बैगा आदिवासियों के दिल्ली वाले बाबा नहीं रहे !
प्रभुदत्त खेड़ा बैगा आदिवासियों के बीच शिक्षा बांटते रहे हालांकि वे हमेशा यही कहते थे कि बैगाओं को पर्यावरण और वनस्पतियों का ज्ञान किसी ...
सामुदायिक भूमि पर अधिकार के लिए दलितों का आंदोलन
पंजाब के दलित एकजुट होकर मजबूत तबके से लोहा ले रहे हैं और तमाम उतार-चढ़ाव के बाद हक की लड़ाई जीत भी रहे हैं
महुए की मिठास अब होगी खास!
आदिवासियों द्वारा महुए से बनाए जाने वाले पारंपरिक पेय को शहरी बाजार में उतारने के लिए ट्राईफेड ने आईआईटी दिल्ली के साथ मिलकर तैयार ...
भारी खर्च के बाद भी कई राज्यों में कोई एकलव्य स्कूल चालू नहीं हुआ
झारखंड में 13 विद्यालयों को मंजूरी दी गई और 2018 तक 130 करोड़ रुपए जारी भी किए गए लेकिन आदिवासियों के लिए कोई स्कूल ...
आधे से ज्यादा आदिवासियों ने घर छोड़ा
आदिवासी खेती से मुंह मोड़ रहे हैं। हर दूसरा आदिवासी परिवार असंगठित क्षेत्र में मजदूरी कर गुजर-बसर को मजबूर है
संवैधानिक अधिकार के लिए संघर्ष
पांचवी अनुसूची में दिए गए सांवैधानिक अधिकार को हासिल करने के लिए आदिवासियों को संघर्ष करना पड़ रहा है
थाने के बाहर दो दिन से जमा हैं आदिवासी, जानें क्यों?
9 जुलाई को हुए फायरिंग में 4 आदिवासी घायल हो गए थे। आदिवासियों की मांग है कि आरोपी वनकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए
अब मध्यप्रदेश में गूंजा जंगल-जमीन कोन री छे, आमरी छे का नारा, 4 आदिवासी घायल
मध्यप्रदेश के बुरहान पुर के वन क्षेत्र में पुलिस की गोली से चार आदिवासी घायल हो गए। ये आदिवासी वन भूमि से कब्जा हटाने ...
मध्यप्रदेश सरकार बना रही है वन्यप्राणी अभयारण्य, आदिवासियों के विस्थापन का खतरा
मध्यप्रदेश वन विभाग पश्चिम मंडला वनमंडल के जबलपुर से लगे चार रेंज बरेला, बीजाडांडी, काल्पी और टिकारिया के कुछ क्षेत्रों को मिलाकर 35 हजार किमी जंगल ...
मध्यप्रदेश में अपनी अधिग्रहित जमीन क्यों वापस मांग रहे आदिवासी और किसान
मध्य प्रदेश में पांच साल बाद भी परियोजनाएं शुरू न होने पर आदिवासियों ने अपनी जमीन लौटाने की मांग की है। इस लड़ाई में ...
कारपोरेट और नौकरशाहों के लिए वन कानून में बदलाव की तैयारी
केंद्र सरकार द्वारा भारतीय वन अधिनियम (आईएफए), 1927 में संशोधन किया जा रहा है। इसका मकसद समुदाय संचालित वन्य व्यवस्था को खत्म करना और ...
एमपी अजब है
मध्य प्रदेश के श्योपुर में कुपोषण ने दो बच्चों की जिंदगी खत्म कर दी। प्रदेश में कुपोषण से पिछले साल 100 से अधिक बच्चों ...
वन अधिकारों से बेदखल 18 राज्यों के 122 गांव, लोकसभा चुनाव के दौरान बदला गया लैंडयूज
20 मई को केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने 18 राज्यों के 122 वन्य गांवों की जमीन का कानूनी दर्जा समाप्त कर उन्हें राजस्व ...
वनवासियों पर भारी न पड़ जाए सरकार की जल्दबाजी
आरोप है कि मंशा सही होने के बावजूद छत्तीसगढ़ सरकार आदिवासियों के दावों की सुनवाई में जल्दबाजी कर रही है
मौसम विज्ञान को चुनौती, यह घड़ा बताता है कि बारिश होगी या नहीं
बीहड़ों में रहनेवाले आदिवासी मौसम विज्ञानियों के पूर्वानुमान पर निर्भर नहीं रहते। इनके पास देसी तरकीब है, जिसका इस्तेमाल ये सदियों से करते आए ...
चुटका परमाणु विद्युत परियोजना के खिलाफ एकजुट हुए आदिवासी, 20 अक्टूबर को प्रदर्शन
चुटका परमाणु विद्युत परियोजना की वजह से 54 आदिवासी गांवों के लगभग 60 हजार लोगों पर परमाणु विकिरण का खतरा बन सकता है
बैलाडीला खदान: फिर से आंदोलन की तैयारी में हैं आदिवासी
बैलाडीला खदान को अडानी को सौंपे जाने के मामले की जांच रिपोर्ट न मिलने के कारण आदिवासी संगठनों ने एक बार फिर आंदोलन की ...
अब सोनाखान को बचाने के लिए सड़क पर उतरे आदिवासी
608 एकड़ की सोनाखान भूमि की लीज हासिल करने वाली वेदांता-बॉल्को कंपनी के प्रतिनिधियों ने हाल ही में बाघमारा क्षेत्र का दौरा किया, इसके ...
झारखंड में आदिवासियों के गुस्से का शिकार हुई भाजपा: विशेषज्ञ
झारखंड के आदिवासियों को डर था कि रघुवर दास सरकार दोबारा बनी तो उन्हें अपनी जमीन से हाथ धोना पड़ सकता है
बैठे ठाले: पानीपत, एक युद्ध कथा
अब्दाली आज भी अफगानिस्तान की पहाड़ियों में अपने आधार कार्ड, पासपोर्ट, बिजली बिल, वोटर आईडी जैसे कागजात ढूंढ़ रहा है
उत्तराखंड में जंगली जानवरों के हमले से 58 लाेग मरे
उत्तराखंड में मानव-वन्यजीव संघर्ष में सबसे ज्यादा मुश्किल गुलदार को लेकर है। इसके हमले में 18 लोगों की मौत हुई।
लॉकडाउन ग्रामीण अर्थव्यवस्था: हाट बंद होने से छत्तीसगढ़ के आदिवासी परेशान
छत्तीसगढ़ का धमतरी जिला न केवल भारत, बल्कि एशिया में लाख के बाजार के लिए मशहूर है। लेकिन...
लॉकडाउन का असर: न महुआ और न बांस की टोकरी बेच पा रहे हैं कमार जनजाति के लोग
हमारे समाज का एक ऐसा वर्ग है जो पहले से हाशिये पर है उनके आजीविका पर लॉकडाउन का असर दिखाई देने लगा है
न कोरोना का भय, न लॉकडाउन का असर, यहां नहीं थमी जिंदगी
झारखंड की अनुसूचित जनजाति की 80 फीसदी आबादी जंगलों में रहती है और इनकी जिंदगी में अभी कोई बदलाव नहीं आया है
कोरोना से लड़ाई में आदिवासियों का साथ दे रहा है यह स्वयंसेवी संगठन
कोरापुट देश के उन जिलों में से है जहां 50 प्रतिशत से ज्यादा आबादी आदिवासियों की है। यहां प्रगति नामक यह संगठन लोगों के ...