कोरोनाकाल में विश्व श्रमिक दिवस : यहां जानिए देश में श्रम कानूनों की क्या स्थिति है
2002 में नेशनल कमीशन ऑन लेबर (एसएनसीएल) ने कहा कि सरकार असंगठित श्रमिकों को पर्याप्त मदद नहीं दे रही है।
आरटीआई पर सरकार की नीयत कभी ठीक नहीं रही
आरटीआई ने ही पहली बार देश की अधिकांश आबादी को असली मालिक होने का अहसास दिलाया और जनता ने भी इस अधिकार के प्रयोग ...
नई सरकार के सामने न्यू इंडिया में भारत को बचाने की चुनौती
मोदी सरकार के सामने चुनौती होगी कि वह किसानों को फसल का उचित दाम दिलाए और ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के पर्याप्त इंतजाम करने ...
यहां जानिए आखिर क्यों इस बार खेती-किसानी बड़ी उम्मीदों से ताक रही बजट की ओर
कोरोनाकाल में व्यापक आर्थिक झटके को कम करने में कृषि क्षेत्र ने बड़ी भूमिका अदा की है, लेकिन खेती-किसानी को बजट 2021-22 ने निराश ...
स्मार्ट सिटी मिशन की हालत खस्ता, 21 प्रतिशत फंड ही खर्च हुआ
जिन 100 शहरों को स्मार्ट सिटी बनाना है, उनमें से केवल 22 शहरों में ही स्मार्ट सड़कें और 15 शहरों में ही स्मार्ट सौर ...
मजदूर दिवस : सरकारी उपेक्षा के शिकार श्रम कानून
इंफाल में तो स्ट्रीट वेंडर कानून पर अमल करने की मांग को लेकर महिलाओं द्वारा लगातार विरोध प्रदर्शन भी किया गया। गुजरात में इस कानून ...
राष्ट्रीय गोकुल मिशन: 80 फीसद गोकुल ग्राम नहीं बने
देश भर में नौ करोड़ दुधारू पशुओं में से सिर्फ 1.31 करोड़ पशुओं का ही हेल्थ कार्ड यानी नकुल स्वास्थ्य पत्र जारी किया जा ...
व्यवहार की गुत्थी
सरकार का खुद का आंकड़ा बताता है कि सूचना, शिक्षा और संचार के लिए आवंटित धन में से केवल 0.8 प्रतिशत ही खर्च किया ...
कैसे दोगुनी होगी किसानों की आय?
मोदी ने दो साल पहले भी 2022 तक आमदनी को दोगुना करने का वादा किया था। इस दफा उन्होंने नए भारत के अजेंडे की ...
मोदी सरकार के लिए पहला सबक, लोकतंत्र में अपनी अंतरात्मा की बजाय जनता की सुनना ज्यादा जरूरी
तीनों विवादित कृषि कानून वापस लेगी केंद्र सरकार, गुरु पर्व पर अपने संदेश में प्रधानमंत्री ने किया ऐलान
अपने पास पैसे ही नहीं हैं तो कहां से भरवाएं गैस सिलेंडर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 अगस्त को उत्तर प्रदेश के महोबा जिले में पीएम उज्जवला योजना 2.0 की शुरुआत की, लेकिन महोबा से सटे ...
मोदी सरकार ने बनाई गांवों को संपूर्ण स्वच्छ बनाने के लिए 10 साल की रणनीति
सरकार का कहना है कि स्वच्छ भारत मिशन का लक्ष्य लगभग हासिल हो चुका है, अब ग्रामीण क्षेत्र को संपूर्ण स्वच्छता का लक्ष्य रखा ...
भारी खर्च के बाद भी कई राज्यों में कोई एकलव्य स्कूल चालू नहीं हुआ
झारखंड में 13 विद्यालयों को मंजूरी दी गई और 2018 तक 130 करोड़ रुपए जारी भी किए गए लेकिन आदिवासियों के लिए कोई स्कूल ...
1 करोड़ नौकरियों का वादा किसका था?
एनडीए सरकार ने 2001 में यह वादा किया था लेकिन अब वर्तमान सरकार भी नौकरियां सुरक्षित न कर पाने की वही गलती दोहरा रही ...
अमृत काल बनाम न्यू इंडिया: आर्थिक संकट के बीच आध्यात्मिक राजनीतिक एजेंडा का दौर
गहरे आर्थिक संकट के वक्त हम अवास्तविक राजनीतिक एजेंडा को क्यों तवज्जो देते हैं
देश को कूड़ामुक्त बनाने का अभियान शुरू करेंगे मोदी
शहरी भारत रोजाना करीब 0.15 टन मिलियन ठोस कचरा पैदा करता है, जिसमें से केवल 68 फीसद नष्ट करने के लिए इकट्ठा किया जाता ...
क्या मोदी 2.0 में चुटका परमाणु संयंत्र के आसपास गांवों में विस्थापन का खतरा बढ़ेगा
लोगों का मानना है कि एनडीए की नई सरकार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस संयंत्र के निर्माण को गति दे सकते हैं।
पर्यावरण को बचाना है तो मोदी सरकार को करने होंगे ये काम
मोदी सरकार के अगले पांच साल के कार्यकाल के दौरान पर्यावरण संरक्षण एक बड़ा मुद्दा होगा, इस पर जानिए विशेषज्ञों की राय...
नौकरशाही को मजबूत करेगा सरकार का यह कदम, वनवासियों पर पड़ेगा भारी
केंद्र सरकार ने भारतीय वन अधिनियम (आईएफए), 1927 पर संशोधनों की एक धारदार कुल्हाड़ी चला कर वनवासियों के अधिकारों पर हमला किया है।
दो साल में साढ़े 10 लाख से ज्यादा ट्रेनें विलंब हुईं : आरटीआई
2017-18 के दौरान 4,98,886 मेल, एक्सप्रेस और पैसेंजर ट्रेनें विलंब हुईं जबकि 2018-19 में विलंब होने वाली ट्रेनों की संख्या बढ़कर 5,57,190 हो गई
पंचायतों पर डोरे डालने के निहितार्थ
पंचायती राज व्यवस्था अपने 25वें साल में है। विकास का महत्वपूर्ण यंत्र बनने के कारण ये सभी दलों को आकर्षित कर रही है।
किसने लूटी नर्मदा
उद्धाटन के वक्त लबालब भरे सरदार सरोवर बांध का पानी आखिर कहां गया? सरकार ने पानी देने से क्यों हाथ खड़े कर दिए हैं?
बंगाल में कोरोना संक्रमण से जुड़ी मोदी सरकार की इस लापरवाही से ममता को मिली संजीवनी
मूल विज्ञान को अनाथ होने से बचाने की चुनौती!
तकनीक प्रदर्शनी के युग में मौलिक विज्ञान को बचाने की चुनौती भारत के सामने अधिक है, राजनीतिक नेतृत्व को इसे स्वीकारना चाहिए
“नया भारत” कितना नया?
स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मनाना गौरव की बात है लेकिन “नया भारत” बनाना लिखित संबोधन से कहीं बढ़कर है