चुरु के खजाने
मॉनसून के जल को एकत्रित करने के लिए तैयार कुंड बदहाली से गुजर रहे हैं
वर्षा के बूंद-बूंद को सहेजने में मदद कर सकता है देवास रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम
देशभर में साल भर के 8760 घंटो मे से केवल 100 घंटे ही वर्षा होती है, इसलिए वर्षाजल का संरक्षण बेहद जरूरी है।
रेत के धोरों में बार-बार प्यास बुझाती बेरी
सलमेर से लगभग 40 किमी दूर सम पंचायत समिति के गांव सियांबर में रेत के धोरों के बीच सौ से अधिक बेरियां मौजूद हैं।
सस्ता, सुलभ, सरल ज्ञान
गोंड शासन वाले क्षेत्र के जलाशय अद्भुत इंजीनियरिंग तकनीक को दर्शाते हैं। गोंडों ने नई सिंचाई परियोजनाओं को शुरू करने वालों को खेत उपलब्ध ...
अद्भुत जल सुरंगें
सुरंगम पहाड़ी के अंदर बना एक तरह का क्षैतिज कुआं है, जिससे कठोर चट्टानों से रुका पानी बाहर आ जाता है। अक्सर इस पानी ...
एक रहस्यमय तालाब के ही इर्द-गिर्द हुई थी जम्मू शहर की उत्पत्ति!
अर्द्ध पर्वतीय क्षेत्र कंडी में तालाब पेयजल का प्रमुख स्रोत रहे हैं। 1960 के दशक के बाद तालाबों की बदहाली का दौर शुरू हुआ ...
पारंपरिक ज्ञान में छिपे जल विवाद समाधान के सूत्र
देश में 17 अंतरराज्यीय नदियां हैं, इसलिए जल विवादों का होना असामान्य बात नहीं है। लेकिन जल बंटवारे को लेकर स्थायी समझ का नहीं ...
जूड़शीतल: चूल्हों को अवकाश, तालाबों-कुओं की सफाई वाला मिथिला का अनूठा पर्व
मेष संक्रांति और उससे अगले दिन मनाए जाने वाले इस त्यौहार में जलस्त्रोतों और प्रकृति को बचाने के प्रति लोगों की ललक देखने को मिलती ...
मिटने लगी हैं पारंपरिक जल संचय प्रणालियां
अंडमान की पारंपरिक व्यवस्थाएं काम नहीं कर रही हैं, अगर उन पर ध्यान दिया जाए तो ये लोगों की पानी संबंधी जरूरतें पूरी कर ...
जल संकट का समाधान: बारिश की एक बूंद बेकार नहीं जाने देते ये गांव
चिड़ावा पंचायत क्षेत्र में बारिश के पानी का भंडारण कर 66 गांवों की प्यास बुझाई जा रही है
गोकुल का गौरव
कोंकण की पारंपरिक जल संचय विधियां आज भी प्रासंगिक हैं जिन्हें अधिकांश लोगों ने भुला दिया है
उम्मीदों के दीए
प्राचीन काल में राजाओं और प्रधानों द्वारा बनवाए गए तालाब अब भी प्रयोग में हैं लेकिन उनकी हालत बेहद खराब है।
पाट में झलकती पटुता
पाट प्रणाली के अंतर्गत पहाड़ी से नीचे बहते हुए पानी को खास तरह से सिंचाई-नालों की तरफ मोड़ दिया जाता है
परंपरागत जल प्रणाली का धनी
अहमदाबाद में पानी को जमा रखने के लिए अनेक जलाशय और झील थी। 34 बराबर किनारों वाले कांकरिया तालाब का निर्माण सन 1451 में ...
पानी से घिरे फिर भी प्यासे
शोंपेन आदिवासियों को बुलेटवुड लकड़ी शायद ही कभी मिल पाती है। इसी के चलते लट्ठों से बांधों का बनना भी धीरे-धीरे कम होता जा ...
एक प्राचीन पद्धति से खुशहाल जीवन जी रहे हैं इस गांव के लोग
जाबो पद्धति कृषि, वानिकी और पशुपालन का मिलाजुला रूप है जो मिट्टी का बहाव रोकने, जल संसाधन का विकास करने और पर्यावरण संरक्षण मंे ...
जल की अग्निपरीक्षा
स्थानीय समुदाय को जल संरचनाओं का स्वामित्व देना, लोकतंत्र को मजबूत करना और शक्तियों का हस्तांतरण। इससे जल का कुप्रबंधन रोका जा सकता है
अकेले ही तालाब को किया कचरा मुक्त, अब गांव वाले देते हैं साथ
बिना सरकारी मदद के बाड़मेर के भंवर लाल ने अपने गांव के तालाब की सफाई शुरू की और अब पूरा गांव उनके साथ खड़ा ...
पेड़ हटे, नदियों के रास्ते बंटे
ब्रह्मपुत्र घाटी के प्राकृतिक जल स्रोतों की संरचना अब काफी बदल गई है। पेड़ों के हट जाने से नदियां “आजाद” हो गईं और जहां ...
तालाबों को बर्बाद होने से बचाने की लड़ाई लड़ने वाले योद्धाओं की कहानी!
अतिक्रमण और गंदगी के कारण तालाबों की हालत दयनीय हो गई है
परंपरा की उपेक्षा से प्यासी मरुभूमि
गुजरात के थार में भूजल तेजी से गिरता जा रहा है और तालाब बदहाली के दौर से गुजर रहे हैं
खत्म हो रही है एक पारंपरिक सिंचाई प्रणाली, कौन है जिम्मेवार
महाराष्ट्र में खेतों तक पानी पहुंचाने वाली यह पारंपरिक व्यवस्था गन्ने की खेती और सरकारी उपेक्षा की कीमत चुका रही है
बीजापुर का वैभव
औरंगजेब से हारने के बाद आदिल शाही वंश ने इस्लामी इमारतों के रूप में समृद्ध विरासत छोड़ी। इसके साथ ही उन्होंने शहर में जल ...
पानी में आर्सेनिक की समस्या का किफायती समाधान दे रहे कुएं
बिहार के समस्तीपुर जिले के चापर गांव के करीब 20 आर्सेनिक प्रभावित परिवार कुएं के पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं
जल संकट का समाधान: राजस्थान से मध्यप्रदेश पहुंची पारंपरिक तकनीक
मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले में 14 एकड़ के कैंपस में हर साल तीन लाख लीटर वर्षा जल संग्रहित किया जाता है और साल भर ...