जग बीती: अपने-अपने देश!
आदिवासी सृजन का सनातन संसार
समूचे आदिवासी समाज से उसका सर्वस्व छीनने का जो इतिहास शुरू हुआ, उसने दुनिया के प्रथम समाज को सदा सर्वदा के लिये दूसरे दर्ज़े ...
पुस्तक समीक्षा: पत्थलगड़ी, अनसुनी को स्वर
अनुज लुगुन हर उस आवाज को शब्द देते हैं, जिनकी आवाज ताकत के बूते दबाई जा रही है
गिरीपार क्षेत्र के साढ़े तीन लाख लोगों की अनुसूचित जनजाति क्षेत्र घोषित करने की मांग
हाटी समुदाय के लोग पिछले 55 वर्षाें से जनजातीय क्षेत्र की मांग कर रहे हैं। टौंस नदी के पार के क्षेत्र जौनसार बावर को ...
आदिवासियों की जमीनों को संरक्षित करने वाले सीएनटी और एसपीटी एक्ट में बदलाव की मांग, जानिए क्या होगा असर?
संभव है कि 20 जून के बाद ही यह मामला विचार के लिए अदालत के सामने आएगा। इस बीच याचिका की निर्णायक मांग में ...
ब्लॉग : आदिवासियों के अधिकार और अस्मिता के अनुत्तरित अध्याय
यह संयोग नहीं है कि अमरीका के मिसिसिपी के तटों के ‘इंडियन’ से सुदूर भारत के पूर्वी गोलार्ध में रहने वाले ‘आदिवासियों’ की जिंदगी ...
जग बीती: विश्व आदिवासी दिवस और आदिवासी
जग बीती: बाघ संरक्षण के बहाने!
उत्तराखंड में जंगली जानवरों के हमले से 58 लाेग मरे
उत्तराखंड में मानव-वन्यजीव संघर्ष में सबसे ज्यादा मुश्किल गुलदार को लेकर है। इसके हमले में 18 लोगों की मौत हुई।
बैठे ठाले: पानीपत, एक युद्ध कथा
अब्दाली आज भी अफगानिस्तान की पहाड़ियों में अपने आधार कार्ड, पासपोर्ट, बिजली बिल, वोटर आईडी जैसे कागजात ढूंढ़ रहा है
साहित्य में पर्यावरण: हमें निरंतर जगा रहे हैं सजग रचनाकार
हिन्दी साहित्य में 1980 के बाद अखबार और पत्र-पत्रिकाओं ने भी पर्यावरण और विज्ञान में रुचि दिखाई, जिसने समाज को लाभान्वित किया
जग बीती: हीरे की कीमत
अब सोनाखान को बचाने के लिए सड़क पर उतरे आदिवासी
608 एकड़ की सोनाखान भूमि की लीज हासिल करने वाली वेदांता-बॉल्को कंपनी के प्रतिनिधियों ने हाल ही में बाघमारा क्षेत्र का दौरा किया, इसके ...
बैलाडीला खदान: फिर से आंदोलन की तैयारी में हैं आदिवासी
बैलाडीला खदान को अडानी को सौंपे जाने के मामले की जांच रिपोर्ट न मिलने के कारण आदिवासी संगठनों ने एक बार फिर आंदोलन की ...
क्या सेंटीनेलिस को ‘बचाने’ की जरूरत है?
अंडमान की सेंटीनेलिस और अन्य जनजातियों की आबादी सीमित है। क्या वे विलुप्त हो जाएंगी?
आखिर विकास हो किसका रहा है?
क्या खनन से होने वाले प्राकृतिक विनाश की हम पूरी तरह से भरपाई कर पाएंगे?
बैलाडीला: आदिवासियों से जंगल छीनकर कॉरपोरेट को देने का खेल
जंगल और पहाड़ को बचाने की लड़ाई का पहला मोर्चा आदिवासियों ने जीत लिया, लेकिन लड़ाई खत्म नहीं हुई है
“समाज और राष्ट्र के विरोधाभास का प्रतीक है बेड़िया समुदाय”
32 साल से पहले दिल्ली, वाराणसी, राजस्थान और अब मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में बेड़िया समुदाय के बीच रहकर उनकी जिंदगी आसान बनाने ...
डाउन टू अर्थ खास: खानपान में बदलाव से कम हो रही है आदिवासियों की उम्र!
खानपान में परिवर्तन और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच न होने के कारण आदिवासी आबादी की जीवन प्रत्याशा में कमी आ रही है
यात्रा वृतांत: उत्तराखंड का यह गांव, जहां से युवा नहीं करते पलायन
उत्तराखंड के गांव के गांव खाली हो रहे हैं। सबसे पहले युवा रोजगार की तलाश में पलायन करते हैं, लेकिन इन गांवों में ऐसा ...
बिरसा मुंडा के वंशजों का हाल, अधिग्रहित की 27 डिसमिल जमीन, वापस की 12.5 डिसमिल
धरती आबा बिरसा मुंडा के नाम पर सरकार कई योजनाएं चला रही हैं, लेकिन उनके वंशज ही बदहाली में जी रहे हैं
लॉकडाउन का असर: न महुआ और न बांस की टोकरी बेच पा रहे हैं कमार जनजाति के लोग
हमारे समाज का एक ऐसा वर्ग है जो पहले से हाशिये पर है उनके आजीविका पर लॉकडाउन का असर दिखाई देने लगा है
जंगल से नाता टूटा तो मजदूरी करके पेट भर रहे हैं आदिवासी, दूर से पहचान लेते थे जड़ी बूटियां
मध्यप्रदेश, विन्ध्य क्षेत्र के आदिवासी पहले जंगल से जड़ी बूटी लाकर अपना पेट पालते थे, लेकिन जंगल कटने से नई पीढ़ी को जड़ी बूटियों ...
15 दिन के अल्टीमेटम के बाद आदिवासियों ने खत्म किया आंदोलन
नंदराज पर्वत को खनन के लिए अदानी को लीज दिए जाने के विरोध में सात जून से आदिवासी आंदोलन कर रहे थे
घर वापिसी से पहले आदिवासी कर रहे हैं कुलदेवता की पूजा
सलवा जुडूम के वक्त घर छोड़ कर चले गए थे आदिवासी, अब लौटने से पहले अपने नाराज देवता को मनाने के लिए पूजा का ...