सरदार सरोवर के पानी में डूबने से दो आदिवासी बच्चों की मौत

अब तक बांध से आई डूब में मरने वाले आदिवासियों की संख्या पांच हुई, इसके अलावा आधा दर्जन से अधिक लोग अपने घरों को डूबता देख आत्महत्या की कोशिश कर चुके हैं

By Anil Ashwani Sharma

On: Monday 30 September 2019
 
फाइल फोटो

सरदार सरोवर बांध में आई मानव निर्मित बाढ़ में डूबने से 29 सितंबर को 2 आदिवासी बच्चों मौत हो गई। यह घटना मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले के कल्याणपुरा की है। मिली जानकारी के अनुसार, यह दर्दनाक हादसा उस समय हुआ जब बकरी चराने गए 9 वर्षीय आदिवासी बच्चे विशाल को डूबते हुए देखकर उसे बचाने गई 16 वर्षीया ज्योति की भी डूबने से मौत हो गई। दोनों मृतक बच्चे गरीबी रेखा से नीचे जिंदगी बसर करने वाले आदिवासी परिवार से हैं। विशाल की विधवा माता गुड्डू बाई और ज्योति के माता-पिता खेत मजदूर हैं। सरदार सरोवर की इस बाढ़ आपदा से अब तक इन मौतों को मिलाकर पांच आदिवासियों की मौत हो चुकी है।

इसके पहले गत 13 अगस्त को बड़वानी के एक पुनर्वास स्थल से खेत में नाव से कृषि कार्य कर रही महिलाओं के लिए जब उनके पति भोजन लेकर नाव से जा रहे थे, तब अचानक पानी में करंट आ जाने के कारण दोनों आदिवासियों की मौत हो गई थी। ध्यान रहे कि इस हादसे के बाद पुलिस चेती और मृतक चिमन नटवरलाल (34) और संतोष पीतांबर (29) की मौत के बाद बड़वानी जिले के जांगरवा गांव में घरों में पानी घुसने के बाद पुलिस द्वारा घरों को जबरन खाली कराया गया। हालांकि इस दौरान पुलिस दबिश की दहशत से 60 वर्षीय आदिवासी लक्ष्मण गोपाल की भी घटना स्थल पर ही मौत हो गई थी।

इस प्रकार की त्रासदी तो दर्जनों हुई हैं लेकिन इनकी अब तक रिपोर्ट नहीं हुई है इसलिए आंकड़ों की संख्या पांच तक ही दिखाई पड़ रही है। हालांकि मौतों की संख्या इससे कहीं अधिक हो चुकी है। ध्यान रहे सरदार सरोवर बांध में यह बाढ़ आपदा बांध में जल स्तर 138.68 तक भरने के कारण आई है। भारत के प्रधानमंत्री के जन्मदिन के अवसर पर सरदार सरोवर के जल स्तर को बांध की पूरी ऊंचाई तक बराबर भरा गया। पानी भरने की वजह से मध्य प्रदेश के 178 गांवों में जो मानव निर्मित आई है उसमें पांच आदिवासियों के अलावा आधा दर्जन लोगों से अधिक लोगों ने आत्म हत्या करने की कोशिश की। क्योंकि वे अपने घर को डूबता हुआ नहीं देख पा रहे थे। 

ध्यान रहे कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से बांध के विस्थापितों को पुनर्वास के बिना बांध निर्माण रोके रखने का निर्देश दिया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट की इजाजत के बिना पहले बांध को 138 मीटर ऊंचाई तक बनाया गया और फिर प्रधानमंत्री के जन्मदिन के अवसर पर 138 मीटर तक पानी भरकर मध्य प्रदेश के 176 गांवों की जिंदगी को समाप्त कर दिया। एक अनुमान अनुसार, डूब से लगभग 3 लाख लोगों की जिंदगी में सरकारी बाढ़ का कहर टूटा और वे सब अब बाटजोह रहे हैं कि कब बांध का पानी कम हो और वे अपने डूब चुके और गिर पड़े घरों को देखें। चूंकि इन सभी का अब तक पुनर्वास नहीं हुआ है तो से शिविरों में में जैसे-तैसे अपना जीवन गुजारने के लिए मजबूर हैं। 

Subscribe to our daily hindi newsletter