जलशक्ति अभियान की हकीकत: खेत की मेढ़ों से पानी की किल्लत दूर कर रहे महोबा के किसान
उत्तरप्रदेश का महोबा जिला बुंदेलखंड इलाके में शामिल है जहां पानी की काफी किल्लत है। इसे दूर करने के लिए प्रशासन और नागरिकों ने साथ मिलकर कई कदम उठाए हैं।
On: Saturday 21 March 2020
सूखा प्रभावित महोबा जिले के कुलपहार निवासी लखनलाल प्रजापति ने अपने जीवन के 35 वर्ष में इस साल पहली बार सरसो की अच्छी पैदावार ली है। इस कारनामे के पीछे वर्षा जल संरक्षण की वह तकनीक है जिसमें खेतों की मेढ़ों को ऊंचा किया जाता है। इससे न सिर्फ वर्षा जल का संरक्षण हो भूजल का स्तर सुधरता है बल्कि खेतों में नमी रहने की वजह से बारिश के बाद भी खेती संभव हो पाती है। प्रजापति बताते हैं कि उन्होंने 2.5 हेक्टेयर में वर्ष 2019 में सरसो लगाया है। उन्हें 3.5 टन सरसो उपजने की उम्मीद है जो कि पिछली पैदावार से 75 प्रतिशत अधिक है। प्रजापति की तरह जिले के कई किसानों को जल संरक्षण की पहल से फायदा हुआ है।
सूखा प्रभावित महोबा बुंदेलखंड का हिस्सा है जहां तकरीबन हर साल आने वाले सूखे की वजह से फसलों के सिंचाई का उचित प्रबंध नहीं है। मेढ़ निर्माण की वजह से यहां के किसानों को फायदा दिखने लगा है। बारिश के पानी को खेत में रोकने से भूजल के साथ आसपास के कुंए भी जीवित हो गए और अब उसमें पानी रहने लगा है।
मेढ़ निर्माण की प्रेरणा किसानों को ग्रामीण विकास मंत्रालय के भूमि संसाधन विभाग के एकीकृत जलग्रहण प्रबंधन कार्यक्रम (आईडब्ल्यूएमपी) योजना की वजह से मिल रही है। इस योजना के लक्ष्य मिट्टी, हरियाली और पानी बचाकर आबोहवा को दुरुस्त करना है। आईडब्ल्यूएमपी के तहत जल शक्ति अभियान की पानी बचाने की योजनाओं में भी तेजी लाया जा रहा है। बुंदेलखंड के ग्रामीण इस योजना को छोटे और मझौले किसानों का जीवन बदलने वाला बताते हैं।
बुंदेलखंड इलाके में औसतन 776 मिलीमीटर बारिश होती है जिसमें जून से सितंबर तक का औसत 864 मिलीमीटर है। वर्ष 2019 में इलाके में बारिश में 70 फीसदी की कमी देखी गई और 2018 में यह कमी 56 फीसदी की थी। जिले में सामान्य बारिश पिछली बार वर्ष 2013 और 2018 में हुई थी।
जिला विकास अधिकारी आरएस गौतम का कहना हैं कि इस वर्ष उन्होंने कई विभागों का कार्यक्रम को एकसाथ लाकर पानी बचाने की कोशिश शुरू कर दी है। गौतम जल शक्ति मिशन के जिले के नोडल अधिकारी भी हैं। गौतम कहते हैं कि जल शक्ति मिशन के तहत होने वाले कार्यों की वजह से महोबा जिला देश के 255 पानी की किल्ल्त झेल रहे जिले में पानी संचयन की स्थिति में शीर्ष 10 में आ गया है। इस अभियान में मनरेगा, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना जैसी योजनाओं की मदद से बाढ़-सूखा नियंत्रण, जल संचय, मृदा संरक्षण जैसे कार्य एकसाथ किए जा रहे हैं। महोबा में मेढ़ निर्माण का काम दो ब्लॉक में किया जा रहा है। इसके तहत 1,75,000 छोटे और 1,301 बड़े जल स्त्रोतों को ठीक करने का काम किया जाना है। इसके तहत 17,850 जल संरक्षण के ढ़ाचे को पुनर्जीवित करना और 2,071 ढ़ाचे की मरम्मत का काम भी शामिल है।
जल संरक्षण के तहत जिले के स्कूल, कॉलेजों और स्वयं सहायता समूहों में जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। महोबा को शीर्ष 10 जिलों में स्थान दिलाने में इन कार्यक्रमों का भी काफी योगदान रहा। आरएस गौतम बताते हैं कि केंद्रीय स्तर पर स्कोर वर्षा जल संरक्षण, पारंपरिक जल संरक्षण की तकनीकों को पुनर्जीवित करने की वजह से भी संतोषजनक रहा। हालांकि एक अधिकारी ने कहा कि फंड की कमी की वजह से जल संरक्षण के लिए नए ढांचे के निर्माण के लिए महोबा जिले को फंड नहीं मिला था इसलिए नए ढ़ांचे अधिक नहीं बन पाए। जिले को योजना बनाने और जागरुकता के कार्यक्रम करने जिसके लिए पैसों की जरूरत नहीं होती, के लिए अधिक अंक मिला।