लौटने को है मानसून, लेकिन देश के एक तिहाई जिलों में सामान्य से कम हुई बारिश

इस मानसून में गुजरात के सभी जिलों में सामान्य से कम या बेहद कम बारिश दर्ज की गई है

By Richard Mahapatra

On: Wednesday 25 August 2021
 
Wilted paddy saplings in Jajpur district, Odisha. Photo: Ashis Senapati

मानसून को लौटने में सिर्फ कुछ हफ्ते बाकी हैं और भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के नए आंकड़े बताते हैं कि देश के 694 में से 250 जिलों में बारिश की या तो कम हुई है या बेहद कम हुई है। ये आकड़े 1 जून 2021 से 25 अगस्त तक के हैं। यानी देश के 36 फीसदी जिलाें में सामान्य से कम बारिश दर्ज की गई है, जबकि बाकी जिलों में सामान्य या उससे ज्यादा बारिश हुई है। 

मौसम विभाग के मुताबिक, जब बारिश सामान्य औसत से 20 से 59 फीसदी तक कम होती है तो उसे कम (डेफिशिएट) बारिश कहा जाता है। सामान्य से 60 फीसदी से कम बारिश को भारी कमी (लार्ज डेफिशिएट) कहते हैं। 

देश के 37 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से 11 में 50 फीसदी से ज्यादा जिले 25 अगस्त तक बारिश के अभाव या भारी अभाव में दर्ज किए गए। देश के कुल 694 जिलों में से 234 में बारिश की कमी रही है, जबकि 16 जिले बारिश के भारी अभाव में हैं। 

गुजरात के सभी 33 जिलों में बारिश की कमी या भारी कमी रिकॉर्ड की गई है। ठीक ऐसे ही लदाख और लक्षद्वीप केंद्र शासित प्रदेशों में बारिश की कमी दर्ज की गई है। लदाख में दो जिलों में कम बारिश हुई है, जबकि लक्षद्वीप का अकेला जिला बारिश की कमी से जूझ रहा है। 

पूर्वोत्तर राज्यों की बात करें तो अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मिजोरम और मणिपुर के 50 फीसदी से ज्यादा जिलों में बारिश की भारी कमी दर्ज की गई है। 

केरल और ओडिशा में 25 अगस्त तक पूरे मानसून सीजन में बारिश का लगातार अभाव दर्ज किया गया है। ओडिशा के 30 में से 27 जिलों में बारिश की कमी रही है। केरल में भी 14 मेंं से 11 जिलों में कम बारिश दर्ज की गई है। 

मौसम विभाग के अगस्त के स्टैंडर्डाइज्ड प्रेसिपिटेशन इंडेक्स (SPI) के मुताबिक, गुजरात के बड़े क्षेत्रों, ओडिशा और पश्चिमी राजस्थन के कुछ इलाकों को "गंभीर सूखाग्रस्त' या "हल्का सूखाग्रस्त' राज्यों में शामिल किया गया है। केरल, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश के लिए भी ऐसा ही अध्ययन किया गया है। बारिश के स्तर को आधार बनाकर किसी क्षेत्र में सूखे का अध्ययन करने को स्टैंडर्डाइज्ड प्रेसिपिटेशन इंडेक्स कहते हैं। 

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