मौसम अपडेट: 17 सितंबर को चला जाता था मानसून, लेकिन इस बार जमकर बरसेगा

मौसम विभाग का कहना है कि मानसून 2020 की वापसी कब होगी, यह कह पाना अभी मुश्किल है, बल्कि सितंबर के तीसरे सप्ताह में अत्याधिक बारिश हो सकती है

By DTE Staff

On: Monday 07 September 2020
 
फोटो: अनिल कुमार

भारत में सितंबर में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है, हालांकि सितंबर के दूसरे सप्ताह में उत्तर पश्चिम और मध्य भारत सहित देश के अधिकांश हिस्सों में मानसून की बारिश में कमी होने की संभावना है। लेकिन 17 सितंबर के बाद इसके फिर से शुरू होने की संभावना है। मानसून की वापसी की सामान्य तिथि 17 सितंबर है।

यह जानकारी भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक डॉ. एम. महापात्रा ने दी। इससे पहले केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉ. एम राजीवन ने कहा, 'इस साल दक्षिण-पश्चिम मानसून की व्यापकता और प्रसार ने किसानों की मदद की और उत्पादन बहुत अच्छा होना चाहिए। यह भारतीय अर्थव्यवस्था को भी मदद करेगा, हालांकि इस समय सटीक मात्रा का आंकलन नहीं किया जा सकता है। हम यह मूल्यांकन नहीं कर सकते कि यह अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित करेगा। डॉ. एम. राजीवन और डॉ. महापात्र यहां एक वर्चुअल संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।

राजस्थान से हो सकती है वापसी

डॉ. महापात्रा ने बताया कि आईएमडी ने अपने साप्ताहिक मौसम अपडेट में उल्लेख किया है कि राजस्थान के पश्चिमी भागों से मानसून की वापसी 18 सितंबर को समाप्त होने वाले सप्ताह से शुरू हो सकती है, लेकिन हम उम्मीद कर रहे हैं कि उसी समय बंगाल के पश्चिम मध्य में कम दबाव वाला क्षेत्र विकसित हो सकता है। उन्होंने कहा कि मानसून की वापसी के समय यह शुरू हो सकता है, लेकिन हम अभी भी अध्ययन कर रहे हैं कि यह पूरी तरह कब तक वापस लौट सकता है। हम केरल, कर्नाटक और महाराष्ट्र के तटीय क्षेत्रों में 17 सितंबर और उसके बाद सामान्य बारिश की उम्मीद कर रहे हैं। हालांकि उन्होंने आगे कहा कि अगस्त की तुलना में सितंबर में बारिश की गतिविधि में गिरावट आई है और अब सामान्य से कम बारिश हुई है, अगले कुछ दिनों में फिर से बारिश होने की संभावना है क्योंकि ताजा मौसम प्रणाली विकसित हो रही है।

डॉ. महापात्रा ने विस्तार से बताया कि इस सीजन में मानसून की बारिश की विविधता इस वर्ष अधिक थी, जून में अधिक बारिश, जुलाई में कमी और अगस्त में फिर से अत्यधिक बारिश हुई। उन्होंने कहा कि सक्रिय मैडेन-जूलियन दोलन (एमजेओ), उष्णकटिबंधीय वायुमंडल में इंट्रासेन्सनल (30- से 90-दिवसीय) परिवर्तनशीलता का सबसे बड़ा कारण है।

उन्होंने कहा कि भारी बारिश की भविष्यवाणी करने में आईएमडी की सटीकता 80 प्रतिशत से अधिक हो गई है। डॉ. राजीव और डॉ. महापात्रा दोनों ने यह भी बताया कि आईएमडी ने सुपर साइक्लोन अम्फान को लेकर पहले ही बहुत सटीक भविष्यवाणी की थी और मानव जीवन तथा जानमाल के नुकसान को बचाने में मदद की। हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि पूर्वी और पश्चिमी तट चक्रवात अलग-अलग मौसम के पैटर्न हैं और कभी-कभी इन्हें पूर्वानुमान से अलग ट्रैक करना होता है। हालांकि चक्रवात निसार्ग को भी अच्छी तरह से ट्रैक किया गया था और कम दबाव वाले क्षेत्र से उसके शिखर तक पहुंचने की भविष्यवाणी की गई थी, लेकिन इसके जमीन पर टकराने के बारे में कुछ अंतर था।

भारतीय मानसून के व्यवहार पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को लेकर डॉ. राजीवन ने कहा कि इसका प्रभाव पड़ता है और आईएमडी ने इस पर बहुत काम किया है। उन्होंने कहा कि ये प्रभाव समय-समय पर अलग-अलग होते हैं और इसके बारे में कोई एकरूपता नहीं होती है।

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव ने अधिक डेटा एकत्र करने और निकट भविष्य में विभिन्न मौसम की घटनाओं को लेकर पूर्वानुमान लगाने में सक्षम होने के लिए देश भर में नए और अधिक रडार स्थापित करने के प्रयासों के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी।

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