आदिवासी इतिहास का नया अध्याय
भारत शायद विश्व के उन चुनिंदा देशों में है जहां जंगल-जमीन की स्वाधीनता और स्वायत्तता के सफल आंदोलनों का इतिहास - अकादमिक अथवा शैक्षणिक ...
अपनी जन्मभूमि में 'अपराधी' बन कर रह रहे हैं आदिवासी
आदिवासी कहते हैं कि धीरे-धीरे हमें विश्वास होता गया कि अपनी चुनी हुई सरकार और सरकार की चुनी हुई कंपनी में कोई भी अब ...
वन अधिकार कानून – जनजाति कार्य मंत्रालय का आधिकारिक अधिग्रहण, वन विभाग हुआ शक्ति सम्पन्न
यह अनुष्ठान वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के दोनों मंत्रियों प्रकाश जावडेकर और बाबुल सुप्रियो के लिए बा हैसियत अंतिम अनुष्ठान साबित हुआ
क्या भाषाओं के साथ विलुप्त हो जाएगा हमारे पुरखों का औषधीय पौधों के बारे में संजोया ज्ञान
जैसे-जैसे स्थानीय पारम्परिक भाषाई विविधता खत्म हो रही है, उसके साथ ही सदियों पुराने उपचार और औषधीय पौधों का ज्ञान भी खत्म होता जा ...
ग्राउंड रिपोर्ट: हर पेड़ की कटाई के साथ ही गरीब हो जाते हैं बस्तर के आदिवासी
आधुनिक विकास के जख्म देखने हों तो बस्तर के आदिवासी बहुल क्षेत्र के किसी भी गांव में चले जाइए, हालांकि इसके लिए आपको सुरक्षा ...
आदिवासी सृजन का सनातन संसार
समूचे आदिवासी समाज से उसका सर्वस्व छीनने का जो इतिहास शुरू हुआ, उसने दुनिया के प्रथम समाज को सदा सर्वदा के लिये दूसरे दर्ज़े ...
गिरीपार क्षेत्र के साढ़े तीन लाख लोगों की अनुसूचित जनजाति क्षेत्र घोषित करने की मांग
हाटी समुदाय के लोग पिछले 55 वर्षाें से जनजातीय क्षेत्र की मांग कर रहे हैं। टौंस नदी के पार के क्षेत्र जौनसार बावर को ...
आदिवासियों की जमीनों को संरक्षित करने वाले सीएनटी और एसपीटी एक्ट में बदलाव की मांग, जानिए क्या होगा असर?
संभव है कि 20 जून के बाद ही यह मामला विचार के लिए अदालत के सामने आएगा। इस बीच याचिका की निर्णायक मांग में ...
ब्लॉग : आदिवासियों के अधिकार और अस्मिता के अनुत्तरित अध्याय
यह संयोग नहीं है कि अमरीका के मिसिसिपी के तटों के ‘इंडियन’ से सुदूर भारत के पूर्वी गोलार्ध में रहने वाले ‘आदिवासियों’ की जिंदगी ...
आदिवासी महिलाओं का रचना संसार, भाषाएं जुुदा-मायने एक
आदिवासी रचना संसार की नई पीढ़ी अपने पूर्वजों के साथ हुए विश्वासघात से आहत तो है, लेकिन भावी पीढ़ी को सशक्त प्रतिवाद का स्वर ...
आदिवासियों के सवालों पर चुप्पी क्यों?
पूरी दुनिया में मूलवासियों/आदिवासियों की कुल जनसंख्या लगभग 48 करोड़ है, जिसका लगभग 22 फीसदी आदिवासी समाज भारत देश में रहता है
कोविड-19 महामारी में आदिवासियों की अकाल मृत्यु के लिए दोषी कौन?
स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार के नाम पर आबंटित राशि के अनुपात में एक-चौथाई लाभ भी आदिवासियों तक नहीं पहुँच पाया
पेसा का उल्लंघन है स्टेचू ऑफ यूनिटी के क्षेत्र को नियंत्रित करने वाला अधिनियम
स्टेचू ऑफ यूनिटी अधिनियम राज्य सरकार को क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्यों के लिए एक पर्यटन प्राधिकरण स्थापित करने का अधिकार ...
साहित्य में पर्यावरण: हमें निरंतर जगा रहे हैं सजग रचनाकार
हिन्दी साहित्य में 1980 के बाद अखबार और पत्र-पत्रिकाओं ने भी पर्यावरण और विज्ञान में रुचि दिखाई, जिसने समाज को लाभान्वित किया
भारत में आदिवासी महिलाओं के पोषण में अहम भूमिका निभाते हैं जंगली खाद्य पदार्थ : अध्ययन
अध्ययन के नतीजों से पता चला है कि जो महिलाएं जंगली खाद्य पदार्थों का सेवन करती हैं, उनका औसत आहार विविधता स्कोर जून में ...
महामहिम के नाम आदिवासी समाज का एक खुला पत्र
आदिवासी समाज के बीच रह कर काम कर रहे संगठन एकता परिषद के राष्ट्रीय महासचिव रमेश शर्मा नवनिर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नाम एक ...
स्टेन स्वामी: एक जुझारू योद्धा, शांति के पुरोधा और एक महान इंसान
स्टेन स्वामी ने हमेशा भारतीय संविधान को लागू करने और हाशिए पर रहने वाले लोगों के लिए बने कानूनों और नीतियों को सुरक्षित बनाए ...
केरल में अपनी ही जमीन से क्यों बेदखल किए जा रहे हैं ये आदिवासी
केरल के अट्टपाडी ब्लॉक के जनजातीय समुदायों को उनकी जमीन से बेदखल किया जा रहा है, वह भी तब जब उनके हितों की रक्षा ...
डाउन टू अर्थ खास: आदिवासियों के परिवार नियोजन पर प्रतिबंध लगाना कितना सही?
राज्य की पुरानी नीतियों के साये में रहने वाले कमजोर आदिवासी समूह परिवार नियोजन का विकल्प चुनने के अपने अधिकार की मांग कर रहे ...
ऐसे तो झारखंड का आदिवासी भविष्य में अदालत ही नहीं जा पाएगा?
झारखंड सरकार ने कोर्ट फीस अधिनियम 2021 में संशोधन कर कोर्ट फीस में छह से लेकर 10 गुना तक की वृद्धि कर दी है
विशेष पिछड़ी जनजातियां : अस्तित्व और अधिकारों के अनुत्तरित सवाल
विशेष पिछड़ी जनजातियों के पर्यावास क्षेत्र के अधिकारों पर भारत सरकार के जनजातीय मामलों के मंत्रालय सहित अधिकांश राज्य सरकारें तक मौन हैं
मूल निवासियों के भविष्य को खतरे में डाल रही हैं औद्योगिक परियोजनाएं: रिपोर्ट
रिपोर्ट में मूल निवासियों पर अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के कन्वेंशन सी169 और मूल निवासियों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र की घोषणा की अनदेखी का ...
डाउन टू अर्थ खास: खानपान में बदलाव से कम हो रही है आदिवासियों की उम्र!
खानपान में परिवर्तन और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच न होने के कारण आदिवासी आबादी की जीवन प्रत्याशा में कमी आ रही है
यात्रा वृतांत: उत्तराखंड का यह गांव, जहां से युवा नहीं करते पलायन
उत्तराखंड के गांव के गांव खाली हो रहे हैं। सबसे पहले युवा रोजगार की तलाश में पलायन करते हैं, लेकिन इन गांवों में ऐसा ...
बिरसा मुंडा के वंशजों का हाल, अधिग्रहित की 27 डिसमिल जमीन, वापस की 12.5 डिसमिल
धरती आबा बिरसा मुंडा के नाम पर सरकार कई योजनाएं चला रही हैं, लेकिन उनके वंशज ही बदहाली में जी रहे हैं