बोतलबंद पानी स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए है नुकसानदायक: अध्ययन

बोतलबंद पानी की पूरी प्रक्रिया में पारिस्थितिक तंत्र पर लगभग 1,400 गुना अधिक प्रभाव पड़ता है और 3,500 गुना अधिक लागत लगती है।

By Dayanidhi

On: Monday 09 August 2021
 
फोटो : विकिमीडिया कॉमन्स

हाल के वर्षों में दुनिया भर में बोतलबंद पानी की खपत तेजी से बढ़ी है। इसके कारण आंशिक रूप से पानी के प्रति लोगों की धारणा बदल गई है, जो कि खतरनाक है। जो पानी के स्वाद, गंध, सार्वजनिक नल के पानी की गुणवत्ता में विश्वास की कमी को दिखाता है और बोतलबंद पानी पर विश्वास को बढ़ाता है। बोतलबंद पानी की कंपनियों द्वारा बेचे जा रहे पानी को अधिक अच्छा बताया जा रहा है।

बोतलबंद पानी में अधिकतर प्लास्टिक का उपयोग होता है। प्लास्टिक उत्पादन के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। संसाधनों की कमी के चलते अक्सर प्लास्टिक बनाने के लिए जीवाश्म ईंधन का उपयोग किया जाता है। इस सब से पर्यावरण में हानिकारक प्रदूषकों जैसे ग्रीनहाउस गैसों, पार्टिकुलेट मैटर के उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं। वहीं प्लास्टिक अपने आप में सबसे बड़ा प्रदूषक है।

एक नए अध्ययन में कहा गया है कि यदि हमें स्वास्थ्य और पर्यावरणीय प्रभावों को ध्यान में रखना है, तो हमें पीने के लिए नल का पानी उपयोग करना चाहिए। खासकर इसमें बार्सिलोना शहर का उदाहरण दिया गया है, जिसके अधिक लाभ पहुंचाने की बात कही गई है। यह अध्ययन बार्सिलोना इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ (आईएसग्लोबल) की अगुवाई में किया गया है।

इस नए अध्ययन का उद्देश्य तीन अलग-अलग पानी की खपत विकल्पों के बारे में आंकड़े प्रदान करना है। बोतलबंद पानी, नल का पानी और छाने गए या फिल्टर किए गए नल का पानी इसमें शामिल है।

पर्यावरण और स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों का आकलन आमतौर पर अलग-अलग तरीकों से किया जाता है जिससे इसके परिणाम भी अलग-अलग होते हैं। पर्यावरणीय प्रभावों का अनुमान जीवन चक्र आकलन (एलसीए) नामक पद्धति से लगाया जा सकता है, जबकि मानव स्वास्थ्य के परिणामों का अनुमान स्वास्थ्य प्रभाव आकलन (एचआईए) नामक विधि से लगाया जाता है। इस अध्ययन ने एक ही विश्लेषण में एलसीए और एचआईए को मिलाकर पहली बार इस पद्धति संबंधी समस्या को दूर करने का प्रयास किया है।

क्योंकि शहरों या देशों के बीच नल के पानी की गुणवत्ता अलग-अलग हो सकती है, इसलिए उपलब्ध आंकड़ों की वजह से शोध दल ने बार्सिलोना शहर पर शोध किया। जीवन चक्र का आकलन एक विशिष्ट सॉफ्टवेयर और रिईसीआईपीई नामक एक विधि का उपयोग करके किया गया। जिसमें शोधकर्ताओं ने पारिस्थितिक तंत्र को होने वाले नुकसान, बोतलबंद और नल के पानी की उत्पादन प्रक्रिया पर गौर किया।

जिससे शोधकर्ताओं को मानव स्वास्थ्य में संसाधनों की उपलब्धता के साथ-साथ अप्रत्यक्ष प्रभावों का अनुमान लगाने में मदद मिली। स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों के आकलन ने बार्सिलोना पब्लिक हेल्थ एजेंसी से पानी की खपत के पैटर्न और पानी की आपूर्ति में रासायनिक यौगिकों के स्तर पर आंकड़ों का इस्तेमाल किया।

परिणामों से पता चला कि यदि बार्सिलोना की पूरी आबादी बोतलबंद पानी का उपयोग करने का फैसला करती है, तो आवश्यक उत्पादन में प्रति वर्ष 1.43 प्रजातियों की हानि होगी और कच्चे माल की निकासी के कारण प्रतिवर्ष 83.9 मिलियन अमरीकी डालर की लागत आएगी। यह उस परिदृश्य की तुलना में पारिस्थितिक तंत्र पर लगभग 1,400 गुना अधिक प्रभाव और संसाधनों और पानी निकालने की प्रक्रिया में 3,500 गुना अधिक लागत लगती है, जबकि इससे कम में पूरी आबादी के लिए नल के पानी की व्यवस्था की जा सकती है। यह अध्ययन साइंस ऑफ द टोटल एनवायरनमेंट में प्रकाशित हुआ है।

अध्ययनकर्ताओं ने बताया कि पिछले वर्षों में पानी के उपचार की उन्नत तकनीकों को शामिल करने के बाद से बार्सिलोना में नल के पानी की गुणवत्ता में काफी वृद्धि हुई है। हालांकि, इस महत्वपूर्ण सुधार को नल के पानी की खपत में वृद्धि के रूप में नहीं देखा जा सकता है। यह बताता है कि पानी की खपत गुणवत्ता के अलावा अन्य प्रेरित करने वाले कारण हो सकते हैं।

कई कारणों से नल के पानी में रासायनिक यौगिकों की कथित उपस्थिति होने के बारे में बताया गया है। हालांकि यह सच है कि नल के पानी में कीटाणुशोधन प्रक्रिया से प्राप्त ट्राइहेलोमीथेन (टीएचएम) हो सकता है। यहां बताते चलें कि ट्राइहेलोमीथेन (टीएचएम) मूत्राशय के कैंसर से जुड़ा है। क्रिस्टीना विलानुएवा कहते हैं कि हमारे अध्ययन से पता चलता है कि बार्सिलोना में नल के पानी की उच्च गुणवत्ता के कारण, स्वास्थ्य के लिए जोखिम कम हैं।

परिणाम में अनुमान लगाया गया है कि नल के पानी में पूरी तरह से बदलाव बार्सिलोना शहर में खोए हुए जीवन के वर्षों की कुल संख्या को बढ़ाकर 309 कर देगा। जो कि बार्सिलोना में सभी निवासियों द्वारा समान रूप से वहन किए जाने पर औसतन दो घंटे की खोई हुई जीवन प्रत्याशा के बराबर है। नल के पानी में घरेलू तौर पर छनाई (फिल्टर) उपकरण लगाने से यह जोखिम काफी कम हो जाएगा, जीवन के कुल नुकसान होने वाले वर्षों की संख्या को 36 तक कम किया जा सकता है।

आईएसग्लोबल शोधकर्ता कैथरीन टोन कहते हैं कि हमारे परिणाम बताते हैं कि पर्यावरण और स्वास्थ्य दोनों प्रभावों पर विचार करते हुए, बोतलबंद पानी की तुलना में नल का पानी एक बेहतर विकल्प है, क्योंकि बोतलबंद पानी व्यापक प्रभाव उत्पन्न करता है।

घरेलू छनाई उपकरण से, नल के पानी के स्वाद और गंध में सुधार के अलावा, कुछ मामलों में टीएचएम के स्तर को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इस वजह से, छाने गए नल का पानी एक अच्छा विकल्प है। भले ही हमारे पास इसके पर्यावरणीय प्रभाव को पूरी तरह से मापने के लिए पर्याप्त आंकड़े नहीं थे, हम जानते हैं कि यह बोतलबंद पानी की तुलना में बहुत कम है। हालांकि अध्ययनकर्ता स्वीकार करते हैं कि घरेलू स्तर पर छानने के उपकरणों को उचित प्रदर्शन के लिए तथा माइक्रोबियल प्रसार से बचने के लिए पर्याप्त रखरखाव की आवश्यकता होती है।

Subscribe to our daily hindi newsletter