हरियाणा के सभी वेदर स्टेशन खराब, नहीं मिल रही मौसम की जानकारी

मौसम की जानकारी लेने के लिए 70- 80 किलोमीटर पर एक वेदर स्टेशन जरूरी

By Malick Asgher Hashmi

On: Tuesday 03 March 2020
 
Credit: Pixabay

हाल में अचानक आई तेज बारिश एवं ओलावृष्टि से खेतों में लहलहाती फसलों के अलावा मंडियों में पड़ी फसलों को भारी नुकसान पहुंचा। रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, गुरुग्राम, फरीदाबाद सहित हरियाणा के दक्षिण और उत्तरी जिलों में तो खेत के खेत तबाह हो गए। बर्बादियों का पता लगाने के लिए अब इन जिलों में मैनुएल और ड्रोन से गिरदावरी कराई जा रही है, मगर सरकार का ध्यान अब तक उस ओर नहीं गया है जिसकी मदद से किसानों को प्राकृतिक आपदा के प्रति समय रहते सचेत किया जा सके।

हरियाणा के सभी 20 ऑटोमैटिक वेदर स्टेशन पिछले कई महीने से ठप पड़े हैं। इसकी वजह से प्रदेश के मौसम और तापमान की सही जानकारी नहीं मिल रही है। स्टेशनों के खराब रहने के कारण ही पिछले सप्ताह उत्तरी और दक्षिणी हरियाणा में समय पूर्व बारिश और ओलावृष्टि की सही जानकारी नहीं मिल सकी और किसान तथा प्रशासन समय रहते संभल नहीं सके। खेतों के अलावा मंडियों में खुले में पड़े करोड़ों रुपए की सफलों को बारिश और ओलावृष्टि के चलते भारी नुकसान हुआ है।

बहरहाल वेदर स्टेशनों की वर्तमान दशा बताती है कि अगले दो से तीन महीने तक इसमें सुधार की कोई गुंजाइश नहीं है। यानी कृषकों एवं प्रशासन को इन स्टेशनों से इतर अपने स्तर से मौसम के मिजाज भांपने होंगे। स्वचालित वेदर स्टेशन का काम होता है वायु की गति, दिशा, तापमान, नमी मापना और प्रति घंटा बारिश की जानकारी इकट्ठा करना। इसके आधार पर मौसम के पूर्वानुमान की जानकारी मिलती है।

वेदर स्टेशनों को संचालित करने वाले संस्थान इंडियन मेट्रोलॉजिकल डिपार्टमेंट (आईएमडी) ने 2007 में देशभर में 576 स्वचालित वेदर स्टेशन स्थापित किए थे। हरियाणा के 20 जिलों गुरुग्राम, फरीदाबाद, मेवात, रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, झज्जर, भिवानी, सोनीपत, रोहतक, हिसार, जींद, पानीपत, सिरसा, फतेहाबाद, करनाल, कैथल, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर, अंबाला तथा पंचकुला में 2012 में वेदर स्टेशन स्थापित हुए थे। तब से अब तक इनकी बैट्री और सेंसर नहीं बदले गए, जिसके चलते सारे स्टेशन पिछले कई महीने से ठप पड़े हैं। फरीदाबाद बागवानी अधिकारी दीन मोहम्मद कहते हैं कि प्राकृतिक आपदा से फसलों के नुकसान की भरपाई में वेदर स्टेशन से मिले विवरणों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

आईएमडी, चंडीगढ़ डिवीजन के सुरेंद्र पॉल कहते हैं, “वेदर स्टेशन की खराब बैटरी और सेंसर बदलने की प्रक्रिया चल रही है। निविदाएं निकालकर सभी स्टेशनों पर नई बैट्री और सेंसर लगाए जाएंगे।” उन्होंने माना कि वेदर स्टेशन काम नहीं करने से मौसम का विवरण एकत्रित करने में दिक्कत आ रही है।

गुरुग्राम में गुड़गांव-फरीदाबाद एक्सप्रेसवे स्थित नेशनल इंटीट्यूट ऑफ सोलर एनर्जी के परिसर में वेदर स्टेशन स्थापित है। यहां के लोगों ने अगस्त में ही अगाह कर दिया था कि नियमित देखभाल नहीं होने से स्टेशन रह-रहकर काम करना बंद कर देता है। इसके बावजूद इस ओर ध्यान नहीं दिया गया। आईएमडी के इंस्ट्रूमेंट डिवीजन के डी प्रधान के मुताबिक, मौसम संबंधी जानकारियां इकट्ठी करने के लिए 70 से 80 किलोमीटर की दूरी पर कम से कम एक वेदर स्टेशन का होना अनिवार्य है। गुरुग्राम और फरीदाबाद के मौसम की जानकारी फिलहाल दिल्ली में लगे पांच वेदर स्टेशनों से इकट्ठी की जा रही है। बाकी हरियाणा के मौसम की जानकारी मैनुएल तरीके से हासिल की जा रही है। उन्होंने बताया कि हरियाणा को छोड़कर देश के अधिकांश वेदर स्टेशन जीपीआरएस से जोड़ दिए गए हैं ताकि मौसम का विवरण एक जगह से दूसरी जगह स्थानांतरित करने में आसानी हो। इसके अलावा इसकी मदद से तमाम जानकारियां वेबसाइट पर भी अपलोड की जा सकें। हरियाणा के वेदर स्टेशन को भी जीपीआरएस सिस्टम से जोड़ा जाएगा। इन सारे काम में दो से तीन महीने का समय लग सकता है।

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