अंफान चक्रवात अंडमान में दक्षिण-पश्चिम मानसून को आगे बढ़ा सकता है : आईएमडी

2019 में मानसून को लेकर आने वाली व्यापारिक पवनों को चक्रवात ने बाधा पहुंचाई थी जिसके कारण 21 जून तक मानसून केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक में ही बंधा रहा। 

By Akshit Sangomla, Vivek Mishra

On: Thursday 14 May 2020
 

अंफान चक्रवात के कारण दक्षिण-पश्चिमी मानसून के लिए बंगाल की खाड़ी, अंडमान समुद्र व अंडमान और निकोबार द्वीप के इर्द-गिर्द  16 मई, 2020 से मुफीद परिस्थितियां बनने का अनुमान है। यह बात भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने जारी अपने प्रेस बयान में कही है। हालांकि आईएमडी ने अपने बयान में भारतीय महाद्वीप पर मानसून की हलचल को लेकर कुछ भी नहीं कहा है।

आईएमडी ने अपने बयान में कहा है कि बंगाल की खाड़ी में अंफान चक्रवात अभी बनने की प्रक्रिया में है और संभव है कि 16 मई की शाम तक यह तैयार हो जाए। संयुक्त राज्य अमेरिका में यूनिवर्सिटी ऑफ मेरीलैंड के जलवायु वैज्ञानिक रघु मुरुतुगुड्डे ने डाउन टू अर्थ को बताया  "कम दबाव का गर्त (ट्रफ) जो अंततः भारत के दक्षिणी सिरे तक पहुंचता है और मॉनसून की शुरुआत करता है, पश्चिमोत्तर दिशा में उत्तर पश्चिमी उष्णकटिबंधीय प्रशांत से दक्षिण चीन सागर और फिर बंगाल की खाड़ी तक जाता है।"

जब अंफान चक्रवात बनकर तैयार होगा और बंगाल की खाड़ी में दक्षिण-पूर्वी दिशा में बढकर उत्तरी पूर्वी दिशा में मुड़ेगा तो यह स्थिति कब दबाव गर्त की उत्तर-पश्चिमी हलचल के लिए मददगार होगा। यह चक्रवात घड़ी की दिशा के विपरीत बढेगा और अपने साथ इर्द-गिर्द की हवाओं को भी साथ लेगा जिससे उसकी तीव्रता बढ़ेगी। इसके साथ ही चक्रवात मानसूनी हवाओं को अंडमान समुद्र की ओर खींचकर ले जाएगा, जिसकी वजह से उस क्षेत्र में वर्षा सीजन की शुरुआत होगी।

चित्र में मौजूदा सामान्य से अधिक समुद्र के तापमान को दिखाया गया है 

Photo : DTE

बीते वर्ष दक्षिण-पश्चिमी मानसून के आगमन से एक महीना पहले ही मई महीने में बंगाल की खाड़ी में बेहद गंभीर चक्रवात फानी था हालांकि इस बात के कोई सबूत नहीं थे कि इसका दक्षिण-पश्चिम मानसून के आगमन पर क्या प्रभाव रहा। जैसे ही मानसून सीजन शुरु हुआ मानसूनी पवनों की प्रगति मंद पड़ गई। वहीं, 9 जून से 17 जून तक नौ दिनों में अरब सागर में वायु नाम के बहुत ही गंभीर चक्रवात का विकास, प्रसार हो रहा था। चक्रवात की पवनों ने क्षेत्र में नियमित व्यापारिक पवनों में बाधा पहुंचाई जो कि अपने साथ मानसून लेकर आ रही थीं। इसने मानसून को केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक में 21 जून तक बांधे रखा।

एक बार मानसून पवनों का फैलना रुकता है वैसे ही देश के बड़े हिस्से में जुलाई से लेकर मध्य अक्तूबर के बीच बारिश होती है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, पेकिंग यूनिवर्सिटी और चीनी मौसम प्रशासन के वैज्ञानिकों द्वारा दिसंबर 2018 में जर्नल साइंस एडवांस में प्रकाशित शोध पत्र के अनुसार कुछ दशकों में मानसूनी हवाएं कमजोर हो गई हैं और जिसके कारण भारतीय उप-महाद्वीप में समग्र वर्षा में कमी आई है। अध्ययन के अनुसार, हिंद महासागर के गर्म होने से मानसूनी हवाओं के प्रवाह के लिए भूमि और समुद्र के बीच तापमान के अंतर को कम कर दिया है। पिछले कई वर्षों की तुलना में इस बार भूमि अधिक ठंडी है जो दक्षिण पश्चिम मानसून के मौसम की शुरुआत में संभावित प्रभाव डाल सकती है।

चित्र में सामान्य से ठंडी जमीनों का ग्राफ प्रदर्शित किया गया है :

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