भारत ही नहीं पाकिस्तान में भी पड़ रही है भीषण गर्मी, जकोबाबाद में 50 डिग्री सेल्सियस के करीब पहुंचा पारा

मौसम विभाग का अनुमान है कि शनिवार को पाकिस्तान के जकोबाबाद और सिबी में अधिकतम तापमान 49 से 50 डिग्री सेल्सियस तक जा सकता है

By Lalit Maurya

On: Friday 13 May 2022
 
1. अपनी चार साल की बच्ची को गर्मी से बचाने की जद्दोजहद करती पाकिस्तान के सिंध प्रान्त में एक महिला; फोटो: हीरा हाशमी/ यूएनडीपी

अप्रैल के अंत से ही भारत सहित दक्षिण एशिया के कई हिस्से लू की चपेट में हैं, जिसके बारे में यूके मौसम विभाग के ताजा पूर्वानुमान का कहना है कि आने वाले दिनों में स्थिति और खराब हो सकती है। हालत यह है कि उत्तर-पश्चिम भारत और पाकिस्तान के कुछ इलाकों में पारा 50 डिग्री सेल्सियस तक जा सकता है।

इस बारे में यूके मौसम विभाग से जुड़े मौसम विज्ञानी निक सिल्कस्टोन का कहना है कि, शनिवार को तापमान अपने चरम पर पहुंच सकता है, जब पाकिस्तान के जकोबाबाद और सिबी में अधिकतम तापमान 49 से 50 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने की आशंका है। वहीं इस्लामाबाद में तापमान 41 डिग्री सेल्सियस तक जा सकता है।

उनका कहना है कि साल के इस समय में यह तापमान सामान्य से 5 से 7 डिग्री सेल्सियस ज्यादा है। हालांकि उनके अनुसार रविवार और अगले सप्ताह की आरम्भ से ही तापमान में कमी आने की उम्मीद है जब अधिकतम तापमान औसतन 40 डिग्री सेल्सियस के आसपास रह सकता है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी जानकारी दी है कि अगले सप्ताह बुधवार के बाद से तापमान एक बार फिर से बढ़ सकता है।

पाकिस्तान के लिए जारी आधिकारिक आंकड़ों से पता चला है कि इस बार प्रचंड गर्मी का दौर 7 मई से शुरू हुआ था, जब पाकिस्तान के जकोबाबाद और सिबी में पारा 48 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था। वहीं 11 मई को एक बार फिर से जकोबाबाद में अधिकतम तापमान 47.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। 

दिल्ली-जोधपुर में भी 45 डिग्री सेल्सियस तक जा सकता है पारा

यदि भारत की बात करें तो शनिवार को दिल्ली, नागपुर और जोधपुर में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस, जबकि भुज में भी पारा 42 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने की आशंका है, जबकि हैदराबाद में 38 डिग्री और मुंबई में तापमान के 32 डिग्री सेल्सियस तक जाने की आशंका जताई गई है।

वहीं भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार 28 अप्रैल को, देश के कई हिस्सों में अधिकतम तापमान 43 से 46 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया था। आईपीसीसी की हालिया रिपोर्ट से भी पता चला है कि दक्षिण एशिया में इस सदी के दौरान लू का प्रकोप पहले से कहीं ज्यादा रहने की आशंका है। ऊपर से बढ़ती आद्रता के चलते तापमान व गर्मी का एहसास कहीं ज्यादा होगा।

भारत सरकार ने भी अपनी एक रिपोर्ट में जानकारी दी है कि 1951 से 2015 के बीच भारत में भीषण गर्मी की आवृति बढ़ी है। वहीं पिछले 30 वर्षों में इसमें कहीं ज्यादा वृद्धि देखी गई है। बढ़ती तापमान का ही नतीजा है कि इस साल भारतीय इतिहास का सबसे मार्च का महीना दर्ज किया गया था, जब औसत तापमान 33.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था जोकि औसत से 1.86 डिग्री सेल्सियस ज्यादा था।

इसी तरह पाकिस्तान में भी इस साल मार्च का महीन पिछले 60 वर्षों में सबसे ज्यादा गर्म था। आमतौर पर मासनून से पहले विशेष रूप से मई में भारत और पाकिस्तान दोनों देशों में लोगों को भीषण गर्मी का सामना करना पड़ता है। अप्रैल में भी लू चलती है, लेकिन देखा जाए तो वो इतनी आम नहीं हैं।

इस बारे में निक का कहना है कि भीषण गर्मी न केवल स्थानीय समुदायों बल्कि पर्यावरण के लिए भी बड़ा खतरा है। इसकी वजह से दावाग्नि और हिमनद झीलों में बर्फ के पिघलने से आकस्मिक आने वाली बाढ़ों का खतरा पैदा हो सकता है। यही वजह है कि इस क्षेत्र में हिमनद झीलों के फटने और बाढ़ की आशंका को देखते हुए अधिकारियों को हाई अलर्ट पर रखा गया है।

वहीं यूके मेट ऑफिस में जलवायु मामलों के प्रमुख पीटर स्टॉट का इस बारे में कहना है कि हालांकि वैज्ञानिक इस बात की सम्भावना पर नजर रखते हैं कि क्या इन चरम मौसमी घटनाओं के पीछे जलवायु परिवर्तन का हाथ है।

लेकिन उनके अनुसार यह कहना जल्दबाजी होगा कि दक्षिण एशिया में लू और जलवायु परिवर्तन के बीच कोई सीधा सम्बन्ध है। हालांकि इस बारे में जानकारी उपलब्ध है कि जलवायु में आते बदलावों और बढ़ते तापमान के चलते लू पहले से कहीं ज्यादा जानलेवा होती जा रही है। 

वहीं डब्लूएमओ महासचिव पेटेरी तालास का कहना है कि लू न केवल इंसानी स्वास्थ्य बल्कि पारिस्थितिक तंत्र, कृषि, जल और ऊर्जा आपूर्ति और अर्थव्यवस्था से जुड़े प्रमुख क्षेत्रों पर भी व्यापक असर डाल रही है।

भीषण गर्मी के बीच तपती दोपहरी में किसी तरह निवालों को निगलती एक भारतीय महिला; फोटो: सौमी दास/ यूनिसेफ

साल के इस वक्त में भारत और पाकिस्तान में क्यों पड़ती है इतनी गर्मी 

यहां यह समझना जरुरी है कि साल के इस दौर में भारत और पाकिस्तान में तापमान इतना बेरहम क्यों हो जाता है। इस बारे में निक ने जानकारी दी है कि जैसे-जैसे उत्तरी गोलार्ध में में बसंत आगे बढ़ता है, वैसे-वैसे दिन के मध्य में पृथ्वी पर सूर्य के ठीक नीचे का बिंदु, जिसे सब सोलर पॉइन्ट के नाम से जाना जाता है वो उत्तर की ओर बढ़ता है।

वर्तमान में यह बिन्दु मध्य भारत पर केंद्रित है, जिसका मतलब है कि बड़े पैमाने पर यह शुष्क भूभाग सूर्य की प्रचंड गर्मी झेलने को मजबूर है। साल के इस समय में पूर्वोत्तर मानसून के शुष्क दौर की वजह से यह क्षेत्र पहले ही पानी की कमी का शिकार है। 

इसके अलावा, इस क्षेत्र के ऊपर वायुमंडलीय अवतलन के चलते हवा कहीं ज्यादा गर्म होती है, जोकि एक ढक्कन के रूप में कार्य करती है, इसकी वजह से जमीन पर तापमान कहीं ज्यादा बढ़ जाता है। 

इस बारे में निक का कहना है कि इस पूरे क्षेत्र में स्ट्रांग सब्सिडेन्स की घटना स्पष्ट तौर पर भीषण लू से जुड़ी है। उनके अनुसार हालांकि यह पैटर्न केवल थोड़े समय तक ही रहता है क्योंकि आखिर में बड़े पैमाने पर हवा के पैटर्न में बदलाव आ जाता है, जिससे मानसूनी बारिश की शुरुआत होती है, इस बारिश की वजह से भीषण तापमान से कुछ राहत मिल जाती है। उनके अनुसार इसके बावजूद उत्तर पश्चिम भारत और पाकिस्तान में मानसूनी बारिश का दौर आमतौर पर जून के अंत से मध्य जुलाई तक ही पहुंच पाता है।

Subscribe to our daily hindi newsletter