जीवन भक्षक अस्पताल-7: दिल्ली से सटे इस अस्पताल में भी सुरक्षित नहीं हैं बच्चे
राजधानी दिल्ली से सटे हुए फरीदाबाद के सिविल अस्पताल में हर तीसरे दिन एक बच्चे की मौत हो जाती है या तो बच्चों की ...
मध्यप्रदेश: 16 साल में 17 लाख शिशुओं की मौत, आईएमआर में फिर सबसे ऊपर
रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया द्वारा सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे में मध्यप्रदेश लगातार 15वीं बार शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) में सबसे ऊपर रहा
जीवन भक्षक अस्पताल-6: उत्तराखंड के इस अस्पताल में एक साल में हुई 228 नवजात की मौत
उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र का सबसे बड़ा अस्पताल हल्द्वानी का डॉ. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय है, जहां 2019 में कुल भर्ती नवजातों में से 16 ...
बड़ी पड़ताल: 10 हजार बच्चों की मौत को सामान्य घटना मानते हैं अस्पताल प्रशासन
देश के 10 राज्यों के 19 सरकारी अस्पतालों में एक साल में लगभग 10 हजार से अधिक नवजात की मौत हो गई। नवजातों की ...
जीवन भक्षक अस्पताल-5: गुजरात के इन अस्पतालों में हर रोज मर जाते हैं 2 से 3 बच्चे
गुजरात के अहमदाबाद में सभी आधुनिक सुविधाओं से लैस सिविल अस्पताल में भी 2019 में भर्ती कुल बच्चों में से 21 फीसदी बच्चों की ...
संसद में आज: प्राकृतिक आपदाओं के कारण इस साल हो चुकी है 889 लोगों की मौत
क्या है आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री-जन आरोग्य योजना के तहत स्वास्थ्य लाभ पैकेज, 2022 का नया संस्करण?
वंचितों की पूरी पीढ़ी तैयार कर चुकी है महामारी
नवजात, जल्द पैदा होने वाले और पांच साल तक के बच्चे महामारी से बचने के बाद भी इसके असर से बच नहीं पाएंगे
संसद में आज: लोकसभा में महिलाओं के प्रतिनिधित्व का वर्तमान अनुपात 15.12 फीसदी है
राष्ट्रीय पोषण मिशन का कुल वित्तीय प्रभाव लगभग 1,81,703 करोड़ रुपये है
खास पड़तााल: हरियाणा में फिर बिगड़ा लिंगानुपात, गर्भ में ही मारी जा रही हैं बच्चियां
हरियाणा में लिंगानुपात में सुधार के दावों को आंकड़ों ने झुठला दिया है। पिछले कुछ सालों से लगातार गिरता लिंगानुपात संकेत देता है कि ...
संसद में आज: अगले पांच साल में अफ्रीकी देशों से आएंगे 14 चीते, सरकार ने दी जानकारी
संसद में सरकार ने दावा किया कि स्वास्थ्य पर प्रति व्यक्ति खर्च में लगातार वृद्धि हो रही है
शिशु मृत्यु दर में मध्यप्रदेश देश में सबसे आगे, बाल विवाह और कुपोषण हैं कारण
मध्यप्रदेश में शिशु मृत्यु दर देश में सबसे अधिक 47 बच्चे प्रति हजार है, जो देश में सबसे अधिक है।
एमपी अजब है
मध्य प्रदेश के श्योपुर में कुपोषण ने दो बच्चों की जिंदगी खत्म कर दी। प्रदेश में कुपोषण से पिछले साल 100 से अधिक बच्चों ...
उत्तराखंड: मांओं और नवजात शिशुओं की मौत के मामलों की जांच जरूरी
उत्तराखंड में वर्ष 2016-17 से 2020-21 के बीच कुल 798 महिलाओं ने प्रसव के दौरान या प्रसव से जुड़ी मुश्किलों के चलते दम तोड़ ...
2017 से 2030 के बीच भारत में 68 लाख बच्चियां नहीं ले पाएंगी जन्म!
जर्नल प्लोस में छपे शोध के अनुसार 2017 से 2030 के बीच भारत में 68 लाख बच्चियां का जन्म नहीं होगा, क्योंकि बेटे की ...
गरीबी कम करने में सिएरा लियोन से सबक ले सकती है दुनिया
हालिया वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक कहता है कि इस गरीब अल्पविकसित देश ने इबोला से लड़ते हुए भी समग्र गरीबी सबसे तेजी से कम ...
भारतीय महिलाओं में शिक्षा का प्रसार बचा सकता है पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की जान
रिसर्च से पता चला है कि भारतीय महिलाओं में शिक्षा का प्रसार ग्रामीण क्षेत्रों में भी बच्चों की मृत्यु दर को कम करने में ...
संसद में आज: अगले 50 साल तक 47 प्रतिशत कम हो सकती है चावल की पैदावार
जलवायु परिवर्तन की वजह से किसानों को हो रहे नुकसान के बारे में संसद में कई सवाल-जवाब हुए
जीवन भक्षक अस्पताल-1: देश के अस्पतालों में हर एक मिनट पर एक नवजात शिशु की मौत
देश के अस्पतालों में औसत 1452 नवजात शिशुओं की मृत्यु एक दिन में होती है। वहीं एक घंटे में 60 और एक मिनट में ...
जलवायु परिवर्तन से औसतन 60 फीसदी तक बढ़ सकता है समय से पहले जन्म का जोखिम
भारत में औसतन हर घंटे 345 नवजातों का जन्म समय से पहले हो रहा है, जो उनके स्वास्थ्य के लिए गंभीर जटिलताएं पैदा कर ...
वायु प्रदूषण के कारण बढ़ रहा है बच्चों की मौत का आंकड़ा: रिपोर्ट
रिपोर्ट के मुताबिक हर साल लगभग 2,37,000 से अधिक बच्चों की मौत परिवेशी वायु प्रदूषण की वजह से सांस के संक्रमण के कारण होती ...
तेलंगाना में सिजेरियन डिलीवरी की मदद से हुए थे 60 फीसदी से ज्यादा जन्म: सीएसडी
तेलंगाना के करीमनगर में सी-सेक्शन की मदद से जन्में बच्चों का प्रतिशत सबसे ज्यादा 82.4 था, जबकि इसके विपरीत कोमाराम भीम आसिफाबाद जिले में ...
भारत में वायु प्रदूषण की वजह से बढ़ रही है शिशु मृत्यु दर, कन्या शिशु पर ज्यादा असर
गर्भावस्था के दौरान प्रदूषण के सूक्ष्म कणों के संपर्क में आने से नवजात बच्चों का वजन सामान्य से कम हो सकता है, जो जन्म ...
साल 2022 में अपने पांचवें जन्मदिन से पहले ही मौत के मुंह में समा गए 49 लाख बच्चे
संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार पांचवें जन्मदिन से पहले मरने वाले बच्चों की संख्या घट रही है
गर्भ में वायु प्रदूषण का संपर्क नवजात में सांस संबंधी समस्याओं की बन सकता है वजह
रिसर्च से पता चला है कि गर्भावस्था के दौरान मां के वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से नवजात में जन्म के तुरंत बाद ...
कैसे होगा सतत विकास का लक्ष्य हासिल जब हर दिन हो रही है 6,575 नवजातों की मौत
2020 के दौरान दुनिया भर में करीब 50 लाख बच्चे अपना पांचवा जन्मदिन नहीं देख पाए थे, जिनमें 24 लाख नवजात भी शामिल थे