीब गाड़ियों का हुजूम जाने कहां गायब हो गया ...
चुनावी राजनीति में महिला मतदाताओं का बढ़ता रुतबा
राजनीति को कैसे प्रभावित कर रही है मतदाता के तौर पर महिलाओं की बढ़ती हिस्सेदारी
भारत, एक नई खोज
कहा जाता है कि एक देश का इतिहास उसके भौगोलिक क्षेत्र का प्रतिबिम्ब होता है। अपने २२ सालों के शोध के आधार पर भारत ...
रगों में जहर घोलता सीसा
हर जगह आसानी से पाया जाने वाला यह सामान्य सा धातु न सिर्फ लोगों के बौद्धिक स्तर को घटा रहा है बल्कि उनकी सामाजिक ...
चुनावी लोकतंत्र कितना लोकतांत्रिक?
वैश्विक रुझान बताते हैं कि लोग इस लोकप्रिय शासन तंत्र को अब प्रभावी नहीं मानते
भारत में बढ़ रही है बंजर जमीन
मिट्टी का लगातार सूखना आने वाले समय में खेती के लिए परेशानी भरा हो सकता है
हक की हकीकत
क्या कहता है खनन जिलों के लिए भारत की महत्वाकांक्षी संसाधन साझेदारी योजना का पहला स्वतंत्र मूल्यांकन