आधिकारिक घोषणा के एक सप्ताह बाद भी बिना बारिश के है मानसून

मानसून आने की आधिकारिक घोषणा के 11 दिन बाद भी अपेक्षित बारिश शुरू नहीं  हुई है। 

By Akshit Sangomla

On: Thursday 09 June 2022
 

दक्षिण-पश्चिमी मानसून अपने पहले सप्ताह में बहुत बारिश लेकर नहीं आया है, खासकर केरल और पूर्वोत्तर के राज्यों जैसे मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा में। देश के कुछ उन राज्यों में भी जहां भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के मानसून आने के ऐलान के बाद से बारिश ने दस्तक दी है, वहां इसका वितरण असमान रहा है। यह देश की अर्थव्यवस्था, खासतौर से कृषि क्षेत्र के लिए बारिश के सबसे सबसे महत्वपूर्ण मौसम की सुस्त शुरुआत का संकेत देता है।

आईएमडी ने 29 मई को मानसून के केरल पहुंचने का ऐलान किया था, जो सामान्य रूप से इसके एक जून के आने से तीन दिन पहले की तारीख थी। हालांकि मौसम पर निगाह रखने वाली दूसरी एजेंसियों और नोएडा की निजी मौसम एजेंसी, स्काईमेट ने आईएमडी के ऐलान को चुनौती दी थी।

मानसून आने की आधिकारिक घोषणा के 11 दिन बाद भी अपेक्षित बारिश शुरू नहीं हुई है। माइक्रोब्लागिंग साइट टिवट्र पर कुछ लोग यह भी पूछ रहे हैं कि क्या मानसून केरल तक भी आया है या नहीं। केरल और मणिपुर में मानसून के मौसम से पहले के दिनों में वास्तव में अच्छी बारिश हुई।

हालांकि मिजोरम और त्रिपुरा में मानसून से पहले के मौसम में सूखे का दौर जारी रहा। इससे इन राज्यों के लोगों के लिए पानी की उपलब्धता में कमी हो सकती है, खासकर किसानों के लिए जो फसलों को बुआई का इंतजार कर रहे हैं।

आईएमडी के मुताबिक, केरल के 15 जिलों में से 13 में, मिजोरम के सभी जिलों में, मणिपुर के नौ जिलों में से छह में और त्रिपुरा के आठ में से सात जिलों में ‘कम’ या ‘बहुत कम’ बारिश हुई है। मई के आखिरी सप्ताह में आईएमडी ने पूर्वानुमान लगाया था कि केरल में मानसून के पहले सप्ताह में कम बारिश होगी, जबकि पूर्वोतर के राज्यों के लिए इसने सामान्य बारिशि का अनुमान लगाया था।

केरल और पूर्वोत्तर के राज्यों में पिछले साल जून में भी बारिश कम हुई थी। ऐसा चक्रवात यास के मानसूनी हवाओं को उत्तर और पश्चिम की ओर से अन्य राज्यों में खींच लेने के चलते हुआ था, जिससे बिहार जैसे कुछ राज्यों में जल्दी बाढ़ आ गई थी। इस साल अभी ऐसा कुछ नहीं है, जिससे मानसून की शुरुआत में केरल में कम बारिश होने पर चिंता की जाए।

जिन राज्यों में मानसून पहुंच चुका है, वहां भी स्थिति उत्साहवर्धक नहीं है। तमिलनाड में मोटे तौर पर आधे से ज्यादा जिलों में कम, बहुत कम या बिल्कुल बारिश नहीं हुई है। तटीय कर्नाटक के तीनों जिलों में इस सप्ताह बहुत कम बारिश दर्ज की गई है। ये तीनों जिले, कनार्टक के सबसे ज्यादा बारिश वाले जिले हैं।

आईएमडी ने दक्षिण के इन सभी राज्यों में आठ जून से भारी बारिश का पूर्वानुमान लगाया है, यह देखना बाकी है कि यह बारिश होती है या नहीं। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉपिकल मीट्रियोलॉजी, पुणे के विनीत कुमार ने टिवट्र पर कहा है कि देश में चौदह जून के बाद बारिश के बढ़ने की उम्मीद है।

मानसून के पहले सामान्य से कम बारिश और अब मानसून में देरी से उत्तर-पश्चिम और मध्य-भारत के लोग विषम हालात का सामना कर रहे हैं। फिलहाल उन्हें बारिश शुरू होने के लिए और इंतजार करना पड़ेगा। इस साल एक मार्च से 31 मई के बीच उत्तर-पश्चिम भारत को बारिश में 63 फीसदी, मध्य-भारत को 39 फीसदी और दक्षिण के तेलंगाना राज्य को 28 फीसदी कमी का सामना करना पड़ा।

ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि मानसून के कम दबाव का क्षेत्र, अरब सागर में 31 मई के बाद और बंगाल की खाड़ी में 3 जून के बाद ठप हो गया। इससे पहले बंगाल की खाड़ी में मानसून बीस मई से तीस मई के बीच ठप हुआ था, जो बाद में आगे बढ़ा ओर इसने तीन जून को पूर्वोतर भारत को ढक लिया। मानसून की धीमी गति ओर बारिश में कमी के मौसमविज्ञान संबंधी कारणों का पा लगना अभी बाकी है।

31 मई को आईएमडी ने पूरे देश में जून में सामान्य बारिश का पूर्वानुमान लगाया था। जून के पहले सप्ताह में पूरे देश में 37 फीसदी कम बारिश हुई है। इसमें भी ज्यादा कम बारिश उत्तर-पश्चिम और मध्य-भारत में दर्ज की गई। संयुक्त राज्य अमेरिका की मैरीलैंड यूनिवर्सिटी के जलवायु वैज्ञानिक रघु मुर्तुगुडे के मुताबिक, ‘यह स्पष्ट नहीं है कि क्या कमजोर मानसून के चलते हर साल जून में बारिश का कम होना, एक प्रवृत्ति बन रही है।’

वह आगे कहते हैं, ‘वह कारक जो देर से पूर्ववर्ती-मानसून चक्रवातों का पक्षधर है, वही जून की कमजोर बारिश में भी जारी रह सकता है, लेकिन हमें इसका ध्यानपूर्व अध्ययन करना चाहिए।’ उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि चक्रवाती बारिश के मानसूनी बारिश के साथ मिश्रित होने से इस अध्ययन को कठिन बना दिया जाएगा, जैसा कि 2020 में और आंशिक रूप से 2021 में हुआ था।

विशेषज्ञों का कहना है कि अगर अगले कुछ सप्ताहों में बारिश बढ़ती नहीं है तो देश को जून में बारिश में भारी कमी का सामना करना पड़ सकता है। डाउन टू अर्थ ने पहले ही रिपोर्ट दी थी कि इस साल मानसून की गति पूरे देश में धीमी रहेगी और इसके शुरुआती दो महीने सूखे बने रहेंगे। एक अशुभ भविष्यवाणी, जो सच साबित हो सकती है।

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