आदिवासियों के सवालों पर चुप्पी क्यों?
पूरी दुनिया में मूलवासियों/आदिवासियों की कुल जनसंख्या लगभग 48 करोड़ है, जिसका लगभग 22 फीसदी आदिवासी समाज भारत देश में रहता है
आदिवासियों पर ऐतिहासिक अन्यायों के अर्थ और अनर्थ
विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर भारत में आदिवासियों के साथ हो रहे अन्याय पर विशेष आलेख
स्वदेशी और स्थानीय ज्ञान प्रणालियों के नुकसान के होंगे हानिकारक प्रभाव: वैज्ञानिक
स्वदेशी लोगों और स्थानीय समुदायों की ज्ञान प्रणाली और प्रथाएं हमारी धरती की जैविक और सांस्कृतिक विविधता की रक्षा करने में अहम भूमिका निभाती ...
औषधीय पौधों के बेतहाशा उपयोग का बुरा असर, कम हुआ सांस्कृतिक महत्व और उपलब्धता
कोविड-19 महामारी की शुरुआत के बाद से औषधीय जड़ी-बूटियों और पौधों का उपयोग काफी बढ़ गया है
अंग्रेजों ने बर्बाद कर दी तालाबों के रखरखाव की व्यवस्था
कुडिमरमथ एक ऐसी व्यवस्था थी जिसमें तालाबों के रखरखाव के लिए श्रमदान किया जाता था, लेकिन अंग्रेजों की नीतियों ने यह व्यवस्था बर्बाद कर ...
“तटीय भाषाएं चुका रही हैं परिवर्तन की कीमत”
भाषाविद गणेश देवी ने ऐसे अनूठे भाषा सर्वेक्षण का नया खंड प्रकाशित किया है, जो भूगोल और लोगों के स्थानीय दावों पर आधारित है।
आज है अंतरराष्ट्रीय आदिवासी दिवस : क्या है महत्व यहां जानें
2022 में स्वदेशी लोगों के इस वर्ष के अंतर्राष्ट्रीय दिवस का विषय "पारंपरिक ज्ञान के संरक्षण और प्रसारण में स्वदेशी महिलाओं की भूमिका" है।
अंतरराष्ट्रीय आदिवासी दिवस क्यों मनाया जाता है, क्या है इस साल की थीम?
स्वदेशी लोगों द्वारा विश्व की लगभग 7,000 भाषाओं में से अधिकांश भाषाएं बोली जाती हैं और वे 5,000 विभिन्न संस्कृतियों का प्रतिनिधित्व करते हैं
दुनिया भर में तेजी से गायब हो रहे हैं जंगली खाद्य पौधे, स्थानीय लोगों ने दी चेतावनी
दुनिया भर में लगभग 7,000 जंगली पौधे और 2,000 जंगली मशरूम की प्रजातियों का उपयोग भोजन के रूप में किया जाता है।
डाउन टू अर्थ खास: खानपान में बदलाव से कम हो रही है आदिवासियों की उम्र!
खानपान में परिवर्तन और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच न होने के कारण आदिवासी आबादी की जीवन प्रत्याशा में कमी आ रही है
क्या नरवा, गरवा, घुरवा से सुधरेगी छत्तीसगढ़ की ग्रामीण अर्थव्यवस्था
नीति आयोग की बैठक में जब छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने अपनी इस योजना का जिक्र किया तो पूरे देश का ध्यान इस ओर गया ...
मुर्गे की बांग से उपजे सवाल
सेंसरी अनुभव से हम पर्यावरण से तुरंत संबंध स्थापित करते हैं जो समय के साथ सामाजिक और पारिस्थितिकीय इतिहास बनते हैं और अंत में ...
परंपरागत भोजन के रहस्य खोलती एक किताब
यह किताब आपको जीविकोपार्जन से जुड़े परंपरागत भोजन के बारे में बताएगी। यह किताब उस व्यापार के बारे में है, जो अदृश्य है और ...
विलुप्त हो रहे फर्न देखने हों तो इस वाटिका में आएं
फर्न की 18 प्रजातियां ऐसी हैं जो सिर्फ उत्तराखंड में ही पायी जाती हैं। ये सभी शोषण, अपने प्राकृतिक वास खोने और मौसमी वजहों ...
पूरी दुनिया में मूल आबादी झेल रही है गरीबी और उपेक्षा का दंश : यूएन रिपोर्ट
यूएन ने पहली बार मूल आबादी पर रिपोर्ट जारी की है। भयंकर गरीबी और उच्च बेरोजगारी के मामले में भारत की तुलना उप-सहारा अफ्रीकी ...
गांवों से भी गुम हो रही है सुगंध
आज से 10-15 साल पहले तक जिन गांवों में हर घर में गाय, भैंस और बैल होते थे, किसी घर में मुश्किल से ही ...
भाषाओं का सिमटता संसार, हर साढ़े तीन माह में मर रही है एक भाषा
इस समय दुनिया एक ऐसी त्रासदी से गुजर रही है, जिस पर बहुत कम लोगों का ध्यान है। यह त्रासदी भाषाओं की गुमनाम मृत्यु ...
नई चुनौतियों से निपटने के लिए पारंपरिक ज्ञान का इस्तेमाल कर रहे हैं ये मछुआरे
मछुआरों के काम आ रहे हैं मछली पकड़ने के परंपरागत उपकरण
डंक रहित मधुमक्खी के शहद में होते हैं विशेष गुण
दो मलेशियाई और एक ब्राजील की मधुमक्खी के शर्करा में 85 प्रतिशत तक ट्रेहुलुलोज पाया गया है
आदिवासी महिलाओं का रचना संसार, भाषाएं जुुदा-मायने एक
आदिवासी रचना संसार की नई पीढ़ी अपने पूर्वजों के साथ हुए विश्वासघात से आहत तो है, लेकिन भावी पीढ़ी को सशक्त प्रतिवाद का स्वर ...
‘गुलाम मन’, घर और उसमें घुटता आदमी
घर बनाने में हमने बिना स्थानीय सरोकारों और जरूरतों को ध्यान में रखे नए ज्ञान और तकनीक को प्रयोग किया
आहार संस्कृति: बहुत गुणकारी है लसोड़ा, ऐसे बनती है सब्जी
लसोड़े के पेड़ में बहुत से औषधीय गुण हैं। इस पौधे का हर हिस्सा उपयोग में लाया जाता है
थाईलैंड में नई इलेक्ट्रिक ब्लू टारेंटयुला प्रजाति की खोज हुई
टारेंटयुला के चमकीले नीले रंग के पीछे का रहस्य नीले रंगद्रव्य की उपस्थिति नहीं है, बल्कि उनके बालों की अनूठी संरचना में है, जिसमें ...
पिघलती बर्फ की चादर से रेत निकालने के पक्षधर हैं ग्रीनलैंड के वासी
ग्रीनलैंड के लोगों का एक बड़ा हिस्सा चाहता है कि नेतृत्व करने वाले लोग पर्यावरण और अर्थव्यवस्था दोनों पर रेत निकालने और निर्यात के ...
खाद्य प्रणालियों को फिर से तैयार करना होगा
जलवायु परिवर्तन का संकट मानव निर्मित है। हम जलवायु-जोखिम वाले विश्व में कृषि के वर्तमान मॉडल के साथ आगे नहीं बढ़ सकते