जब तक नहीं आएगी "मॉनसून एक्सप्रेस", पाली में तब तक चलेगी “वाटर एक्सप्रेस"

पिछले सालों में राजस्थान के अलावा चेन्नई, लातूर और बुंदेलखंड में वाटर ट्रेनें चलाई गईं थीं, लेकिन अभी इन स्थानों से रेलवे के पास कोई डिमांड नहीं आई है

By Anil Ashwani Sharma

On: Friday 15 April 2022
 
राजस्थान के कोटा से वाटर ट्रेन जोधपुर पहुंच चुकी है। से यही ट्रेन जोधपुर से पानी लेकर पाली ले जाएगी। फोटो: रुद्रप्रताप

जलवायु परिवर्तन का नतीजा कहें या अपनी करनी कि जल स्तर इतना नीचे चला गया है कि वर्तमान में जारी भीषण तपती गर्मी में देश के कई इलाकों में पीने के पानी का विकराल संकट खड़ा हो गया है। इस संकट का अनुमान इस एक बात से ही लगाया जा सकता है कि पिछले 20 सालों में पश्चिमी राजस्थान के पाली जिले में पांचवी बार पीने का पानी ट्रेन के माध्यम से पहुंचाने की तैयारी पूरी कर ली गई है। यह ट्रेन आगामी 17 अप्रैल से शुरू हो रही है।

वाटर ट्रेन के माध्यम से पानी केवल पाली ही नहीं बल्कि पिछले सात सालों में देश के तीन और राज्यों (तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट) के जिलों में पहुंचाया गया है। हालांकि अभी तक रेलवे के पास पाली के अलावा किसी और राज्य से वाटर ट्रेन की डिमांड नहीं आई है।

चेन्नई में रेलवे के अधिकारी ने बताया कि अब तक हमारे पास कहीं से भी इस प्रकार के आवदेन पत्र  नहीं आए हैं। इसी प्रकार से झांसी मंडल रेलवे के प्रवक्ता मनोज कुमार सिंह ने बताया कि इस क्षेत्र में वाटर ट्रेन अथवा ट्रेन से पानी की सप्लाई जैसी डिमांड नहीं आई है।

पाली के लिए वाटर ट्रेन 15 अप्रैल से चलाई जानी थी, लेकिन इसे टालते हुए अब 17 अप्रैल से चलाने का निर्णय लिया गया है।

इस संबंध में जोधपुर मंडल रेल प्रबंधक गीतिका पांडेय ने बताया कि पाली जिला प्रशासन की मांग पर रेलवे ने वाटर ट्रेन का साफ- सुथरा रैक कोटा से मंगवा लिया है। कोटा के माल डिब्बा मरम्मत कारखाना में वाटर ट्रेन के रैक को पीने का पानी ले जाने योग्य बनाया गया।

उन्होंने बताया कि 15 अप्रैल से वाटर ट्रेन चलाने की पाली जिला प्रशासन की मांग को देखते हुए रेलवे ने 14 अप्रैल को रैक उपलब्ध करवा दिया था, मगर जल विभाग तकनीकी व्यवस्था पूरी नहीं कर पाया, इसलिए अब इस ट्रेन को 17 अप्रैल से संचालित किया जाएगा।

पाली जिला प्रशासन का दावा है कि जब तक जिले में बारिश नहीं होगी, तब तक वाटर ट्रेन के जरिए पानी का इंतजाम किया जाएगा। जिला प्रशासन का कहना है कि इस बार मौसम विभाग ने मानसून का जो अनुमान लगाया है, इससे इस बात की आशंक बलवती हो चली है इस बार हमारे जिले में ट्रेन से पानी पहुंचाने क्रम सबसे अधिक समय तक चलने वाला है यानी कम से कम जुलाई के पहले पखवाड़े तक जब तक मानसून न आ जाए।

ट्रेन से पानी की सप्लाई 17 अप्रेल से 15 जुलाई तक जारी रह सकती है।

ध्यान रहे कि इस वर्ष मार्च के अंतिम सप्ताह से ही राजस्थान में गर्मी ने तीखे तेवर दिखाने शुरू कर दिए थे। और अप्रैल के महीने में तो भीषण गर्मी पड़ने लगी है। ऐसे में पश्चिमी राजस्थान में पीने के लिए पानी की किल्लत शुरू हो गई है।

जवाई बांध में भी अच्छी बारिश नहीं होने के कारण इस बार पर्याप्त पानी नहीं आया है। सरकार और प्रशासन ने पेयजल संकट से निपटने के लिए अपने स्तर पर कई प्रयास भी शुरू किए लेकिन अंतत: जिले में पेयजल संकट की स्थिति से निपटने के लिए जोधपुर से पाली के लिए वाटर ट्रेन शुरू करने की गुजारिश रेलवे महकमे से करनी ही पड़ी।

वाटर ट्रेन चलाने के लिए 2019 में जो प्रक्रिया अपनाई गई थी, ठीक इस बार उसी प्रक्रिया का पालन किया जाएगा। जोधपुर के कायलाना-तख्तसागर से ग्रेविटी के जरिए पानी न्यू पावर हाउस में बने पानी के हौद तक आएगा।

यहां से पम्पिंग कर भगत की कोठी के डीजल शेड मार्ग के समीप बने वाटर ट्रेन की रेक तक पहुंचाया जाएगा। यहां लगे हाइडेंट से पानी ट्रेन में भरा जाएगा। मोटर व हौद की मरम्मत को अंतिम रूप दिया जा चुका है। जोधपुर से पाली 40 वेगन की वाटर ट्रेन चलेगी। इस लिहाज से करीब 20 लाख लीटर पानी एक बार के फेरे में पाली भेजा जाएगा। जिला प्रशासन के अनुसार एक फेरे का खर्च करीब चार लाख रुपए आएगा।

वर्तमान में यदि पूरे देश में नजर डाली जाए पिछले दो दशकों में कुछ ऐसे सूखाग्रस्त राज्य रहे हैं, जहां पानी ट्रेन के माध्यम से पहुंचाने की नौबत आई है। देश में ट्रेनों से पानी की सप्लाई 2019 में चेन्नई और 2016 में लातूर में की गई थी।

कहने के लिए तो उत्तर प्रदेश के सूखाग्रस्त इलाके बुंदेलखंड में भी 2016 में वाटर ट्रेन पहुंची थी लेकिन पानी का राजनीतिक कारणों से वितरण नहीं किया जा सका था। चेन्नई में 12 जुलाई 2019 से वेल्लूर से वाटर ट्रेन चलाई गई थी। और यह अगले दो माह तक लगातार पानी की आपूर्ति करती रही। इसी प्रकार लातूर में भी 2016 में वाटर ट्रेन चलाई गई थी।

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