धंसता जोशीमठ: बचाव की बजाय चार धाम यात्रा की तैयारियों में जुटी सरकार
भारत सरकार के आठ तकनीकी संस्थानों की रिपोर्ट अब तक सार्वजनिक नहीं की गई है
जग बीती : जोशीमठ के बाद...
जगबीती : संकेतकों की कमी
जोशीमठ : खत्म होते शहर की दर्द-ए-दास्तां
जोशीमठ में हर मॉनसून में भूस्खलन की समस्या होती है। लेकिन अब जो नई दरारें दिखाई पड़ रही हैं, इसका कारण तपोवन-विष्णुगाढ़ परियोजना ही ...
जगबीती : झुकी इमारतों का शहर
जग बीती: सूचना का अनधिकार
हिमालयी राज्यों में पर्यटकों का सैलाब भी बर्बादी की बड़ी वजह
आईसीआईएमओडी की रिपोर्ट कहती है कि अधिकांश हिंदुकुश हिमालय क्षेत्र में पर्यटन का विकास बहुत गलत तरीके से किया गया है
जोशीमठ की राह पर नैनीताल समेत कई हिमालयी शहर
चमोली का कर्णप्रयाग और गोपेश्वर, टिहरी में घनसाली, पिथौरागढ़ में मुनस्यारी और धारचुला, उत्तरकाशी में भटवाड़ी, पौड़ी, नैनीताल समेत कई ऐसी जगहों में लगातार ...
जग बीती: विनाश का हाइवे!
बैठे ठाले: उत्तराखंड का उत्तरकांड
“जल्द ही यह पूरा इलाका अपनी झुकी हुई तिरछी बिल्डिंग्स के लिए पूरी दुनिया में एक टूरिस्ट डेस्टिनेशन बन गया”
पिछले चार साल से धंस रहा है जोशीमठ, उपग्रह की छवियों से चला पता
अध्ययन के मुताबिक 2018 से 2022 के बीच उत्तराखंड शहर की उपग्रह की छवियों से पता चला है कि इसका पूर्वी हिस्सा हर साल ...
तेज आर्थिक विकास में न प्रकृति मायने रखती है और न ही लोग: रवि चोपड़ा
पर्यावरणविद रवि चोपड़ा मानते हैं कि क्षेत्र की पारिस्थितिकी, भूगोल और सांस्कृतिक विशेषताओं के संदर्भ में तीव्र नहीं बल्कि टिकाऊ विकास होना चाहिए
जोशीमठ का सबक: टिकाऊ पर्यटन की चुनौती
अब तक विकसित किए गए पर्यटक स्थल नगरपालिका की सीमा के साथ ही साथ संवहन क्षमता सीमा या लोगों और बुनियादी ढांचे के अधिकतम ...
लुटता हिमालय: सिर्फ प्रशासनिक और सिविल इंजीनियरिंग उपायों से नहीं थमेंगी आपदाएं
संभावित जोखिम और खतरों की गणना करने के लिए सभी पहाड़ी क्षेत्र की निर्माण गतिविधियों की भूगर्भीय जांच की आवश्यकता है
जोशीमठ : 2-3 जनवरी की रात आखिर क्या हुआ, क्यों तेजी से चौड़ी हुईं दरारें
जोशीमठ में आज कई नई जगह पानी कर रिसाव हुआ, प्रशासन पानी का स्रोत बताने को तैयार नहीं। अनुमान है कि यह पानी तपोवन ...
जोशीमठ भूधंसाव: क्यों पदयात्रा पर निकले हैं ये दस युवा?
इस यात्रा में शामिल दस में से सात सदस्यों के परिवार पिछले दो महीने से होटल में शरणार्थी का जीवन व्यतीत कर रहे है
कितने और जोशीमठ?
हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में भी एक जल विद्युत परियोजना की वजह से कई गांव भूधंसाव का सामना कर रहे हैं
लुटता हिमालय: जोशीमठ में जो कुछ हो रहा है उसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझने में हमने चूक की
हिमालयी क्षेत्र में बहुमंजिला इमारतों के निर्माण में हमारे नए इंजीनियरिंग तरीके प्रतिकूल साबित हो सकते हैं। इलाके की वहन क्षमता को ध्यान में ...
जोशीमठ धंसाव के बाद राष्ट्रीय आपदा कानून पर क्यों उठ रहे हैं सवाल?
क्या मौजूदा आपदा प्रबंधन कानून और उसके 18 बरस पुराने प्रावधान, वर्तमान और भावी आपदाओं के मद्देनजर पर्याप्त हैं?
उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटा, भारी बारिश के बाद जोशीमठ पर मंडराया संकट
तीन दिन से चल रही भारी बारिश के कारण उत्तराखंड में 12 लोगों की मौत हो चुकी है। अभी बारिश का खतरा बना हुआ ...
उत्तराखंड में विकास के लिए भूकंप, भूस्खलन एवं बाढ़ का गहन अध्ययन जरूरी
उत्तराखंड हिमालय प्राकृतिक आपदाओं की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है, ऐसे में वहां विकास कार्य कराने से पहले गहन अध्ययन की जरूरत की बात ...
लुटता हिमालय: अंग्रेजों के जमाने से जारी है हिमालय का दोहन
हम इस क्षेत्र की वहन क्षमता का निरंतर अतिक्रमण कर रहे हैं जो इसके चलते धीरे-धीरे और कमजोर होता जा रहा है। भारतीय भूवैज्ञानिक ...
लुटता हिमालय: एक साथ कई चुनौतियों ने बढ़ाई मुश्किलें
बेहद नाजुक माना जाने वाला भारतीय हिमालय क्षेत्र बेतहाशा बढ़ते शहरीकरण, पारिस्थितिक क्षय, पर्यटन और विद्युत परियोजनाओं के चलते एक साथ कई पर्यावरणीय मोर्चों ...
लुटता हिमालय: नीति निर्माताओं को खोलनी होगी आंख: अनिल जोशी
सड़कें पहले हाथों से बनाई जाती थीं, लेकिन अब भारी मशीनों का इस्तेमाल किया जाता है। यह बड़े पैमाने पर पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान ...
पहाड़ों पर सतत पर्यटन की दरकार, वहनीय क्षमता का आकलन जरूरी
पारिस्थितिकीय संतुलन और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अनियोजित पर्यटन गतिविधियों को विनियमित करना समय की मांग है