66 फीसदी जलाशयों में 40 फीसदी से कम पानी का भंडार, कृषि प्रधान राज्यों के लिए खड़ी नई चुनौती

यदि मानसून फींका रहा तो न सिर्फ पनबिजली परियोजनाओं को झटका पहुंचेगा बल्कि जायद-खरीफ फसल के लिए किसानों के सामने बड़ा संकट मंडरा सकता है। 

By Vivek Mishra

On: Monday 06 June 2022
 

दिल्ली समेत उत्तर भारत में हीटवेव जारी है और केरल के दक्षिणी तट पर तीन दिन पहले ही 29 मई, 2022 को मानसून टकरा जाने के बाद भी देशभर में वर्षा का वितरण नहीं हुआ है। इस बीच भीषण गर्मी के बीच कृषि प्रधान राज्यों के साथ-साथ  जलाशयों में पानी का भंडारण भी लगातार कम हो रहा है। देश के कुल 140 जलाशयों में मार्च से जून तक लाइव स्टोरेज 50 फीसदी से गिरकर 31 फीसदी पर आ गया है। सीडब्ल्यूसी के मुताबिक कुल 140 में 95 जलाशय (66 फीसदी) ऐसे हैं जहां 40 फीसदी से भी कम पानी भंडारित है।

यदि भारतीय मौसम विभाग की भविष्यवाणी के मुताबिक मानसून आगे भी फीका रहता है तो खरीफ फसलों की बुआई पर बड़ा संकट पड़ सकता है।  

केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के मुताबिक कृषि प्रधान राज्यों जैसे राजस्थान, झारखंड, उड़ीसा, त्रिपुरा, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और केरल के जलाशयों में बीते वर्ष के मुकाबले कम पानी भंडारित हुआ है। 

केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के 2 जून, 2022 को जारी बुलेटिन के मुताबिक कुल  257.812 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) क्षमता वाले 140 जलाशयों में लाइव स्टोरेज 54.273 बीसीएम है जो कि जलाशयों की कुल लाइव स्टोरेज क्षमता (175.957 बीसीएम) का महज 31 फीसदी है। 

सीडब्ल्यूसी के 03 मार्च, 2022 की बुलेटिन रिपोर्ट के मुताबिक 140 जलाशयों में लाइव स्टोरेज की कुल क्षमता का 96.196 बीसीएम (55 फीसदी) पानी भंडारित था जो कि 02 जून, 2022 को गिरकर 54.273 बीसीएम (31 फीसदी) हो गई। 

यानी मार्च से जून के बीच हर महीने जलाशयों में करीब 7 फीसदी भंडारण कम हुआ है। 

भीषण गर्मी के दौरान पानी के भाप बनने की प्रक्रिया तेज हो जाती है, इसकी वजह से भी पानी के भंडारों में कमी आ जती है। इन्हीं महीनों में न सिर्फ शहरों में बल्कि जायद और खरीफ फसलों की बुआई के लिए सिंचाई के पानी की व्यवस्था करना महंगा पड़ सकता है।   

सीडब्ल्यूसी के मुताबिक उत्तरी क्षेत्र में हिमाचल, प्रदेश, पंजाब, और राजस्थान में कुल 9 रिजरवायर निगरानी हैं, इनका भंडारण 10 वर्ष के औसत से भी कम है। इसी तरह से पूर्वी क्षेत्र में झारखंड, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, नागालैंड और बिहार में कुल 21 जलाशयों की निगरानी होती है, इन राज्यों के जलाशयों का लाइव स्टोरेज न सिर्फ बीते वर्ष 2021 बल्कि 10 वर्ष के औसत से भी कम है। वहीं, पश्चिमी क्षेत्र में गुजरात और महाराष्ट्र के 46 जलाशयों में कुल भंडारण क्षमता का 30 फीसदी  (10.91 बीसीएम) ही भंडारित हुआ है जो बीते वर्ष 33 फीसदी था। हालांकि, केंद्रीय और दक्षिणी भाग के कुल 64 जलाशयों में पानी का भंडारण बीत वर्ष के मुकाबले बेहतर है।  

गर्मियों में जब पीक डिमांड है तब भंडारण की यह कमी पनबिजली परियोजनाओं के लिए भी चुनौती बन सकते हैं। कुल 140 में 45 रिजरवॉयर ऐसे हैं जो 60 मेगावाट के हैं। इनमें से सिर्फ 23 पनबिजली वाले जलाशय ही ऐसे हैं जहां सामान्य या उससे बराबर पानी भंडारण है।

इस बार मानसून तो फीका है ही  प्री-मानसून में कई जिले सूखे की चपेट में रहे। मसलन 19 मई, 2022 तक देश के 88 जिलों में एक बूंद बारिश नहीं हुई है। ऐसे में भंडारण का कम होना एक नई मुसीबत पैदा कर सकता है। सीडब्ल्यूसी के मुताबिक गुजरात के साबरमती और माही नदी में पानी हाई डिफिसिट में है।  

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