अदानी को खदान देने के विरोध में आदिवासियों ने मोर्चा खोला
दो दिन पैदल चलकर आदिवासियों ने किरंदुल स्थित एनडीएमसी दफ्तर पर धरना शुरू किया
आदिवासियों के सवालों पर चुप्पी क्यों?
पूरी दुनिया में मूलवासियों/आदिवासियों की कुल जनसंख्या लगभग 48 करोड़ है, जिसका लगभग 22 फीसदी आदिवासी समाज भारत देश में रहता है
वन अधिकार कानून पर वनवासियों को राहत, दावे पर दोबारा होगी सुनवाई
वन अधिकार कानून के तहत आदिवासियों और अन्य वनवासियों के 3 लाख 60 हजार से अधिक दावे निरस्त किए गए थे, जिनपर एक बार फिर ...
कोविड-19 महामारी में आदिवासियों की अकाल मृत्यु के लिए दोषी कौन?
स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार के नाम पर आबंटित राशि के अनुपात में एक-चौथाई लाभ भी आदिवासियों तक नहीं पहुँच पाया
पेसा का उल्लंघन है स्टेचू ऑफ यूनिटी के क्षेत्र को नियंत्रित करने वाला अधिनियम
स्टेचू ऑफ यूनिटी अधिनियम राज्य सरकार को क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्यों के लिए एक पर्यटन प्राधिकरण स्थापित करने का अधिकार ...
साहित्य में पर्यावरण: हमें निरंतर जगा रहे हैं सजग रचनाकार
हिन्दी साहित्य में 1980 के बाद अखबार और पत्र-पत्रिकाओं ने भी पर्यावरण और विज्ञान में रुचि दिखाई, जिसने समाज को लाभान्वित किया
महामहिम के नाम आदिवासी समाज का एक खुला पत्र
आदिवासी समाज के बीच रह कर काम कर रहे संगठन एकता परिषद के राष्ट्रीय महासचिव रमेश शर्मा नवनिर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नाम एक ...
स्टेन स्वामी: एक जुझारू योद्धा, शांति के पुरोधा और एक महान इंसान
स्टेन स्वामी ने हमेशा भारतीय संविधान को लागू करने और हाशिए पर रहने वाले लोगों के लिए बने कानूनों और नीतियों को सुरक्षित बनाए ...
जग बीती: हीरे की कीमत
केरल में अपनी ही जमीन से क्यों बेदखल किए जा रहे हैं ये आदिवासी
केरल के अट्टपाडी ब्लॉक के जनजातीय समुदायों को उनकी जमीन से बेदखल किया जा रहा है, वह भी तब जब उनके हितों की रक्षा ...
डाउन टू अर्थ खास: आदिवासियों के परिवार नियोजन पर प्रतिबंध लगाना कितना सही?
राज्य की पुरानी नीतियों के साये में रहने वाले कमजोर आदिवासी समूह परिवार नियोजन का विकल्प चुनने के अपने अधिकार की मांग कर रहे ...
ऐसे तो झारखंड का आदिवासी भविष्य में अदालत ही नहीं जा पाएगा?
झारखंड सरकार ने कोर्ट फीस अधिनियम 2021 में संशोधन कर कोर्ट फीस में छह से लेकर 10 गुना तक की वृद्धि कर दी है
अब सोनाखान को बचाने के लिए सड़क पर उतरे आदिवासी
608 एकड़ की सोनाखान भूमि की लीज हासिल करने वाली वेदांता-बॉल्को कंपनी के प्रतिनिधियों ने हाल ही में बाघमारा क्षेत्र का दौरा किया, इसके ...
बैलाडीला खदान: फिर से आंदोलन की तैयारी में हैं आदिवासी
बैलाडीला खदान को अडानी को सौंपे जाने के मामले की जांच रिपोर्ट न मिलने के कारण आदिवासी संगठनों ने एक बार फिर आंदोलन की ...
क्या सेंटीनेलिस को ‘बचाने’ की जरूरत है?
अंडमान की सेंटीनेलिस और अन्य जनजातियों की आबादी सीमित है। क्या वे विलुप्त हो जाएंगी?
अदानी से अपने पहाड़ को बचाने दिन-रात डटे हैं आदिवासी
दिन में नारेबाजी और रात को आंदोलन के गीत गाकर धरनास्थल पर इकट्ठा है सैकड़ों आदिवासी
आखिर विकास हो किसका रहा है?
क्या खनन से होने वाले प्राकृतिक विनाश की हम पूरी तरह से भरपाई कर पाएंगे?
मध्यप्रदेश सरकार बना रही है वन्यप्राणी अभयारण्य, आदिवासियों के विस्थापन का खतरा
मध्यप्रदेश वन विभाग पश्चिम मंडला वनमंडल के जबलपुर से लगे चार रेंज बरेला, बीजाडांडी, काल्पी और टिकारिया के कुछ क्षेत्रों को मिलाकर 35 हजार किमी जंगल ...
बैलाडीला: आदिवासियों से जंगल छीनकर कॉरपोरेट को देने का खेल
जंगल और पहाड़ को बचाने की लड़ाई का पहला मोर्चा आदिवासियों ने जीत लिया, लेकिन लड़ाई खत्म नहीं हुई है
“समाज और राष्ट्र के विरोधाभास का प्रतीक है बेड़िया समुदाय”
32 साल से पहले दिल्ली, वाराणसी, राजस्थान और अब मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में बेड़िया समुदाय के बीच रहकर उनकी जिंदगी आसान बनाने ...
बैलाडीला मामले की जांच शुरू, आदिवासियों व ग्राम सचिव ने दर्ज कराए बयान
दंतेवाड़ा के बैलाडीला इलाके की खदान 13 अदानी एंटरप्राइजेज को दिए जाने का विरोध कर रहे आदिवासियों की सुनवाई शुरू हो गई है
डाउन टू अर्थ खास: खानपान में बदलाव से कम हो रही है आदिवासियों की उम्र!
खानपान में परिवर्तन और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच न होने के कारण आदिवासी आबादी की जीवन प्रत्याशा में कमी आ रही है
यात्रा वृतांत: उत्तराखंड का यह गांव, जहां से युवा नहीं करते पलायन
उत्तराखंड के गांव के गांव खाली हो रहे हैं। सबसे पहले युवा रोजगार की तलाश में पलायन करते हैं, लेकिन इन गांवों में ऐसा ...
बिरसा मुंडा के वंशजों का हाल, अधिग्रहित की 27 डिसमिल जमीन, वापस की 12.5 डिसमिल
धरती आबा बिरसा मुंडा के नाम पर सरकार कई योजनाएं चला रही हैं, लेकिन उनके वंशज ही बदहाली में जी रहे हैं
लॉकडाउन का असर: न महुआ और न बांस की टोकरी बेच पा रहे हैं कमार जनजाति के लोग
हमारे समाज का एक ऐसा वर्ग है जो पहले से हाशिये पर है उनके आजीविका पर लॉकडाउन का असर दिखाई देने लगा है