ये हैं दुनिया के कचरे से मुक्त शहर, भारत भी ले सकता है सबक
फिलिपींस के चार शहर कचरे से पूरी तरह छुटकारा पा चुके हैं। यह हुआ है “शून्य अपशिष्ट मॉडल” अपनाकर। यह मॉडल पहले कचरे को ...
कबाड़ का व्यापार: किस हद तक सही?
पहले तो हम कचरा पैदा करते हैं और भूमि एवं आजीविका को नष्ट कर देते हैं। उसके बाद गरीब किसानों के पास कोई चारा ...
उच्च हिमालयी क्षेत्र औली में बहते सीवर से खड़े हुए कई सवाल
उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्र में हुई शाही शादी के बाद हालत बिगड़ गए हैं, कूड़े के ढेर और सीवर से पर्यटन के साथ-साथ ...
पीएम-सीएम के चुनावी क्षेत्रों के इन गांवों में क्यों नहीं हो रही शादियां
प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के संसदीय और विधानसभा क्षेत्र के इन गांवों में कई सामाजिक समस्या उत्पन्न हो गई हैं। जिससे इन गांवों में लोग ...
आदमपुर कचरा खंती की आग बारिश तक नहीं बुझेगी
भोपाल की नई लैंडफील एरिया में फिर लगी आग को बुझाने वाले निगम कर्मियों का दावा
महज किताब ही नहीं, आईना भी
“जल थल मल” हमारे समाज, विज्ञान और पर्यावरण के अनछुए पहलुओं पर रोशनी डालती है
पर्यावरण मुकदमों की डायरी: इन मामलों की हुई सुनवाई
अदालतों में पर्यावरण से संबंधित मामलों की सुनवाई का सार
पर्यावरण मुकदमों की डायरी: दिल्ली में अवैध रूप से चल रहे हैं रंगाई कारखाने
यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार
कचरे के पहाड़ ने बदल दी एक नदी की दिशा
भोपाल में भानपुरा खंती पर बना कचरे का पहाड़ धीरे-धीरे खिसक रहा नदी की ओर
मीलों पानी ढोने वाली माएं खो देती हैं अपनी सेहत और बच्चे : रिसर्च
पहली बार पानी ढोने वाली महिलाओं के स्वास्थ्य प्रभाव को लेकर एक अंतरराष्ट्रीय शोध किया गया है। इसके परिणाम चिंताजनक हैं।
कूड़े-कचरे की डंपिंग से पहाड़ों पर त्रासदी को न्यौता
जैसे-जैसे संवेदनशील जगहों पर जोखिम के खेल खेलने का चलन बढ़ रहा है, वैसे-वैसे इन ग्लेशियर्स और ऊंची चोटियों पर कचरे की मौजूदगी और ...
देश को कूड़ामुक्त बनाने का अभियान शुरू करेंगे मोदी
शहरी भारत रोजाना करीब 0.15 टन मिलियन ठोस कचरा पैदा करता है, जिसमें से केवल 68 फीसद नष्ट करने के लिए इकट्ठा किया जाता ...
सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध: विचार अच्छा लेकिन कार्य-योजना में कई खामियां
देश के प्लास्टिक कचरे का लगभग साठ फीसद पैकेजिंग से आता है लेकिन इसे उस सूची में शामिल नहीं किया गया है, जिसका उपयोग ...
कचरे के प्रति व्यवहार में बदलाव लाना जरूरी
पिछले कुछ सालों में देश में कूड़ा प्रबंधन की रणनीति में तेजी से बदलाव हुआ है, लेकिन अब लोगों को अपने व्यवहार में बदलाव ...
इस साल पैदा हो सकता है 5.7 करोड़ टन इलेक्ट्रॉनिक कचरा, चीन की विशाल दीवार से भी ज्यादा है भारी
दुःख की बात है कि दुनिया में ज्यादातर ई-वेस्ट को ऐसे ही डंप कर दिया जाता है जो पर्यावरण के लिए एक बड़ा खतरा ...
सीवर के गड्ढ़ों में निकलने वाली जानलेवा जहरीली गैस का पता लगाएगा यह इलेक्ट्रॉनिक सेंसर
यह सेंसर सीवरों में उत्पन्न होने वाली जहरीली और ज्वलनशील गैस जैसे- हाइड्रोजन सल्फाइड का पता लगा सकता है। सीवर में निकलने वाली जहरीली ...
पुष्पभद्रा नदी में अवैध मलबे की डंपिंग, एनजीटी ने दिया जांच का आदेश
एनजीटी ने एक महीने में इस अवैध डंपिंग की जांच कर रिपोर्ट तलब की है। वहीं, इस मामले में जांच के लिए प्रधान मुख्य ...
सुलग रही है भोपाल की लैंडफिल साइट, कई इलाकों में फैला जहरीला धुआं
प्रदूषण का स्तर तीन गुणा अधिक बढ़ने के कारण आसपास की कॉलोनियों और गांवों में लोगों का जीना मुहाल हो गया है
कूड़े से बिजली बनाने की योजना पर उठते सवाल
कूड़े से बिजली बनाने वाले संयंत्रों को कचरे के निपटान का चमत्कारी तरीका माना जा रहा है। लेकिन यह विकल्प कितना व्यवहारिक है?
पर्यावरण मुकदमों की साप्ताहिक डायरी: सीवेज प्रदूषण के मामले में रिपोर्ट दाखिल करे यूपीपीसीबी: एनजीटी
देश के विभिन्न अदालतों में विचाराधीन पर्यावरण से संबंधित मामलों में बीते सप्ताह क्या कुछ हुआ, यहां पढ़ें –
पर्यावरण मुकदमों की डायरी: 16 जुलाई 2020
विभिन्न अदालतों में पर्यावरण से संबंधित मुकदमों की सुनवाई का सार
ग्राउंड रिपोर्ट: चौंकाने वाली है ओडीएफ घोषित हरियाणा की सच्चाई
अब नहीं होना होगा शर्मसार, खुले में शौच से मिली मुक्ति-4: जून 2017 में ओडीएफ घोषित हरियाणा के कई गांवों में हालात नहीं बदले ...
स्वच्छ भारत मिशन के जश्न से पहले खुले में शौच करते दो बच्चों की हत्या
आगामी 2 अक्टूबर को देश 100 फीसदी खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) होने का जश्न मनाएगा, लेकिन क्या यह मिशन सच में सफल रहा?
2 अक्टूबर को पूरा हो जाएगा स्वच्छ भारत मिशन का लक्ष्य, लेकिन...
अब नहीं होना होगा शर्मसार, खुले में शौच से मिली मुक्ति-1 : हर घर में शौचालय बन चुका है लेकिन सिर्फ 47 फीसदी बस्तियों ...
वैज्ञानिकों ने खोजी नई विधि, कुछ पलों में इलेक्ट्रॉनिक कचरे से प्राप्त हो जाएंगी कीमती धातुएं
पर्यावरण के दृष्टिकोण से साफ-सुथरी यह तकनीक, पारम्परिक विधि की तुलना में 500 गुना कम ऊर्जा की खपत करती है