खानाबदोश: कल के विरुद्ध खड़ा बेपनाह समाज
वर्ष 2011 में 46,73,034 जातियों-उपजातियों को तो चिन्हित किया गया, लेकिन लाखों खानाबदोश, तब भी इन सामाजिक वर्गीकरणों में भूले-बिसरे ही रह गये
बिरसा मुंडा के वंशजों का हाल, अधिग्रहित की 27 डिसमिल जमीन, वापस की 12.5 डिसमिल
धरती आबा बिरसा मुंडा के नाम पर सरकार कई योजनाएं चला रही हैं, लेकिन उनके वंशज ही बदहाली में जी रहे हैं
ब्लॉग : आदिवासियों के अधिकार और अस्मिता के अनुत्तरित अध्याय
यह संयोग नहीं है कि अमरीका के मिसिसिपी के तटों के ‘इंडियन’ से सुदूर भारत के पूर्वी गोलार्ध में रहने वाले ‘आदिवासियों’ की जिंदगी ...
संसद में आज: केरल के अट्टापडी आदिवासी बस्तियों में 121 से अधिक बच्चों की मौत
23,245 गांवों को ठोस अपशिष्ट प्रबंधन तथा 8,159 गांवों को तरल अपशिष्ट प्रबंधन व्यवस्था से कवर किया गया है
संसद में आज:भारत में साल 2020 में बिजली गिरने से 2862 लोगों की मौत हुई
राजस्थान में अवैध खनन के वर्ष 2019 से अक्टूबर 2021 तक 28,714 घटनाएं दर्ज की गईं
हसदेव अरण्य: भारतीय वन्य जीव संस्थान की रिपोर्ट की अनदेखी कर रही है छत्तीसगढ़ सरकार
हसदेव अरण्य पर छत्तीसगढ़ सरकार ने जो रवैया अपनाया है, उससे सरकार की मंशा पर सवाल उठने लगे हैं
झारखंड: स्मार्ट सिटी के नाम पर तोड़े आदिवासियों के घर, उखाड़े पेड़
रांची के धुर्वा में 650 एकड़ भूमि पर स्मार्ट सिटी विकसित की जा रही है
संसद में आज: आदिवासियों के विस्थापन के बारे में मंत्रालय के पास कोई जानकारी नहीं
पेट्रोलियम और प्राकृतिक मंत्रालय में राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने राज्यसभा में बताया कि सरकार ईंधन के रूप में हाइड्रोजन को बढ़ावा देने के ...
पद्मश्री पाने के बाद क्यों बढ़ गई इन आदिवासियों की आर्थिक बदहाली?
आदिवासी वर्ग को पद्मश्री तो मिल जाता है, लेकिन आर्थिक तंगी की वजह से इसके बाद उनकी परेशानियां बढ़ जाती हैं
जय भीम: सत्य और फंतासी के बीच झूलती एक कहानी
गणतंत्र को बचाने के लिए कभी-कभी तानाशाही की जरूरत पड़ती है, ऐसी समझ वाले लोगों को जवाब दे रही है जय भीम
कॉप-26: कृषि को पर्यावरण अनुकूल बनाने के लिए नीतियों में बदलाव करेंगे 26 देश, भारत भी शामिल
इसी के साथ 45 देशों ने प्रकृति की रक्षा के लिए तत्काल कार्रवाई और निवेश का वादा किया है। साथ ही उन्होंने कृषि को ...
साहित्य में पर्यावरण: हमें निरंतर जगा रहे हैं सजग रचनाकार
हिन्दी साहित्य में 1980 के बाद अखबार और पत्र-पत्रिकाओं ने भी पर्यावरण और विज्ञान में रुचि दिखाई, जिसने समाज को लाभान्वित किया
दस दिन पैदल चल रायपुर पहुंचे आदिवासी, कहा- अडानी को नहीं देंगे अपनी जमीन
छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य क्षेत्र के मदनपुर से लगातार लगभग 300 किलोमीटर पैदल चलते हुए आदिवासी रायपुर पहुंच गए हैं
आखिर क्यों 300 किलोमीटर पैदल चल पड़े हैं आदिवासी?
हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोयला खनन के विरोध में आदिवासियों ने 300 किमी की पैदल यात्रा शुरू की। जो 10 दिन में मदनपुर से ...
जल, जमीन, जंगल बचाने की जद्दोजहद में गई 227 पर्यावरण प्रहरियों की जान
वर्ष 2020 में जल, जमीन, जंगल बचाने की जद्दोजहद में 227 पर्यावरण रक्षकों की जान गई थी, जिसमें 4 भारतीय भी शामिल थे
पारंपरिक अनानास की खेती कर जैव विविधता बचा रही है असम की हमार जनजाति
अध्ययन से पता चलता है कि असम की "हमार" जनजाति पारंपरिक तरीके से अनानास की खेती कर जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता को बचाने ...
जग बीती: विश्व आदिवासी दिवस और आदिवासी
आदिवासियों पर ऐतिहासिक अन्यायों के अर्थ और अनर्थ
विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर भारत में आदिवासियों के साथ हो रहे अन्याय पर विशेष आलेख
संसद में आज: हमारे देश तक ही सीमित नहीं है तापमान में वृद्धि: केंद्रीय मंत्री
जनजातीय मामलों की राज्य मंत्री रेणुका सिंह सरुता ने लोकसभा में बताया कि आदिवासी आबादी के बीच सिकल सेल रोग की राज्यवार प्रसार दर ...
महाराष्ट्र के वारली लोग तेंदुओं को देवता मानकर करते हैं संरक्षण
वारली लोग एक पारस्परिक संबंध में विश्वास करते हैं, उनका मानना है कि वाघोबा उन्हें बड़ी बिल्लियों के साथ जगह को साझा करने और ...
वन अधिकार कानून – जनजाति कार्य मंत्रालय का आधिकारिक अधिग्रहण, वन विभाग हुआ शक्ति सम्पन्न
यह अनुष्ठान वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के दोनों मंत्रियों प्रकाश जावडेकर और बाबुल सुप्रियो के लिए बा हैसियत अंतिम अनुष्ठान साबित हुआ
स्वदेशी और स्थानीय ज्ञान प्रणालियों के नुकसान के होंगे हानिकारक प्रभाव: वैज्ञानिक
स्वदेशी लोगों और स्थानीय समुदायों की ज्ञान प्रणाली और प्रथाएं हमारी धरती की जैविक और सांस्कृतिक विविधता की रक्षा करने में अहम भूमिका निभाती ...
स्टेन स्वामी: एक जुझारू योद्धा, शांति के पुरोधा और एक महान इंसान
स्टेन स्वामी ने हमेशा भारतीय संविधान को लागू करने और हाशिए पर रहने वाले लोगों के लिए बने कानूनों और नीतियों को सुरक्षित बनाए ...
भाषा के साथ खत्म होती हैं अनुभूतियां
जरूरी नहीं है कि लिखित भाषाएं ही परिपक्व हों, हमारी बहुत सी भाषाएं वाचिक साहित्य का हिस्सा हैं - अन्विता अब्बी
घुमंतू समुदाय की भाषा पर खतरा सबसे अधिक
भाषायी सर्वेक्षण प्रकाशित करने वाले गणेश देवी से डाउन टू अर्थ ने भाषाओं की विलुप्ति पर विस्तार से बात की