चुटका परमाणु विद्युत परियोजना के खिलाफ एकजुट हुए आदिवासी, 20 अक्टूबर को प्रदर्शन
चुटका परमाणु विद्युत परियोजना की वजह से 54 आदिवासी गांवों के लगभग 60 हजार लोगों पर परमाणु विकिरण का खतरा बन सकता है
माओवादियों से इतर बस्तर
हिंसा के भय को भूल भी जाएं तो दंडकारण्य में शिक्षा और स्वास्थ्य की स्थिति बेहद चिंताजनक है
तीन दिन से क्यों पैदल चल रहे हैं आदिवासी, क्या हैं उनकी मांगें?
छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में आदिवासियों से ली गई जमीन पर एक दर्जन से अधिक खदानें व आधा दर्जन थर्मल पॉवर स्टेशन बन चुके ...
सामुदायिक जमीन को लेकर चल रहे हैं भारत के तीन-चौथाई भूमि संबंधी विवाद
41 फीसदी मामलों में, समुदायों का आरोप है कि अधिकारियों या परियोजना प्रस्तावकों ने भूमि अधिग्रहण के लिए उचित प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया।
डाउन टू अर्थ खास: वनवासियों के कितने काम आ रहा है वनाधिकार अधिनियम?
पिछले कुछ समय से वन समुदायों द्वारा न केवल अपने आवास के संसाधनों तक पहुंच बनाने, बल्कि वनों पर अपना स्वामित्व स्थापित करने की ...
टिप्पिंग पॉइंट पर पहुंचा अमेजन के जंगलों का 26 फीसदी हिस्सा, मूल निवासियों पर टिकी उम्मीदें
रिपोर्ट की मानें तो 2025 तक अमेजन के 80 फीसदी हिस्से को संरक्षित करना संभव है, लेकिन इसके लिए वहां रहने वाले मूल निवासियों ...
मध्य प्रदेश में भूमि रिकॉर्ड में गड़बड़ी, दलितों-आदिवासियों की जमीन दूसरों के नाम
मध्य प्रदेश में जमीन के कंप्यूटरीकरण से आदिवासियों व दलितों की जमीन पर प्रभावशाली लोगों का कब्जा और उनका नाम दर्ज हो गया है
सलवा जुडूम और नक्सली हिंसा से पीड़ित आदिवासी मांग रहे हैं दो गज जमीन
राज्य समर्थित नागरिक सेना सलवा जुडूम और नक्सल समर्थकों के बीच चल रही हिंसा से खुद को बचाने के लिए साल 2005-06 में 50,000 ...
कोस्टल रोड परियोजना से जूझता कोली समुदाय
पहले से ही अस्तित्व का संकट झेल रहा मुंबई का कोली समुदाय अब कोस्टल रोड परियोजना की वजह से खासा चिंतित है
संसद में आज: केरल के अट्टापडी आदिवासी बस्तियों में 121 से अधिक बच्चों की मौत
23,245 गांवों को ठोस अपशिष्ट प्रबंधन तथा 8,159 गांवों को तरल अपशिष्ट प्रबंधन व्यवस्था से कवर किया गया है
किसानों के विरोध के बाद कपास का समर्थन मूल्य मिलेगा
कपास मिल मालिक किसानों की अनुपस्थिति में नमी की मात्रा मापकर न्यूनतम समर्थन मूल्य देने से इंकार कर देते थे
मनुष्य की 9 में से 8 प्रजातियां हो चुकी हैं विलुप्त
विलुप्ति की टाइमिंग बताती है कि उनका गायब होना एक नई प्रजाति के उदय का नतीजा हो सकती है। यह प्रजाति थी होमो सेपियंस
वनवासियों के हकों को नजरअंदाज करके नहीं किया जा सकता वनों का विकास
उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के 30 करोड़ लोग उन क्षेत्रों में रहते हैं जो जंगलों की बहाली के लिए उपयुक्त हैं, जबकि इस जमीन के 5 ...
आदिवासियों के लिए खतरनाक साबित होगा यह संशोधन!
खास रिपोर्ट: कोरोना महामारी के बीच महाराष्ट्र में वन अधिकार कानून में संशोधन किया गया है, आइए जानते हैं कि इसका वनवासियों पर क्या असर पड़ने ...
कछारगढ़ मेला: गोंड संस्कृति का सजीव संरक्षक
तीन दिवसीय मेला जो गोंड समुदाय को अपने मिथकों से जोड़ता है
वन विभाग बनाम वनाधिकार कानून
भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा 28 जून 2022 को जारी नया फरमान, आदिवासियों और वनाश्रितों के विरुद्ध ऐतिहासिक अन्याय करने वाले ...
आदिवासी जीवन के पाठ से शुरू होती है “जीवनशाला”: मेधा
नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर के स्कूल प्रोजेक्ट "जीवनशाला" पर लग रहे आरोपों के चलते डाउन टू अर्थ ने उनसे बात की
संसद में आज (22 मार्च 2022): झारखंड में आयुष्मान योजना का लाभ उठा रहा है स्वास्थ्य माफिया?
बाजरा उच्च पोषण विशेषताओं और स्वास्थ्य को फायदा पहुंचाने वाला खाद्यान्न हैं। कम से कम पानी और लागत के साथ इसकी खेती की जाती ...
आखिर क्यों 300 किलोमीटर पैदल चल पड़े हैं आदिवासी?
हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोयला खनन के विरोध में आदिवासियों ने 300 किमी की पैदल यात्रा शुरू की। जो 10 दिन में मदनपुर से ...
किसके पास हैं आदिवासियों के इन सवालों के जवाब
पूरी दुनिया में आदिवासियों की कुल आबादी लगभग 48 करोड़ है, जिसका लगभग 22 फीसदी आदिवासी समाज भारत में रहता है
एमपी अजब है
मध्य प्रदेश के श्योपुर में कुपोषण ने दो बच्चों की जिंदगी खत्म कर दी। प्रदेश में कुपोषण से पिछले साल 100 से अधिक बच्चों ...
संसद में आज: ओडिशा में 2020-21 में हाथियों के हमले से 93 लोगों की गई जान
अध्ययन के मुताबिक भारत के पूर्वी और पश्चिमी तट के साथ विभिन्न समुद्र तटों पर प्लास्टिक का अलग-अलग तरह का कचरा 40 फीसदी से ...
मांस की बजाय गेहूं: मध्य प्रदेश के आदिवासियों ने बदला अपना खानपान
गरीबी और सरकारी राशन पर भरोसे के चलते बदल रही आदतें, हालांकि खानपान में विभिन्नता पर पड़ रहा नकारात्मक असर
जल, जमीन, जंगल बचाने की जद्दोजहद में गई 227 पर्यावरण प्रहरियों की जान
वर्ष 2020 में जल, जमीन, जंगल बचाने की जद्दोजहद में 227 पर्यावरण रक्षकों की जान गई थी, जिसमें 4 भारतीय भी शामिल थे
पारंपरिक अनानास की खेती कर जैव विविधता बचा रही है असम की हमार जनजाति
अध्ययन से पता चलता है कि असम की "हमार" जनजाति पारंपरिक तरीके से अनानास की खेती कर जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता को बचाने ...