सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु की क्षेत्रीय जल सीमा से परे पर्स सीन फिशिंग को दी अनुमति

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

By Lalit Maurya

On: Wednesday 25 January 2023
 

सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु की क्षेत्रीय जल सीमा से परे भी कुछ शर्तों के साथ विशेष आर्थिक क्षेत्र के भीतर पर्स सीन फिशिंग को अनुमति दे दी है। इस बारे में शीर्ष अदालत ने 24 जनवरी, 2023 को प्रतिबंधित अंतरिम आदेश पारित किया है।

गौरतलब है कि तमिलनाडु के मत्स्य पालन विभाग ने 25 मार्च, 2000 को दिए आदेश के जरिए अपनी क्षेत्रीय जल सीमा के भीतर 12 समुद्री मील यानी तट रेखा से 22 किमी के भीतर पर्स सीन फिशिंग के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया था। ऐसे में तमिलनाडु सरकार द्वारा पर्स सीन फिशिंग पर लगाए प्रतिबंधों से व्यथित फिशरमैन केयर एसोसिएशन द्वारा याचिका दायर की गई थी।

प्रादेशिक जल क्षेत्र के भीतर पर्स सीन फिशिंग को अनुमति देने के लिए एक विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट पर भरोसा करते हुए फिशरमैन केयर एसोसिएशन द्वारा मद्रास उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर की गई थी। मद्रास उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने 20 अप्रैल, 2021 को इस रिट याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि सरकार ने इस पर विचार करके निर्णय लिया है।

गौरतलब है कि पर्स सीन फिशिंग (पीएसएफ) का तमिलनाडु राज्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने विरोध किया था। उनका कहना था कि यह मछली पकड़ने का एक 'हानिकारक' तरीका है, क्योंकि यह समुद्री जीवन के लिए हानिकारक है, जिसमें मछलियां भी शामिल हैं।

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कोलकाता के बार और रेस्तरां में हुक्का के उपयोग को दी अनुमति

कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा का कहना है कि चूंकि नियमों और विनियमों के अंतर्गत बार और रेस्तरां में तंबाकू, निकोटीन और हर्बल उत्पादों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने वाला कोई कानून नहीं है, ऐसे में न तो कोलकाता नगर निगम और न ही बिधाननगर नगर निगम हुक्का के उपयोग को प्रतिबंधित कर सकता है।

उच्च न्यायालय ने कहा कि देश में कानूनी रूप से बेचे जाने वाले तंबाकू उत्पादों की बिक्री से राज्य और केंद्र सरकार दोनों को भारी राजस्व प्राप्त होता है। ऐसे में

"रेस्तरां या बार के लिए हुक्का के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए अलग से ट्रेड लाइसेंस का न तो सवाल उठता है और न ही उठ सकता है। कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा 24 जनवरी, 2023 को दिए आदेश में कहा है कि इसके विपरीत, कोलकाता नगर निगम या बिधाननगर नगर निगम द्वारा जारी किया गया कोई भी निर्देश अवैध और कानून की दृष्टि से सही नहीं है।

वैध है असम अधिनियम 2015, सुप्रीम कोर्ट ने किया स्पष्ट

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि 2015 का असम अधिनियम यानी असम सामुदायिक पेशेवर (पंजीकरण और योग्यता) अधिनियम, 2015 पूरी तरह वैध है और वो भारतीय चिकित्सा अधिनियम (आईएमसी) 1956 और उसके तहत बनाए गए नियमों और विनियमों के विरोध में नहीं है।

अपने 139 पृष्ठों के फैसले में न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की खंडपीठ ने कहा है कि 2015 का यह अधिनियम "संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत राज्य विधानमंडल की विधायी क्षमता के भीतर है।"

कोर्ट के अनुसार केंद्रीय अधिनियम यानी आईएमसी अधिनियम 1956 सामुदायिक स्वास्थ्य पेशेवरों से संबंधित नहीं है, जिन्हें असम अधिनियम के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में एलोपैथिक चिकित्सकों के रूप में प्रैक्टिस करने की अनुमति दी गई है।

इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय का कहना है कि एक अलग कानून द्वारा सामुदायिक स्वास्थ्य पेशेवरों को ऐसे पेशेवरों के रूप में अभ्यास करने की अनुमति दी गई है।

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