एनएसएसओ रिपोर्ट पर सवाल, बिहार की महज 1.1% ग्रामीण आबादी को मिल रहा नल से जल
बिहार सरकार ने इस आंकड़े को भ्रामक कहा है। सरकार ने कहा है कि बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में 40 से 45 प्रतिशत आबादी तक नल से जल पहुंच रहा है और मार्च 2020 तक बाकी घरों तक भी नल का जल पहुंच जाएगा
On: Friday 29 November 2019


बिहार सरकार ने सूबे की पूरी ग्रामीण आबादी तक मार्च 2020 तक नल से जल पहुंचाने का लक्ष्य रखा है, लेकिन नेशनल सैम्पल सर्वे (एनएसएसओ) की रिपोर्ट की मानें, तो ये लक्ष्य दूर की कौड़ी साबित होने जा रहा है।
बिहार के ग्रामीण क्षेत्र में कुल घरों की संख्या 1,77,31,200 है और ग्रामीण बिहार की आबादी करीब नौ करोड़ 30 लाख है। नेशनल सैम्पल सर्वे (एनएसएस) की रिपोर्ट में बताया गया है कि इन 1,77,31,200 घरों में से महज 1.1 प्रतिशत घरों में ही नल से जल पहुंच रहा है। राष्ट्रीय स्तर पर ये आंकड़ा 11.3 प्रतिशत है।
अगर हम अन्य राज्यों की बात करें, तो बिहार के मुकाबले में कई राज्य आगे हैं। मसलन जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा जैसे राज्यों के ग्रामीण इलाकों में 30 प्रतिशत से ज्यादा घरों में नल के जरिए पानी पहुंचाया जा रहा है। नेशनल सैम्पल सर्वे की रिपोर्ट बताती है कि बिहार के पड़ोसी राज्य झारखंड नल से जल पहुंचाने के मामले में बिल्कुल फिसड्डी है। यहां महज 0.3 प्रतिशत ग्रामीण घरों में ही नल से जल की सप्लाई हो रही है।
वर्ष 2017 में बिहार की नीतीश सरकार ने शौचालय बनवाने के साथ ही बिहार की ग्रामीण आबादी तक नल का जल पहुंचाने का लक्ष्य रखा था। बिहार सरकार ने अगले साल मार्च तक ग्रामीण बिहार के हर घर तक पानी की सप्लाई करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए जिले से लेकर पंचायत स्तर तक कर्मचारियों की नियुक्ति की गई है, जो योजना पास करवाने से लेकर कार्यान्वयन में मुख्य भूमिका निभाएंगे। ऐसा इसलिए किया गया था ताकि हर घर नल का जल योजना त्वरित लागू की जा सके।
हर घर नल का जल योजना दो विभाग लागू कर रहे हैं। आर्सेनिक, फ्लोराइड व आयरन से प्रभावित करीब 56 हजार वार्डों में पीएचईडी विभाग की तरफ से नल का जल पहुंचाया जाएगा, जबकि पंचायती राज विभाग साढ़े 58 हजार वार्डों (जहां भूगर्भ जल प्रदूषित नहीं है) में हर घर नल का जल पहुंचाएगा।
एनएसएसओ रिपोर्ट में कहा गया है कि बिहार के ग्रामीण इलाकों के 94.3 प्रतिशत घरों में अब भी पानी का मुख्य स्रोत हैंड पम्प है जबकि महज 2.9 प्रतिशत घरों में ट्यूबवेल के जरिए पानी पहुंच रहा है।
बिहार के शहरी इलाकों की बात करें, तो रिपोर्ट के अनुसार महज 17.2 प्रतिशत घरों में ही पाइप से पानी की सप्लाई की जा रही है। राष्ट्रीय स्तर पर देखें, तो ये आंकड़ा 40.9 प्रतिशत है। वहीं, राज्य के शहरी क्षेत्रों के लगभग 37.3 प्रतिशत घरों में पानी का स्रोत ट्यूबवेल है जबकि हैंडपंप के जरिए 38.5 प्रतिशत घरों में पानी की जरूरत पूरी होती है।
बिहार के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों को मिला लें, तो पाइप के जरिए पानी की सप्लाई महज 2.9 प्रतिशत घरों में हो रही है, जो सबसे कम है।
हालांकि, राज्य सरकार इस आंकड़े को सही नहीं मान रही है। सरकार का दावा है कि 40-45 प्रतिशत घरों में नल का जल पहुंच रहा है। राज्य के पीएचईडी मंत्री विनोद नारायण झा ने कहा, “नेशनल सैम्पल सर्वे की रिपोर्ट में गड़बड़ी है और हमने जलशक्ति मंत्रालय के समक्ष इस मुद्दे को उठाया था। अभी 40 से 45 प्रतिशत घरों में अभी नल से पानी पहुंचाया जा रहा है और बाकी इलाकों में भी युद्धस्तर पर का हो रहा है। मार्च 2020 तक हमने हर घर में नल से जल की सप्लाई करने का लक्ष्य रखा है और इसे समय पर पूरा कर लेंगे।”
हालांकि, जानकारों का कहना है कि कई जगहों पर तकनीक के जानकार लोगों की कमी के कारण कुछ दिक्कतें आ रही है अतः लक्ष्य को हासिल करने के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधियों और इस योजना में शामिल लोगों को तकनीकी जानकारियों से लैस करने की जरूरत है।