ओडिशा में नदी का रुख बदलने का विरोध कर रहे लोगों को सख्ती कर हटाया, अस्पताल में भर्ती

राज्य सरकार ने एक परियोजना के लिए खरोसोतरा नदी के पानी का रुख बदलने का विरोध करने पर एक हजार मामले दर्ज कराए और 24 लोगों को गिरफ्तार किया है

By Ashis Senapati, Rajat Ghai

On: Thursday 26 August 2021
 
Rajendra Singh, India's Water Man, meeting Srikanta Nayak at the Kendrapara district headquarters hospital recently. Photo: Ashis Senapati

ओडिशा के केंद्रापाड़ा जिले में दस अगस्त 2021 से खरोसोतरा नदी के पानी का रुख बदलने के विरोध में भूख हड़ताल पर बैठे पर्यावरण कार्यकर्ता श्रीकांत नायक को विरोध-स्थल से हटाकर 25 अगस्त को कटक अस्पताल के बाहर डाल दिया गया।

डाउन टू अर्थ के सूत्रों के मुताबिक, नायक फिलहाल अस्पताल के आईसीयू में भर्ती हैं। जब डाउन टू अर्थ ने उनके मोबाइल पर कॉल की तो किसी और ने जवाब दिया और बताया कि उन्हें 26 अगस्त को सुबह दस बजे कटक के श्रीराम चंद्र भंजा मेडिकल कॉलेज के आईसीयू में भर्ती कराया गया है।

सेंटर फॉर पॉलिसी, गवर्नेंस एंड एडवोकेसी के चेयरमैन व संस्थापक और युवा ओडिशा फाउंडेशन के संस्थापक तेजेश्वर परिदा ने डाउन टू अर्थ से इस खबर की पुष्टि की। उन्होंने कहा, ‘ मैं नायक से केंद्रापाड़ा जिला मुख्यालय अस्पताल में 25 अगस्त की सुबह मिला था। शाम को उन्हें जबरदस्ती कटक के श्रीराम चंद्र भंजा मेडिकल कॉलेज भेज दिया गया। अस्पताल में उस समय काफी भीड़ थी और कोई बेड उपलब्ध नहीं था। उन्हें अस्पताल के बाहर एक पेड़ के नीचे सोना पड़ा। बाद में पता चला कि 26 अगस्त को उन्हें अस्पताल के मेडिकल वार्ड में लिया गया।’

45 साल के नायक केंद्रापाड़ा में महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास दस अगस्त से इस परियोजना का विरोध कर रहे थे।

754 करोड़ की यह वृहद पेयजल परियोजना राज्य सरकार की है। इसके तहत केंद्रापाड़ा जिले के खरोसोतरा नदी के पानी का रुख बदला जाना है। इस फैसले से पड़ोसी भद्रक जिले के पांच लाख लोग प्रभावित होंगे। भद्रक के चार ब्लॉकों की 91 ग्राम पंचायतों में रहने वाले लोगों पर इसका असर पड़ना है। गौरतलब है कि पानी का रुख पेयजल के मकसद से बदला जाना है।

हालांकि स्थानीय लोगों का कहना है कि इस परियोजना से नदी के जिस हिस्से का पानी सूखेगा, उसके करीब के 220 गांवों की खेती बर्बाद हो जाएगी। केंद्रापाड़ा जिले के अल और राजकनिका नाम के दो ब्लॉकों के आसपास के गांवों में करीब चार लाख लोग रहते हैं।

नायक एक गैर-लाभकारी संगठन ‘संभाबना’ के कार्यकर्ता हैं, जो इस परियोजना के खिलाफ चल रहे आंदेालन में भागीदार है। 16 अगस्त को अधिकारियों ने उन्हें विरोध-स्थल से हटाकर जिला मुख्यालय के अस्पताल भेज दिया था कयोंकि उनकी तबीयत बिगड़ रही थी। हालांकि उन्होंने वहां खाना खाने से मना कर दिया था और अपनी भूख हड़ताल जारी रखी थी।  देश के ‘जलपुरुष’ नाम से विख्यात राजेंद्र सिंह ने उनसे 24 अगस्त को केंद्रापाड़ा में मुलाकात की थी।

सिंह ने कहा, ‘उस नदी-क्षेत्र से पानी का रुख बदलना, जिसमें पहले से पानी की कमी है, उस इलाके में समुद्र के पानी के आने की संभावना को को बढ़ाएगा, जिससे जिले की खेती चौपट होगी। इस परियोजना से नदी किनारे के गांवों में रहने वाले लोगों को मीठे पानी की कमी से जूझना पड़ेगा और साथ ही उन्हें खारे पानी का खतरा भी होगा। ’

परियोजना के विरोध में नदी किनारे के गांवों में रहने वाले लोगों ने 12 अगस्त को भारी तादाद में जुटकर मार्च निकाला और भरीगदा गांव में प्रस्तावित परियोजना स्थल तक गए। इस दौरान उन्होंने वहां कई वाहनों, एक डीजल टैंकर, एक एम्बुलेंस और तीन अन्य मशीनों के अलावा ग्रामीण जल वितरण एवं स्वच्छता के कैंप कार्यालय को नुकसान पहुंचाया। लोगों ने पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों पर हमले भी किए। जवाब में पुलिस ने 13 अगस्त को 24 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया।

सेंटर फॅार पॉलिसी, गवर्नेंस एंड एडवोकेसी के चेयरमैन तेजेश्वर परिदा इस संकट का समाधान करने के लिए कई सुझाव दे रहे हैं। उन्होंने डाउन टू अर्थ से कहा, ‘परियोजना का काम तुरंत रोका जाना चािहए। राज्य सरकार को पानी के संग्रह के लिए नदी पर बांध बनाने पर राजी होना होगा। उसे मुख्य सचिव, विकास आयुक्त या प्रमुख सचिव स्तर के किसी अधिकारी की अध्यक्षता में एक समिति बनानी चाहिए।

इस समिति में सरकार के वन, पर्यावरण, जलवायु-परिवर्तन, जल संसाधन, पेयजल विभागों के साथ ही अनय भागीदारों और पर्यावरण के लिए काम करने वालों, खासकर भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान जैसे मैंग्रोव परिक्षेतों में काम करने वाले को शामिल किया जाना चाहिए।’

गौरतलब है कि खरोसोतरा इस उद्यान के करीब से गुजरती है। परियोजना के चलते खारे पानी के बढ़ने और खाड़ी में मगरमच्छों की आबादी पर असर पड़ने के कारण भी इस पर सवाल खडे़ हो रहे हैं।

परिदा ने कहा, ‘सरकार को तुरंत प्रदर्शनकारियों पर से मुकदमे वापस लेने चाहिए। नौ सौ से लेकर एक हजार लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। जिन 24 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, उन्हें रिहा किया जाना चाहिए। बातचीत की प्रक्रिया जारी रहनी चाहिए। बातचीत प्रदर्शनकारियों, पर्यावरणविदों और जिलाधिकारी के बजाय उच्चस्तरीय अधिकारियों के बीच होनी चाहिए।

जिलाधिकारी के साथ बातचीत तब तक न हो, जब तक कि उसमें उच्चस्तरीय अधिकारी शामिल न हों, क्योंकि यह निरर्थक होती है।’ उनके मुताबिक, परियोजना के लिए सलाहकार का चुनाव सरकार के द्वारा किया जाना चाहिए और जब बातचीत न चल रही हो, उस समय का इस्तेमाल परियोजना के प्रभाव की रिपोर्ट तैयार करने में करना चाहिए।

प्रदर्शनकारी भद्रक जिले के लोगों को पेयजल दिए जाने का विरोध नहीं कर रहे लेकिन उन्हें आशंका है कि यह पेयजल बहुराष्ट्रीय कंपनियों को भी दिया जाएगा। इसके बजाय वे इसका विरोध कर रहे हैं कि समुद्र के खारे पानी का खारापन कम करने के लिए किसी और नदी से पानी लिया जाएगा।

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